रामायण और महाभारत-
1. डा. वी. ए. स्मिथ के अनुसार यह काव्य किसी कवि की कल्पना प्रतित होती है जो कौशल और उसकी राजधानी अयोध्या से संबंधित किसी धुन्धली सी पारम्परिक कहानियों पर आधारित है। सम्भव है बाद के लेखकों ने इसमें अपनी ओर से कुछ जोड़ दिया हो(बी. डी. महाजन: प्राचीन भारत का इतिहास, पृ. 120)।
2. आधुनिक इतिहासकारों का मत है कि महाकाव्य काल तो वैदिक युग और बौद्ध काल के मध्य में था(वही, पृ. 121)।
3. डॉ. विन्टरनिट्ज के मत से वर्तमान आकृति में रामायण की रचना वाल्मीकि ऋषि ने तीसरी शती ई. पू. पुरातन लोक गीतों के आधार पर की।
4. कुछ अन्य विद्वान महाभारत को चौथी ई. पू. से पुराना नहीं है और चौथी शती ई. पू. के बाद का नहीं है(वही)।
5. महाभारत के शांतिपर्व में गणराज्यों का वर्णन आता है। बौद्ध और जैन साहित्य में गणराज्यों का वर्णन आता है। इससे महाभारत के बुद्धकाल के बाद होने का पता चलता है। बी. डी. महाजनः प्राचीन भारत के गणराज्यः प्राचीन भारत का इतिहास पृ. 849
1. डा. वी. ए. स्मिथ के अनुसार यह काव्य किसी कवि की कल्पना प्रतित होती है जो कौशल और उसकी राजधानी अयोध्या से संबंधित किसी धुन्धली सी पारम्परिक कहानियों पर आधारित है। सम्भव है बाद के लेखकों ने इसमें अपनी ओर से कुछ जोड़ दिया हो(बी. डी. महाजन: प्राचीन भारत का इतिहास, पृ. 120)।
2. आधुनिक इतिहासकारों का मत है कि महाकाव्य काल तो वैदिक युग और बौद्ध काल के मध्य में था(वही, पृ. 121)।
3. डॉ. विन्टरनिट्ज के मत से वर्तमान आकृति में रामायण की रचना वाल्मीकि ऋषि ने तीसरी शती ई. पू. पुरातन लोक गीतों के आधार पर की।
4. कुछ अन्य विद्वान महाभारत को चौथी ई. पू. से पुराना नहीं है और चौथी शती ई. पू. के बाद का नहीं है(वही)।
5. महाभारत के शांतिपर्व में गणराज्यों का वर्णन आता है। बौद्ध और जैन साहित्य में गणराज्यों का वर्णन आता है। इससे महाभारत के बुद्धकाल के बाद होने का पता चलता है। बी. डी. महाजनः प्राचीन भारत के गणराज्यः प्राचीन भारत का इतिहास पृ. 849
6. रामायण काल ई. पू. 200 और महाभारत रचना काल ई. पू. 400 है. तीन वेद और कुछ थोड़े उपनिषद छोड़ कर बाकि सब की रचना बुद्धकाल के बाद की है. भदंत धम्म कीर्ति: भगवान बुद्ध का इतिहास और धम्म्दर्शन: पृ. 3
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