Sunday, May 31, 2020

Pali learning Lesson: June 2020)

धम्म बंधुओं,
'आओ पालि सीखें' वाट्स-एप ग्रुप के द्वारा आपको घर बैठे, आपके समय/सुविधानुसार पालि भाषा सीखाने का प्रयास किया जाता है।
प्रत्येक दिन करीब 9.00 बजे वाट्सएप ग्रुप पर पढाया जाने वाला पाठ/अभ्यास पोस्ट किया जाता है और 16.00 से 17.00 के मध्य आन-लाइन क्लास ली जाती है। इच्छुक  उपासक/उपासिका इस ग्रुप में शामिल होकर नि:शुल्क पालि भाषा सीख सकते हैं।  -Contact No.  09630826117

01. 06. 2020
अज्ज पाठो
मित्तानं सल्लापं

राहुलो- ‘‘मितं अभिवादनं।’’
आनन्दो- ‘‘अभिवादनं। भवं कथं(कैसे) अत्थि ?’’
राहुलो- ‘‘अहं कुसलो अम्हि(हूँ)।’’

राहुलो- ‘‘भवं(महोदय), परिवारे(परिवार में) सब्बे कथं सन्ति?’’
आनन्दो- ‘‘मम परिवारे सब्बे कुसला सन्ति।’’

राहुलो- ‘‘तव(तुम्हारे) माता-पिता कुत्थ(कहाँ) सन्ति(हैं )?’’
आनन्दो- ‘‘मम माता-पिता मय्हं(मेरे) सद्धिं(साथ) येव(ही) निवसन्ति।
- मम माता-पिता नागपुर नगरे निवसन्ति।’’

राहुलो- ‘‘भवं माता-पिता कुहिं(कहाँ) निवसन्ति?
आनन्दो- ‘‘ते(वे) अपि(भी) मय्हं सद्धिं येव निवसन्ति/
             -ते नागपूर नगरे निवसन्ति।’’

राहुलो- ‘‘भवं कति भातु भगिनियो?
आनन्दो- ‘‘मय्हं एको भाता च एका भगिनी अत्थि।
-मय्हं द्वे भाता च एका भगिनी सन्ति।
-मय्हं एको भाता च द्वे भगिनी सन्ति।
-मय्हं तयो भाता च एका भगिनी सन्ति।
-मय्हं तयो भाता च एका च भगिनी सन्ति।
-मय्हं चत्तारो भातरो च द्वे भगिनियो सन्ति।
-मय्हं चत्तारो भातरो च तिस्सो भगिनियो सन्ति।’’

राहुलो- ‘‘तव भाता किं करोति?’’
आनन्दो- ‘‘सो विज्झालयं गच्छति।
सो करियालयं गच्छति।’’
राहुलो- ‘‘तव भातरो किं करोन्ति?’’
आनन्दो ‘‘एको कस्सको, दूतियो अज्झापको अत्थि।’’
‘‘तव भाता च भगनिया किं करोन्ति?
राहुलो- ‘‘तेसु एको कस्सको, दूतियो अज्झापको, द्वे ताव पाठसालासु
    उग्गहन्ति।’’

राहुलो- ‘‘भवं पालिभासा जानासि?’’
आनन्दो- ‘‘आम, अहं थोकं जानामि।’’

राहुलो- ‘‘अज्ज भवं सुन्दरो दिस्सति!’’
आनन्दो- ‘‘साधुवादो।’’

राहुलो- ‘‘अत्थु(ठीक है), पुनं मिलाम।’’
आनन्दो- ‘‘साधुवादो, भवं पुनं मिलाम।’’

अभ्यासो-
1. उक्त पाठ पर आधारित पालि में कोई 8 वाक्य बनाईये जिसमें आपकी/परिवार की जानकारी हो ?
2. विसेसन परिचयो-
एको बालको सुन्दरो दिस्सति।
एका बालिका सुन्दरा दिस्सति।
एकं फलं सुन्दरं दिस्सति।
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02. 06. 2020
अज्ज पाठो
ततिया विभत्ति पयोगा-
(से/के द्वारा )
एकवचन-
सो बालको मुखेन वदति।
वह बालक मुंह से बोलता है।
सो बालको सोतेन सुणाति।
वह बालक कान से सुनता है।
सो बालको हत्थेन लिखति।
वह बालक हाथ से लिखता है।

अनेकवचन-
सो बालको नेत्तेहि पस्सति।
वह बालक आंखों से देखता है।
सो बालको पादेहि चलति।
वह बालक पैरों से चलता है।

एकवचन-
सा बालिका मुखेन वदति।
वह बालिका मुख से बोलती है।
सा बालिका सोतेन सुणाति।
वह बालिका कान से सुनती है।
सा बालिका हत्थेन लिखति।
वह बालिका हाथ से लिखती है।

अनेकवचन -
सा बालिका नेेत्तेहि पस्सति।
वह बालिका नेत्रों से देखती है।
सा बालिका पादेहि चलति।
वह बालिका पैरों से चलती है।
सा बालिका सोतेहि सुणोति।
वह बालिका कानों से सुनती है।

सरनीयं(स्मरण रखें)
एकवचन-  अनेकवचन
मुखेन- मुखेहि/मुखेभि
सोतेन- सोतेहि/सोतेभि
हत्थेन- हत्थेहि/हत्थेभि
नेत्तेन- नेत्तेहि/नेत्तेभि
पादेन- पादेहि/पादेभि

1. अहं मुखेन वदामि।
मैं मुख/मुंह से बोलता हूँ।
2. अहं नेत्तेन पस्सामि।
मैं नेत्र/आंख से देखता हूँ।
3. अहं सोतेन सुणोमि।
मैं स्रोत/कान से सुनता हूँ।
4. अहं घाणेन घायामि।
मैं घ्राण/नाक से सूंघता हूँ।
5. अहं जिव्हाय रसं सायामि।
मैं जीभ से रस चखता हूँ।
6. अहं हत्थेन लिखामि।
मैं हाथ से लिखता हूँ।
7. अहं हत्थेन करियं करोमि।
मैं हाथ से कार्य करता हूँ।
8. अहं द्वीहि नेत्तेहि पस्सामि।
मैं दो आंखों से देखता हूँ।
9. अहं द्वीहि सोतेहि सद्दं सुणोमि।
मैं दो कानों से शब्द सुनता हूँ।
10. अहं द्वीहि पादेहि चलामि।
मैं दो पेरों से चलता हूँ।

3. कम्मकरो सीसेन भारं वाहेति।
कर्मकार सीर से भार वहन करता है।
4. त्वं वाहनेन गामं गच्छसि।
तुम वाहन से गांव जाते हो।
5. गोपालो दण्डेन सप्पं पहरति।
गोपाल डण्डे से सांप को मारता है।

