बौद्ध-ग्रंथों को प्रदूषित करती स्त्री-विषयक ब्राह्मण-घृणा
अनिरुद्ध! तीन धर्मों से युक्त होने पर स्त्री शरीर छूटने पर, मरने के बाद दुर्गति को प्राप्त होती है, नरक में उत्पन्न होती है। कौन से तीन?
तीहि खो अनिरुद्ध! धम्मेहि समन्नागतो मातुगामो कायस्स भेदा परं मरणा अपायं दुग्गतिं विनिपातं निरयं उपपज्जति। कतमेहि तीहि ?
अनिरुद्ध! स्त्री पूर्वान्ह में मात्सर्य रूपी मल-युक्त चित्त से घर में निवास करती है। मध्यान्ह में इर्ष्या रूपी मल-युक्त चित्त से घर में निवास करती है। शाम के समय काम-राग रूपी मल-युक्त चित्त से घर में निवास करती है। अनिरुद्ध! इन तीन बातों से युक्त होने पर, स्त्री शरीर छूटने पर दुर्गति को प्राप्त होती है।
इध अनुरुद्ध! मातुगामो पुब्बण्ह समयं मच्छेर मल परियुट्ठितेन चेतसा अगारं अज्झावसति। मज्झन्हि समयं इस्सा परियुट्ठितेन चेतसा अगारं अज्झावसति। सायन्ह समयं कामराग परियुट्ठितेन चेतसा अगारं अज्झावसति। इमेहि खो अनिरुद्ध! तीहि धम्मेहि समन्नागतो मातुगामो कायस्स भेदा परं मरणा अपायं दुग्गति विनिपातं निरयं उपपज्जति(अनिरुद्ध सुत्त; अंगुत्तर निकायः तिक निपातः कुसिनारवग्गो )।
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