1924 वाइकोम सत्याग्रह
सार्वजनिक सड़को पर चलने का अधिकार प्राप्त करने के लिये जो प्रयास किये गए ,उन सभी आंदोलन में वाइकोम सत्याग्रह उल्लेखनीय है।
सार्वजनिक सड़को पर चलने का अधिकार प्राप्त करने के लिये जो प्रयास किये गए ,उन सभी आंदोलन में वाइकोम सत्याग्रह उल्लेखनीय है।
यह आंदोलन 1924 में त्रावणकोर स्टेट के अछूतों ने किया।वह वइकोम मंदिर के इर्द गिर्द बनी सड़को के इस्तेमाल के बारे में था। ये सार्वजनिक सड़के थीं हर कोई उनका इस्तेमाल कर सकता था।और उनका रखरखाव स्टेट करती थी।लेकिन वे सड़के मंदिर के भवन के पास थी और अछूतों को उनपर चलने की कतई भी अनुमति नही दी जाती थी।
यदि कोई गलती से उस सड़क पर चला जाता तो उसको मारा पीटा जाता तथा समाज के द्वारा कठोर दंडित किया जाता । आखिर में अछूतों के सब्र का बांध टूटा ओर उन्होंने अपने स्वाभिमान को बचाने के लिये सवर्णों के जुल्मों से परेशान होकर उस प्रथा के खिलाफ जोरदार सत्याग्रह किया
तथा उनके आंदोलन उपरांत सड़क पर चलने का अधिकार तो दिया गया लेकिन शर्तो के साथ।
उसके फलस्वरूप मंदिर के आंगन को चौड़ा किया गया और सड़क को पुनः इस प्रकार बनाया गया कि यदि उसका इस्तेमाल अछूत भी करें तो वे मंदिर को अपवित्र करने वाले फासले से परे रहे।।
उसके फलस्वरूप मंदिर के आंगन को चौड़ा किया गया और सड़क को पुनः इस प्रकार बनाया गया कि यदि उसका इस्तेमाल अछूत भी करें तो वे मंदिर को अपवित्र करने वाले फासले से परे रहे।।
अब सोचिये जिन लोगो को सार्वजनिक सड़को पर चलने के लिये भी सत्याग्रह करना पड़ा हो तो उन लोगो के मानवीय अधिकारों को कितना कुचला गया होगा उनके साथ ओर किस किस तरह अत्याचार हुये होंगे।।
क्या उन पर अत्याचार करने वाले लोगो को आज आत्मग्लानि नही होनी चाहिये,क्या उनके साथ इन भेद भाव भरे बर्ताव से आज उनके दिल मे माफी का भाव पैदा नही होना चाहिये। अगर उनमे इंसनिय होती तो जरूर आत्मग्लानि होती माफी के भाव भी मन में उठते।लेकिन आज तक नही हुआ कि किसी शोषणकर्ता की जमात में कोई एक व्यक्ति भी ऐसा रहा हो।
निर्देश सिंह
राष्ट्रीय अध्यक्ष
आo केदारनाथ जी
संस्थापक
माता सावित्री बाई फूले महासभा
9568677815,8393833756
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