धनेन किं अत्थं?
धन का क्या अर्थ है?
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03. 06. 2020
अज्ज पाठो
किरिया पयोगा-
किरिया पयोगा-
वत्तमान कालो(उत्तमो पुरिसो)
लिखति- लिखता है।
एकवचन- अनेकवचन
अहं लिखामि। मयं लिखाम।
मैं लिखता हूॅं। हम लिखते हैं।
इसी प्रकार वाक्य बनाईये-
28. मद्दति- मर्दन करता है। .............................।...................................।
29. निम्मीलेति- आंखे झपकता है। .....................।................................।
30. उम्मीलेति- आंखे खोलता है। ........................।................................।
31. निवसति- निवास करता है। ........................।.................................।
32. तोटेति- तोड़ता है। ....................................।...................................।
33. कत्तेति- काटता है। ..................................।.....................................।
34. खण्डेति- खण्ड-खण्ड करता है। ....................।.................................।
36. पप्पोति- प्राप्त करता है। ............................।....................................।
37. लभति- प्राप्त करता है। .............................।....................................।
38. विकसति- विकसित करता है। ....................।..................................।
39. वड्ढेति- बढ़ता है। ...................................।.....................................।
40. जानाति- जानता है। .................................।...................................।
41. बुज्झति- बुझता/समझता है। ......................।.................................।
42. अन्विसति- अन्वेषण करता है। ...................।.................................।
43. हिंसति- हिंसा करता है। ............................।...................................।
44. लज्जति- लज्जा/शर्माता है। .......................।..................................।
45. सोभति- शोभा देता है। .............................।....................................।
46. रोचति- रुचिकर लगता है। .........................।..................................।
47. हसति- हंसता है। .....................................।...................................।
48. रुदति- रुदन करता है। ............................।....................................।
49. पचति- पकाता है। ..................................।....................................।
50. उड्डेति- उड़ता है। ..................................।.....................................।
51. डयति- उड़ता है। ....................................।.....................................।
52. चिनोति- चुनता है। ..................................।...................................।
53. उपदिसति- उपदेश देता है। ......................।....................................।
54. कण्डुवति- खुजलाता है। ..........................।....................................।
55. झायति- ध्यान करता है। ..........................।...................................।
56. जयति- जीतता है। .................................।.....................................।
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04. 06. 2020
अज्ज पाठो
किरिया पयोगा-
वत्तमान कालो(अञ्ञ पुरिसो)
लिखति- लिखता है।
एकवचन- अनेकवचन
सो लिखति। ते लिखन्ति ।
वह लिखता है। वे लिखते हैं।
28. मद्दति- मर्दन करता है। .............................।.................................।
29. निम्मीलेति- आंखे झपकता है। .....................।.............................।
30. उम्मीलेति- आंखे खोलता है। ........................।.............................।
31. निवसति- निवास करता है। ........................।...............................।
32. तोटेति- तोड़ता है। ....................................।.................................।
33. कत्तेति- काटता है। ..................................।..................................।
34. खण्डेति- खण्ड-खण्ड करता है। ....................।..............................।
35. जलति- जलता है। ....................................।...............................।
36. पप्पोति- प्राप्त करता है। ............................।...............................।
37. लभति- प्राप्त करता है। .............................।................................।
38. विकसति- विकसित करता है। ....................।..............................।
39. वड्ढेति- बढ़ता है। ...................................।................................।
40. जानाति- जानता है। .................................।...............................।
41. बुज्झति- बुझता/समझता है। ......................।.............................।
42. अन्विसति- अन्वेषण करता है। ...................।.............................।
43. हिंसति- हिंसा करता है। ............................।................................।
44. लज्जति- लज्जा/शर्माता है। .......................।..............................।
45. सोभति- शोभा देता है। .............................।...............................।
46. रोचति- रुचिकर लगता है। .........................।.............................।
47. हसति- हंसता है। .....................................।...............................।
48. रुदति- रुदन करता है। ............................।................................।
49. पचति- पकाता है। ..................................।................................।
50. उड्डेति- उड़ता है। ..................................।................................।
51. डयति- उड़ता है। ....................................।................................।
52. चिनोति- चुनता है। ..................................।...............................।
53. उपदिसति- उपदेश देता है। ......................।.................................।
54. कण्डुवति- खुजलाता है। ..........................।.................................।
55. झायति- ध्यान करता है। ..........................।................................।
56. जयति- जीतता है। .................................।..................................।

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05. 06. 2020
अज्ज पाठो-
वाक्यानि पयोगा 
निम्न वाक्यों को देख कर अपने मन से एक-एक वाक्य बनाइएं-
सोभति-
रजनी केस-बंधने आवेला बहु सोभति।
रेखाय केस-बंधनं बहु सोभति।

लभति-
यं कम्म करोति तं फलं लभति।
कुसल कम्मेन यसो लभति।
सिक्खाय ञाणं लभति।

विकसति-
सम्मा नागरिकेहि भारत देसो विकसति।
सम्मा वायामेन पालि भासा विकसति।

 वड्ढति-
पादपो(पौधा) वड्ढति, सो रुक्खो भवति।
आयु वड्ढेति, अनुभवो वड्ढेति ।

जानाति-
सुजाता बहु पालि सद्दा जानाति।
पुस्पा पालि भासा जानाति।

बुज्झति-
सुनन्दा पालि वाक्यानि सम्मा बुज्झति।
ललिता पालि भासा बुज्झति।

अन्विसति-
सीलरतनो नवं नवं पालि वाक्यानि अन्विसति।
वेज्झो कोरोना रोग निदानो अन्विसति।

हिंसति-
व्यग्घो मिगे हिंसति।
मज्जारी उन्दिरा हिंसति।

लज्जति-
लज्जा नारी च नरानं आभुसनं।
अत्तनो रूपं पस्सित्वा सुन्दरा लज्जति।

रुदति-
सिसु रुदनं सुणोत्वा अम्मा आगच्छति।
अम्मा पस्सित्वा सिसु रुदति।

पचति-
बुद्ध पुण्णमियं विविध पाकानि पाचनियानि।
अहं पुण्णमियं पायसं पचामि।

उड्डेन्ति-
भमरा उय्याने उड्डेन्ति।
खगा आकासे डयन्ति/उड्डेन्ति।

चिनोति-
बलिकायो उय्याने पुप्फानि चिनोन्ति।

कंडुवति-
मम पिट्ठं कंडुवति।
मम पाद तलं कंडुवति।

जयति-
जोति गीत-वादितं जयति।
सीलरतनो बाधा-धावनं जयति।
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06.06. 2020
अज्ज पाठो
किरिया पयोगा-

वत्तमान कालो(मज्झिम पुरिसो)
लिखति- लिखता है।
एकवचन- अनेकवचन
त्वं लिखसि। तुम्हे लिखथ ।
तू लिखता है। तुम लोग लिखते हो ।

इसी प्रकार वाक्य बनाईये-
28. मद्दति- मर्दन करता है। .............................।.........................।
  त्वं कोधं मद्दसि।  तुम्हे कोधं मद्दथ
29. निम्मीलेति- आंखे झपकता है। .....................।.........................।
  त्वं चक्खुं निम्मिलेसि. तुम्हे चक्खूनि निम्मिलेथ।
30. उम्मीलेति- आंखे खोलता है। ........................।.........................।
  त्वं अक्खिं उम्मिलेसि। तुम्हे अक्खिनि उम्मिलेथ।
31. निवसति- निवास करता है। ........................।.........................।
  त्वं कुत्थ निवससि ? तुम्हे कुत्थ निवसथ ?
32. तोटेति- तोड़ता है। ....................................।.........................।
  त्वं सपथ तोटेसि। तुम्हे सपथ तोटेथ।
33. कत्तेति- काटता है। ..................................।.........................।
  त्वं दन्तेहि कत्तेसि।  तुम्हे दन्तेहि कत्तेथ।
34. खण्डेति- खण्ड-खण्ड करता है। ....................।.........................।
  त्वं उच्छुं खंडेसि। तुम्हे उच्छुवो खंडेथ।
35. जलति- जलता है। ....................................।.........................।
  त्वं पञ्ञं पदीपं जलसि। तुम्हे पञ्ञे पदीपे जलथ।
36. पप्पोति- प्राप्त करता है। ............................।........................।
  त्वं धम्मपदं पप्पोसि। तुम्हे धम्मपदानि पप्पोथ।
37. लभति- प्राप्त करता है। .............................।........................।
  त्वं यसो लभसि। तुम्हे यसानि लभथ।
38. विकसति- विकसित करता है। ....................।........................।
  त्वं विकससि।  तुम्हे विकसथ।
39. वड्ढेति- बढ़ता है। ...................................।........................।
  त्वं वड्ढेसि।  तुम्हे वड्ढेथ।
40. जानाति- जानता है। .................................।........................।
  त्वं जानासि।  तुम्हे जानाथ।
41. बुज्झति- बुझता/समझता है। ......................।.......................।
  त्वं बुज्झसि।  तुम्हे बुज्झथ।
42. अन्विसति- अन्वेषण करता है। ...................।......................।
  त्वं अन्विससि। तुम्हे अन्वसथ।
43. हिंसति- हिंसा करता है। ............................।......................।
  त्वं हिन्ससि।  तुम्हे हिन्सथ।
44. लज्जति- लज्जा/शर्माता है। .......................।..............................।
  त्वं लज्जति।  तुम्हे लज्जथ।
45. सोभति- शोभा देता है। .............................।..............................।
  त्वं शोभसि। तुम्हे सोभथ।
46. रोचेति- रुचिकर लगता है। .........................।.............................।
  त्वं पालि भासा रोचेसि। तुम्हे पालि भासा रोचेथ।
47. हसति- हंसता है। .....................................।...............................।
  त्वं हससि। तुम्हे हसथ।
48. रुदति- रुदन करता है। ............................।................................।
  त्वं रुदसि। तुम्हे रुदथ।
49. पचति- पकाता है। ..................................।................................।
  त्वं पचसि।  तुम्हे पचथ।
50. उड्डेति- उड़ता है। ..................................।................................।
  त्वं उड्डेसि।  तुम्हे उड्डेथ।
51. डयति- उड़ता है। ....................................।................................।
  त्वं डयसि।  तुम्हे डयथ।
52. चिनोति- चुनता है। ..................................।...............................।
  त्वं चिनोसि। तुम्हे चुनाेथ।
53. उपदिसति- उपदेश देता है। ......................।.................................।
  त्वं उपदिससि। तुम्हे उपदेसथ।
54. कण्डुवति- खुजलाता है। ..........................।.................................।
  त्वं कंडुवसि।  तुम्हे कंडुु वथ।
55. झायति- ध्यान करता है। ..........................।................................।
  त्वं झायसि। तुम्हे झायथ।
56. जयति- जीतता है। .................................।.................................।
  त्वं जायसि।  तुम्हे जयथ।
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07.06.2020
विभत्तिरूप
'बुद्ध'
विभत्ति- एकवचन/अनेकवचन
कर्ता- बुद्धो/बुद्धा
कर्म- बुद्धं/ बुद्धे
करण- बुद्धेन/बुद्धेहि, बुद्धेभि
सम्प्रदान- बुद्धाय, बुद्धस्स/बुद्धानं
अपादान- बुद्धस्मा, बुद्धा/बुद्धेहि, बुद्धेभि
सम्बन्ध- बुद्धस्स/बुद्धानं
अधिकरण- बुद्धे, बुद्धस्मिं, बुद्धम्हि/बुद्धेसु
संबोधन- बुद्धा/बुद्धा

सूत्र-
कर्ता- ने
कर्म- को
करण- से
सम्प्रदान - को, के, लिए
अपादान-  से
सम्बन्ध - का, के, की
अधिकरण- में, पर, पास
संबोधन- हे , अजी, अरे !

पयोगा-
1. पठमा(कत्ता) विभत्ति
एकवचन/अनेकवचन
बालको गच्छति/ बालका गच्छन्ति।
बालक जाता है/ बालक जाते हैं।
बालिका पठति/बालिकायो पठन्ति।
बालिका जाती है/बालिकाएं जाती हैं।

2. दुतिया(कम्मं) विभत्ति-
बालिका बुद्धं सरणं गच्छति। बालिकायो बुद्धं सरण गच्छन्ति।
बालिका बुद्ध की शरण जाती है। बालिकाएं बुद्ध की शरण जाती हैं।
सो गामं गच्छति/ते गामं गच्छन्ति।
वह गावं जाता है/वे गावं जाते हैं।

3.  ततिया(करण) विभत्ति-
सा यानेन गामं गच्छति। ते यानेहि गामं गच्छन्ति।
वह वाहन से गावं जाती है/ वे वाहन से गावं जाते हैं।
बालको दंडेन सप्पं पहरति। बालका दंडेहि सप्पं पहरन्ति।
बालक डंडे से सांप को मारता है। बालक डंडों से सांप मारते हैं।

4.  चतुत्थी(सम्पदान) विभत्ति-
बालको पितुस्स सह गामं गच्छति। बालका अत्तनो पितून्नं सह गामं गच्छन्ति।
बालक पिता के साथ गावं जाता है/ बालक अपने पिता के साथ गावं जाते हैं।
बालिका पितुस्स सह गामं गच्छति। बालिकायो अत्तनो पितून्नं सह गामं गच्छन्ति।
बालिका पिता के साथ गावं जाती है/ बालिकाएं अपने पिता के साथ गावं जाती हैं।

5. पंचमी (अपादान) विभत्ति-
बालको नगरस्मा पितुस्स सह गामं गच्छति।
बालका नगरस्मा अत्तनो पितरेहि सह गामं गच्छन्ति।
बालक शहर से पिता के साथ गावं जाता है।
बालक शहर से अपने पिता के साथ गावं जाते हैं।
बालिका नगरस्मा पितुस्स सह गामं गच्छति।
बालिकायो नगरस्मा अत्तना पितरेहि सह गामं गच्छन्ति।
बालिका शहर से पिता के साथ गावं जाती है।
बालिकाएं शहर से अपने पिता के साथ गावं जाती हैं।

6. छट्ठी(सम्बन्ध) विभत्ति-
मज्झपदेसस्स राजधानी भोपालं। दिल्ली अनेकानं पदेसानं राजधानी।
म. प्र. की राजधानी भोपाल है।  दिल्ली अनेक प्रदेशों की राजधानी है।

7.  सत्तमी(अधिकरण) विभत्ति-
सकुणो आकासे उड्डति। सकुणा आकासे उड्डन्ति।
इमस्मिं वग्गे अयं बालकाे पठमो। इस कक्षा में यह बालक प्रथम है।
इमेसु बालकेसु अयं बालको पठमो। इन बालकों में यह प्रथम है।
इमस्मिं वग्गे अयं बालिका पठमा। इस कक्षा में यह बालिका प्रथम है।
इमायं बालिकायं  अयं बालिका पठमा।  इन बालिकाओं में यह बालिका प्रथम है।
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08.06.2020
विभत्तिरूप 
'बुद्ध'
कारक- एकवचन/अनेकवचन
कर्ता- बुद्धो/बुद्धा
कर्म- बुद्धं/ बुद्धे
करण- बुद्धेन/बुद्धेहि, बुद्धेभि
सम्प्रदान- बुद्धाय, बुद्धस्स/बुद्धानं
अपादान- बुद्धस्मा, बुद्धा/बुद्धेहि, बुद्धेभि
सम्बन्ध- बुद्धस्स/बुद्धानं
अधिकरण- बुद्धे, बुद्धस्मिं, बुद्धम्हि/बुद्धेसु
संबोधन- बुद्धा/बुद्धा

कारक- विभत्ति
कर्ता- ने
कर्म- को
करण- से
सम्प्रदान - को, के, लिए
अपादान-  से
सम्बन्ध - का, के, की
अधिकरण- में, पर, पास
संबोधन- हे , अजी, अरे !

सरनीयं-
1. पालि में वाक्य बनाने के लिए कत्ता(कर्ता) के परे  'ओ', 'आ', 'अं', 'ए', 'एन', 'एहि', 'एभि' आदि  जो कारक चिन्ह लगाते हैं, उन्हें ही 'विभत्ति' कहते हैं। यथा-
बुद्ध+ओ (बुद्धो), बुद्ध+ आ(बुद्धा)।
बुद्ध+अं(बुद्धं), बुद्ध+ए(बुद्धे)।
बुद्ध+एन (बुद्धेन), बुद्ध+एहि(बुद्धेहि), बुद्ध+एभि(बुद्धेभि) आदि.

2.  इन्हें स्मरण करना बहुत सरल है।
अनेकवचन में बहुधा 'ततिया' और 'पञ्चमी' के रूप समान होते हैं।
उसी प्रकार अनेकवचन में ही 'चतुत्थी' और 'छट्ठी' के रूप भी समान होते हैं।

3. दुतिया में 'अहं बुद्धं नमामि' (मैं बुद्ध को नमन करती/करता हूँ ) की तरह बनते हैं।
ततिया में 'अहं हत्थेन लिखामि'(मैं हाथ से लिखती/लिखता हूँ ) की तरह वाक्य होते हैं।
चतुत्थी में अहं भिक्खुस्स दानं देमि' (मैं भिक्खु को दान देती/देता हूँ ) की तरह वाक्य होते हैं।
पञ्चमी 'दूरी' को इंगित करता है।  यथा-  फलं रुक्खस्मा पतति(फल पेड़ से गिरता है )।
छट्ठी 'सम्बन्ध' बतलाता है।  यथा- मम पुत्तस्स नाम आनन्दो।
सत्तमी 'आधार' को इंगित करता है।  यथा- हत्थे पञ्च अंगुलियो होन्ति।

पयोगा-
1. पठमा(कत्ता) विभत्ति
एकवचन/अनेकवचन
बालको गच्छति/ बालका गच्छन्ति।
बालक जाता है/ बालक जाते हैं।
बालिका पठति/बालिकायो पठन्ति।
बालिका जाती है/बालिकाएं जाती हैं।

2. दुतिया(कम्मं) विभत्ति-
बालिका बुद्धं सरणं गच्छति। बालिकायो बुद्धं सरण गच्छन्ति।
बालिका बुद्ध की शरण जाती है। बालिकाएं बुद्ध की शरण जाती हैं।
सो गामं गच्छति/ते गामं गच्छन्ति।
वह गावं जाता है/वे गावं जाते हैं।

3.  ततिया(करण) विभत्ति-
सा यानेन गामं गच्छति। ते यानेहि गामं गच्छन्ति।
वह वाहन से गावं जाती है/ वे वाहन से गावं जाते हैं।
बालको दंडेन सप्पं पहरति। बालका दंडेहि सप्पं पहरन्ति।
बालक डंडे से सांप को मारता है। बालक डंडों से सांप मारते हैं।

4.  चतुत्थी(सम्पदान) विभत्ति-
बालको पितुस्स सह गामं गच्छति। बालका अत्तनो पितून्नं सह गामं गच्छन्ति।
बालक पिता के साथ गावं जाता है/ बालक अपने पिता के साथ गावं जाते हैं।
बालिका पितुस्स सह गामं गच्छति। बालिकायो अत्तनो पितून्नं सह गामं गच्छन्ति।
बालिका पिता के साथ गावं जाती है/ बालिकाएं अपने पिता के साथ गावं जाती हैं।

5. पंचमी (अपादान) विभत्ति-
बालको नगरस्मा पितुस्स सह गामं गच्छति।
बालका नगरस्मा अत्तनो पितरेहि सह गामं गच्छन्ति।
बालक शहर से पिता के साथ गावं जाता है।
बालक शहर से अपने पिता के साथ गावं जाते हैं।
बालिका नगरस्मा पितुस्स सह गामं गच्छति।
बालिकायो नगरस्मा अत्तना पितरेहि सह गामं गच्छन्ति।
बालिका शहर से पिता के साथ गावं जाती है।
बालिकाएं शहर से अपने पिता के साथ गावं जाती हैं।

6. छट्ठी(सम्बन्ध) विभत्ति-
मज्झपदेसस्स राजधानी भोपालं। दिल्ली अनेकानं पदेसानं राजधानी।
म. प्र. की राजधानी भोपाल है।  दिल्ली अनेक प्रदेशों की राजधानी है।

7.  सत्तमी(अधिकरण) विभत्ति-
सकुणो आकासे उड्डति। सकुणा आकासे उड्डन्ति।
इमस्मिं वग्गे अयं बालकाे पठमो। इस कक्षा में यह बालक प्रथम है।
इमेसु बालकेसु अयं बालको पठमो। इन बालकों में यह प्रथम है।
इमस्मिं वग्गे अयं बालिका पठमा। इस कक्षा में यह बालिका प्रथम है।
इमायं बालिकायं  अयं बालिका पठमा।  इन बालिकाओं में यह बालिका प्रथम है।
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09. 06. 2020
अज्ज पाठो
सरीरस्स अंगानि
सीसो, केसा, ललाटो/मत्थको, कण्णे/सोतं,
घाणं/नासिका, चक्खुं/अक्खि, भभूको, पखुमं(बरौनी)।
मुखं/वदनं, कप्पोलो, चुम्बुकं, ओट्ठो।
हत्थ, बाहु, कप्परो(कोहनि), हत्थ-तलं, अंगुलियो, अंगूठो, नखो।
खन्धो(कन्धा), कण्ठो, ऊरो, उदरो, नाभि, कटि, पिट्ठि(पीठ)।
उरु(जांघ), जाणु(घुटना),  पण्ही(एड़ी), पादो, पाद-तलं(तलुवा)।

सरलानि वाक्यानि-
मम एको सीसो अत्थि।
एको मत्थको अत्थि।
मम द्वे कण्णानि/सोतानि सन्ति।
द्वे अक्खिना/चक्खुना/नेत्तानि सन्ति।
एकं मुखं अत्थि।
एका नासिका अत्थि।
एका गीवा अत्थि।
द्वे हत्थे सन्ति।
द्वे पादे सन्ति।
एकस्मिं हत्थे पंच अंगुलियो सन्ति।
द्वे हत्थे दस अंगुलियो सन्ति।
हत्थ-पादे वीसति अंगुलियोसन्ति।

अहं मुखेन वदामि।
अहं नेत्तेहि पस्सामि।
अहं सोतेहि सुणोमि।
अहं नासिकाय घायामि।
अहं जिव्हाय सायामि।
अहं पादेहि चलामि।
अहं हत्थेहि करियं करोमि।

अहं मुखेन वदामि।
अहं द्वीहि चक्खुहि/नेत्तेहि पस्सामि।
अहं द्वीहि सोतेहि/कण्णेहि सद्दं सुणोमि।
अहं घाणेन/नासिकाय गन्धं घायामि।
अहं जिव्हाय रसं सायामि।
अहं द्वीहि पादेहि चलामि।
अहं द्वीहि हत्थेहि करियं करोमि।

अहं कायेन/सरीरेन फुस्सामि।
अहं मनसा/चित्तेन विजानामि।

नरो एकं मुखं वदति।
द्वीहि कण्णेहि सुणोति।
द्वीहि पादेहि चलति।
द्वीहि हत्थेहि करियं करोति।
द्वीहि चक्खुनि पस्सति।

मनुसस्स देहे एकं मुखं च द्वे कण्णा सन्ति।
अम्हे यं (जितना) भासणं च दिगुणितं सवणीयं।
मनुसस्स देहे एकं मुखं च द्वे अक्खीनि सन्ति।
अम्हे यं भासणं च दिगुणितं पस्सितब्बं।
मनुसस्स देहे एकं मुखं च द्वे हत्था सन्ति।
अम्हे यं (जितना) भासणं च दिगुणितं करणीयं।
मनुसस्स देहे द्वे हत्था च द्वे पादा सन्ति।
अम्हे यं करणीयं च तं आचरणीयं।
मनुसस्स देहे एका जिव्हा च बत्तीसति दन्ता सन्ति।
अम्हे बहुवो चिन्तेत्वा तेन भासणीयं।
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10.06. 2020
अज्ज पाठो

सरीरस्स अंगानि
सीसो, केसा, ललाटो/मत्थको, कण्णे/सोतं, घाणं/नासिका, चक्खुं/अक्खि, भभूको, पखुमं(बरौनी)।
मुखं/वदनं, कप्पोलो, चुम्बुकं, ओट्ठो।
हत्थ, बाहु, कप्परो(कोहनि), हत्थ-तलं, अंगुलियो, अंगूठो, नखो।
खन्धो(कन्धा), कण्ठो, ऊरो, उदरो, नाभि, कटि, पिट्ठि(पीठ)।
उरु(जांघ), जाणु(घुटना) पण्ही(एड़ी), पादो, पाद-तलं(तलुवा)।

सरलानि वाक्यानि-
मम एको सीसो अत्थि।
एको मत्थको अत्थि।
मम द्वे कण्णानि/सोतानि सन्ति।
द्वे अक्खिना/चक्खुना/नेत्तानि सन्ति।
एकं मुखं अत्थि।
एका नासिका अत्थि।
एका गीवा अत्थि।
द्वे हत्थे सन्ति।
द्वे पादे सन्ति।
एकस्मिं हत्थे पंच अंगुलियो सन्ति।
द्वे हत्थे दस अंगुलियो सन्ति।
हत्थ-पादे वीसति अंगुलियो सन्ति।

अहं मुखेन वदामि।
अहं नेत्तेहि पस्सामि।
अहं सोतेहि सुणोमि।
अहं नासिकाय घायामि।
अहं जिव्हाय सायामि।
अहं पादेहि चलामि।
अहं हत्थेहि करियं करोमि।

अहं मुखेन वदामि।
अहं द्वीहि चक्खुहि/नेत्तेहि पस्सामि।
अहं द्वीहि सोतेहि/कण्णेहि सद्दं सुणोमि।
अहं घाणेन/नासिकाय गन्धं घायामि।
अहं जिव्हाय रसं सायामि।
अहं द्वीहि पादेहि चलामि।
अहं द्वीहि हत्थेहि करियं करोमि।

अहं कायेन/सरीरेन फुस्सामि।
अहं मनसा/चित्तेन विजानामि।

नरो एकं मुखं वदति।
द्वीहि कण्णेहि सुणोति।
द्वीहि पादेहि चलती।
द्वीहि हत्थेहि करियं करोति।
द्वीहि चक्खुनि पस्सति।

मनुसस्स देहे एकं मुखं च द्वे कण्णा सन्ति।
अम्हे यं (जितना) भासणं च दिगुणितं सवणीयं।
मनुसस्स देहे एकं मुखं च द्वे अक्खीनि सन्ति।
अम्हे यं भासणं च दिगुणितं पस्सितब्बं।
मनुसस्स देहे एकं मुखं च द्वे हत्था सन्ति।
अम्हे यं (जितना) भासणं च दिगुणितं करणीयं।
मनुसस्स देहे द्वे हत्था च द्वे पादा सन्ति।
अम्हे यं करणीयं च तं आचरणीयं।
मनुसस्स देहे एका जिव्हा च बत्तीसति दन्ता सन्ति।
अम्हे बहुवो चिन्तेत्वा तेन भासणीयं।
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11.06.2020
अज्ज पाठो
विभत्तिरूप
लता’ विभत्ति एकवचनं- अनेकवचनं पठमा लता- लता, लतायो दुतिया लतं- लता, लतायो ततिया लताय- लताहि, लताभि चतुत्थी लताय- लतानं पञ्चमी लताय- लताहि, लताभि छट्ठी लताय- लतानं सत्तमी लतायं, लताय- लतासु आलपनं लते- लता, लतायो
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12.06. 2020
अज्ज पाठो
विभत्तिरूप
‘लता’ विभत्ति एकवचनं- अनेकवचनं पठमा लता- लता, लतायो दुतिया लतं- लता, लतायो ततिया लताय- लताहि, लताभि चतुत्थी लताय- लतानं पञ्चमी लताय- लताहि, लताभि छट्ठी लताय- लतानं सत्तमी लतायं, लताय- लतासु आलपनं लते- लता, लतायो

लता
लता रुक्खे कप्पेति।
लतासु फलानि दिस्सन्ति।
लताहि रुक्खा सोभन्ति।
उय्याने लतानि सन्ति।
....................

कप्पेति- जीवन निर्वाह करना
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13. 06. 2020
अज्ज पाठो
पालि भासा

पालि भासा, पालि भासा।
पालि, मम पिय भासा
पालि भासा, पालि भासा। पालि किय सरला भासा ! पालि भासा, पालि भासा। पालि बुद्धवचनस्स भासा।। पालि भासा, पालि भासा। पालि तिपिटकस्स, भासा। पालि भासा, पालि भासा। पाणसमा मम, पिय भासा। पालि भासा, पालि भासा। बुद्ध-काले, लोक-भासा। पालि भासा, पालि भासा। असोक-काले, रट्ठ-भासा। पालि भासा, पालि भासा। पालि बहु, पुरातन भासा।
पालि भासा, पालि भासा। पालि अतीव, सरला भासा। पालि भासा, पालि भासा। सम्भासनं करणीयं भासा। पालि भासा, पालि भासा। थोकं-थोकं वदनीयं भासा। पालि भासा, पालि भासा। पालि बहु रमणीया भासा। पालि भासा, पालि भासा। पालि मम संखारानं भासा। पालि भासा, पालि भासा। पालि मम हदयस्स भासा। पालि भासा, पालि भासा। पालि किय मधुरा भासा! 1. रट्ठ- राष्ट्र । 2. थोकं-थोकं- थोड़ी-थोड़ी। 3. संखारानं- संस्कारों की। 4. कियति- कितनी!
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14. 06. 2020
अज्ज पाठो
विभत्तिरूप
'बुद्ध' और 'लता'
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15. 06. 2020
नए पालि अभ्यर्थियों के लिए
अज्ज पाठो
मम परिचयो
(मेरा परिचय)

मम नाम अमतो।
मेरा नाम अमृत है।
मम नाम सीलरक्खिता।
मेरा नाम शीलरक्षिता है।
मम पितुस्स नाम असोको।
मेरे पिता का नाम अशोक है।
मम मातुया नाम विसाखा।
मेरी माता का नाम विशाखा है।
अहं द्वादस वस्सीयो बालको।
मैं 12 वर्षीय बालक हूँ।
अहं द्वादस वस्सीया बालिका।
मैं 12 वर्षीय बालिका हूँ।
अहं 32 वस्सीया महिला ।
मैं 32 वर्षीय महिला हूँ।
अहं 32 वस्सीयो पुरिसो।
मैं 32 वर्षीय पुरुष हूँ।

अहं चतुत्थे वग्गे अज्झयनं करोमि।
मैं 4थे वर्ग में अध्ययन कराती/करता हूँ।

अहं गहणी।
मैं गृहणी हूँ।

अहं कसको।
मैं किसान हूँ।

अहं सासकीय सेविका।
मैं शासकीय सेविका हूँ।
अहं सासकीय सेवको।
मैं शासकीय सेवक हूँ।
अहं भोपाल नगरस्स वेसाली उपनगरे निवसामि।
मैं भोपाल नगर के वैशाली कालोनी में रहती/रहता हूँ
अहं बाबासाहब आम्बेडकर-विज्झालये अज्झयनं करोमि।
मैं बाबासाहब आम्बेडकर विद्यालय में अध्ययन करता हूँ।

रित्तं ठाने पूरेतु(रिक्त स्थान भरिये)-
मम नाम -----------------------।
मम पितुस्स नाम ---------------।
मम मातुया नाम -------------------।
अहं ---------------- अज्झयनं करोमि।
अहं---------------------। (गहणी/कसको/सासकीय सेविका/सेवको )
अहं ------वस्सिया बालिका।
अहं ------ वस्सियो बालको।
अहं -----वस्सियो पुरिसो।
अहं ------वस्सिया महिला।
अहं -------------------------------नगरे/गामे निवसामि।

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सीनियर अभ्यर्थियों के लिए-
अज्ज पाठो
अञ्ञं-मञ्ञं परिचयो सब्बासानं(सभी) भगिनीनं(बहनों को) मम सादरं अभिवादनं। 
जयभीम।। नमो बुद्धाय।।।
।। पठमो पाठो।।
यदा यत्थ मयं समागताम, 
जहां कहीं हम मिलते हैं
अञ्ञं-मञ्ञं परिचयं आवस्सकं।
एक-दूसरे का परिचय आवश्यक होता है।
मयं अञ्ञं-मञ्ञं नामं पुच्छन्ति,
हम एक-दूसरे का नाम पूछते हैं,
कुत्थ वसति, एवं जानन्ति
कहां रहते है, यह जानते हैं
किं करोति, एवं जानन्ति‘ति अञ्ञं-मञ्ञं परिचयो।
क्या करते हो, ऐसा जानते हैं; यही एक-दूसरे का परिचय है।
पालि पठमो पाठे ‘पि मयं
पालि प्रथम पाठ में भी हम
अञ्ञं-मञ्ञं परिचयं पुच्छिस्साम।
एक-दूसरे का परिचय पूछेंगे।

पठमे अहं अत्तनो परिचयो वदामि।
प्रथम मैं अपना परिचय बताता हूं।
अहं अमतो।
मैं अमृत हूं।
पालियं पुरिसस्स नाम एवं होन्ति-
पालि में पुरुसों के नाम ऐसे होते हैं-
बालको-
अहं सिद्धत्थो। अहं गोतमो। 
अहं असोको। अहं असोकवर्द्धनो। अहं महिन्दो। अहं राहुलो। 
अहं भीमरावो। अहं धम्मपालो। अहं संघपालो। 
अहं विनयबोधि। अहं विमलकीत्ति। अहं विवेकसीलो। अहं विवेकरत्नो। 
अहं धम्मरक्खितो। अहं संघरक्खितो। 
अहं धम्मदीपो। अहं धम्मरत्नो। अहं संघरत्नो। 
अहं साक्यकुमारो। अहं विनयसीलो। अहं वैभवो। 
अहं सारिपुत्तो। अहं मोग्गलायनो। अहं साक्यरत्नो इच्चादि।

बालिका-
अहं विसाखा। अहं अम्बपाली। अहं गोतमी। अहं यसोधरा। 
अहं ताम्बपण्णी। अहं निरंजना। अहं रोहिणी। अहं वैसाली।
अहं धम्मदीपा, अहं धम्मरक्खिता।  अहं संघरक्खिता। 
अहं मज्झिमा। अहं पंचसीला। अहं प्रज्ञा। अहं करुणा। अहं मैत्री।
अहं विनया। अहं विजया। अहं विनयधरा। 
अहं सीला, अहं सीलरक्खिता। अहं सीलप्रिया। 
अहं खेमभद्रा। अहं धम्मबाला। अहं वैसाली। 
अहं भीमा। अहं भीमबाला। अहं धम्मदीक्खा। 

अहं धम्मदीपिका। अहं धम्मसिखा। अहं धम्मधरा इच्चादि।
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16. 06. 2020
कनिट्ठानं माणवकानं 
अज्ज पाठो 
मम परिचयो
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जेट्ठानं माणवकानं 
अज्ज पाठो

एसो/एसा/एतं और सो/सा/तं पयोगा
(एकवचन में समीप और दूर के लिए)  

समीपेः एकवचन- एसो/एसा/एतं   
1. एसो
एसो बालको। एसो मनुस्सो। एसो नरो। 
एसो धनिको। एसो दलिद्दो। एसो गोपो।
एसो गजो। एसो गद्दभो। एसो कुक्कुटो।
एसो सप्पो। सो मज्जारो।  
एसो आसन्दो। एसो रुक्खो।

2. एसा
एसा दारिका। एसा मातुच्छा।
एसा अजा।
एसा पताका।
एसा कुञ्चिका। एसा मञ्जूसा। 
एसा तुला। एसा माला। एसा लता। एसा साखा।
एसा गीवा। एसा जिव्हा। एसा नासा।

3. एतं
एतं मुखं, एतं फलं, एतं पुप्फं, एतं पोत्थकं, एतं पण्णं, एतं उपनेत्तं।
एतं कि? किं एतं?

एतं पोत्थकं, लोचनं, मुखं,  फलं, कमलं, पुप्फं, नगरं, ओदनं, भत्तं, वाहनं, यानं, जलं, वातापानं, चीवरं, भवनं, पत्तं, पण्णं, घरं, यन्तं, सासनं, गीतं, उपनेत्तं, सोपानं, आयुधं।    

दूरेः एकवचन-  सो, सा, तं
1. सो
सो बालको। सो मनुस्सो। सो नरो। 
सो धनिको। सो दलिद्दो। सो गोपो।
सो गजो। सो गद्दभो। सो कुक्कुटो।
सो सप्पो। सो मज्जारो।  
सो आसन्दो। सो रुक्खो।

2. सा
सा दारिका। सा मातुच्छा।
सा अजा।
सा पताका।
सा कुञ्चिका। सा मञ्जूसा। 
सा तुला। सा माला। सा लता। सा साखा।
सा गीवा। सा जिव्हा। सा नासा।


3. तं
तं मुखं, तं फलं, तं पुप्फं, तं पोत्थकं, तं पण्णं, तं उपनेत्तं।
किं तं? तं किं?

तं पोत्थकं, लोचनं, मुखं,  फलं, कमलं, पुप्फं, नगरं, ओदनं, भत्तं, वाहनं, यानं, जलं, वातापानं, चीवरं, भवनं, पत्तं, पण्णं, घरं, यन्तं, सासनं, गीतं, उपनेत्तं, सोपानं, आयुधं।    
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17. 06. 2020
नए पालि-छात्रों के लिए-
आज का पाठ 
संख्या-
1- एकं
2- द्वे
3- तीणि
4- चत्तारि
5- पञ्च
6- छह
7- सत्त
8- अट्ठ
9- नव
10- दस

11- एकादस
12- द्वादस
13- तेरस
14- चतुद्दस
15- पञ्चदस
16- सोळस
17- सत्तरस
18- अट्ठारस
19- एकूनवीसती
20- वीसती
कृपया अपनी कापी /नोटबुक में इसे लिख कर पोस्ट करें ताकि चेक किया जा सकें।
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17.06.2020
अज्ज पाठो
जेट्ठानं माणवकानं-
सो/एसो-
अच्छो(भालू), अम्बो, अनिलो, अस्सो, आरामो(विहार),
आचरियो, आपणो(दुकान/बाजार),  आसवो, उरगो(सांप),
कस्सको, कच्छपो(कछुवा), गन्धब्बो(संगीतकार), गामो,
चन्दो, चागो, तरच्छो(भालू), तुरंगो(घोड़ा), तळाको, थम्भो,
धम्मो, नागो(सर्प), निलयो, पब्बतो, पटिघो(द्वेष), पमादो,
पुत्तो, पेतो, मग्गो, मदो, मक्खो(दुष्ट), मयूरो, मनुस्सो,
मातंगो(हाथि), मातुलो(मामा), मानो, मिगो, रुक्खो, लोको,
वाणिजो, ब्यग्घो, हंसो, सकुणो, सत्तो(प्राणी), समुद्दो,
संघो, संसुमारो/कुम्भिलो(मगर), सावको, सिंहो, सिस्सो, सुरियो,  सोणो(कुत्ता) इच्चादि।
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18. 06. 2020
नए पालि छात्रों के लिए
आज का पाठ
(1) वत्तमान कालो: उत्तमो पुरिसो
1. लिखति- लिखता है। अहं लिखामि। मयं लिखाम।
मैं लिखता हूॅं। हम लिखते हैं।
इसी प्रकार वाक्य बनाईये-
2. धावति- दौड़ता है। .................................।.................................।
3. चलति- चलता है। .................................।.................................।
4. पठति- पढ़ता है। ...................................।.................................।
5. खेलति- खेलता है। ................................।.................................।
6. नमति- नमन करता है। ..........................।.................................।
7. पस्सति- देखता है।  ...............................।.................................।
8. निसीदति- बैठता है। ...............................।.................................।
9. उट्ठहति- उठता है। ...............................।.................................।
10. विहरति- विहार करता है। ......................।................................।
11. नहायति- नहाता है। ..............................।.................................।
12. इच्छति- इच्छा करता है। ........................।.................................।
13. चजति- त्याग करता है। .........................।.................................।
14. देति- देता है। .......................................।.................................।
15. खादति- खाता है। ..................................।.................................।
16. याचति- याचना करता है। .......................।.................................।
17. नच्चति- नाचता है। ................................।.................................।
18. धोवति- धोता है। ..................................।.................................।
19. सुणोति- सुनता है। ................................।.................................।
20. निन्दति- निन्दा करता है। .......................।.................................।
21. गायति- गाता है। ..................................।.................................।
22. पिबति- पीता है। ..................................।.................................।
23. सयति- सयन करता है। ........................।.................................।
24. रक्खति- रक्षा करता है। .........................।.................................।
25. खिप्पति- फेंकता है। ..............................।.................................।
26. सेवति- सेवा करता है। ..........................।.................................।
27. कम्पति- काम्पता है। .............................।.................................।
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18.06.2020
अज्ज पाठो
जेट्ठ-माणवकानं-
इन शब्दों पर-
छोटे-छोटे वाक्य बनाईये-
अच्छको(भालू/रीछ), अम्बो, अनिलो, अस्सो,
आरामो(विहार), आचरियो, आपणो(दुकान/बाजार),
आसवो(आश्रव), उरगो/सप्पो(सांप), कस्सको,
कच्छपो(कछुवा), गन्धब्बो(संगीतकार), गामो, चन्दो,
चागो, तरच्छो(लकड़ बग्घा), तुरंगो/अस्सो(घोड़ा),
तळाको, थम्भो, धम्मो, नागो(नाग सर्प), निलयो(घर/निवास),
पब्बतो, पटिघो(द्वेष), पमादो(प्रमाद), पुत्तो, पेतो(प्रेत), मग्गो,
मदो(अहंकार), मक्खो(दुष्ट), मयूरो, मनुस्सो, मातंगो(हाथि),
मातुलो(मामा), मानो, मिगो, रुक्खो, लोको, वाणिजो, ब्यग्घो,
हंसो, सकुणो, सत्तो(प्राणी), समुद्दो, संघो, संसुमारो/कुम्भिलो(मगर),
सावको, सिंहो, सिस्सो, सुरियो,  सोणो/सुनखो(कुत्ता) इच्चादि।

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आसव- आश्रव।  चित्त के मल।
चार आसव- कामासव, भवासव, दिट्ठयासव, अविज्जासव।
कामासव- काम-भोग सम्बन्धी इच्छा।
भवासव-  रूप और अरूप भवों में उत्पन्न होने का छंद-राग।
दिट्ठयासव- 62 प्रकार की मिथ्या दृष्टि।
अविज्जासव- 4 अरिय सत्य, अट्ठंगिक मग्ग, पटिच्च-समुत्पाद आदि के प्रति अज्ञानता। 
पमाद - सुरा-मेरय-मज्ज(मद्य)-पमाद(प्रमाद)-ट्ठाना(स्थानों से) वेरमणी(विरत रहने की प्रतिज्ञा करती/करता हूँ )।
मक्ख- दुष्ट, पाखंडी, ढोंगी।
मक्खेति- माखना, चुपडना, दूसरे का मूल्य घटाना।
थद्ध- कठोर, कड़ा, ढीड। थम्बेति।
यथा- घोरम्पनालवकमक्खमथद्ध यक्खं
 घोर(घोर/भयानक)म्प-नालवक(आलवक)-मक्खं(दुष्ट) थद्ध(कठोर/ढीड) यक्खं ।
भयानक दुष्ट और कठोर ह्रदय वाले आलवक यक्ष को।
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19.06. 2020
नए और सीनियर पाली छात्रों के लिए 
आओ पालि सीखें, खेल-खेल में-

घरे किं किं अत्थि, किं किं नत्थि?
घर में क्या-क्या है, क्या-क्या नहीं है।

नामपट्टिका(नेम-प्लेट) अत्थि, घरं अत्थि ।
घरणी(गृहिणी) अत्थि, गेहद्वारं(घर का दरवाजा) अत्थि।

सयन-घरं अत्थि, वातपानं(खिड़की) अत्थि।
कुंचिका(चाबी) अत्थि, मंजूसा(पेटी) अत्थि।

कटच्छु(चम्मच) अत्थि, थाली अत्थि।
भत्तं(भात) अत्थि, साकं(साक) अत्थि।

रज्जु(रस्सी) अत्थि, दोण्णी(बाल्टी) अत्थि।
कुम्भो(घड़ा) अत्थि, कूप्पी(पानी की बोतल) अत्थि।

छत्तं(छत्ता) अत्थि, पत्तं(पत्र/लेटर) अत्थि।
करदीपो(टार्च) अत्थि, पदीपो(दीपक) अत्थि।

लेखनी(पेन) अत्थि, लेखनं(लेख) अत्थि।
अंकनी(पेंसिल) अत्थि, पवत्ति-पत्तं(समाचार-पत्र) अत्थि।

पोत्थकं अत्थि, पोत्थकानि(पुस्तकें) सन्ति
कग्गजं(कागज) अत्थि, कग्गजानि(अनेक कागज) सन्ति।

गन्थो(ग्रन्थ) अत्थि, गन्थानि(अनेक ग्रन्थ) सन्ति।
पिट्ठं(पेज/पृष्ठ) अत्थि, पिट्ठानि(अनेक पेज) सन्ति।

कंघिका(कंघी) अत्थि, दप्पणो(दर्पण) अत्थि।
करवत्थं(रूमाल) अत्थि, मुखपुच्छनं(छोटा-टावेल) अत्थि।

दन्त-पोणो(ब्रश) अत्थि, दन्त-फेनो(पेस्ट) अत्थि।
सिनान-फेणिलो(साबुन) अत्थि, वत्थ(वस्त्र)-फेणिलो अत्थि।

सम्मुज्जनी(झाड़ू) अत्थि, कण्डोलिका(टोकरी) अत्थि।
अवक्कारपाति(कूड़ेदान) अत्थि, रजं नत्थि ।

गणको(केलकुलेटर) अत्थि, संगणको(कम्पुटर) अत्थि।
आकासवाणी अत्थि, दूरदस्सनं अत्थि।

साटिका(साड़ी) अत्थि, साटिकं(धोती) अत्थि।
युत्तकं(सर्ट) अत्थि, उरुकं(पेंट) अत्थि।

वलयं(चूड़ी) अत्थि, कुण्डलं(कान की बाली) अत्थि।
माला अत्थि, विलेपनं(क्रीम) अत्थि।

सीसावरणं(टोपी) अत्थि, सीसवेठनं(पगड़ी) अत्थि।
पादुका(जूतें/जूती) अत्थि, पाद-रक्खा(चप्पल) अत्थि।

दुद्ध(दूध) अस्थि, ताकं(ताक) अत्थि।
नोनीतं(नचनीत/मक्खन) अत्थि, धतं(धृत/घी) अत्थि।
.....................
कटकं- कंगन
केसबन्धनं- जुड़ा
तरुणियो केस-बन्धनेसु आवलि(गजरा) गून्थन्ति।
अज्जते सब्ब परिसा सुत्तकं च उरुकं ऐव धरन्ति।
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20. 06. 2020
अज्ज पाठो
कनिट्ठ-माणवकानं
इसे अपनी नोटबुक में लिख लें-
(2.) वत्तमान कालो: मज्झिमो पुरिसो
1. लिखति- लिखता है। त्वं लिखसि। तुम्हे लिखथ।
तू  लिखता है। तुम लोग लिखते हों।
इसी प्रकार वाक्य बनाईये-
2. धावति- दौड़ता है। .................................।.................................।
3. चलति- चलता है। .................................।.................................।
4. पठति- पढ़ता है। ...................................।.................................।
5. खेलति- खेलता है। ................................।.................................।
6. नमति- नमन करता है। ..........................।.................................।
7. पस्सति- देखता है।  ...............................।.................................।
8. निसीदति- बैठता है। ...............................।.................................।
9. उट्ठहति- उठता है। ...............................।.................................।
10. विहरति- विहार करता है। ......................।................................।
11. नहायति- नहाता है। ..............................।.................................।
12. इच्छति- इच्छा करता है। ........................।.................................।
13. चजति- त्याग करता है। .........................।.................................।
14. देति- देता है। .......................................।.................................।
15. खादति- खाता है। ..................................।.................................।
16. याचति- याचना करता है। .......................।.................................।
17. नच्चति- नाचता है। ................................।.................................।
18. धोवति- धोता है। ..................................।.................................।
19. सुणोति- सुनता है। ................................।.................................।
20. निन्दति- निन्दा करता है। .......................।.................................।
21. गायति- गाता है। ..................................।.................................।
22. पिबति- पीता है। ..................................।.................................।
23. सयति- सयन करता है। ........................।.................................।
24. रक्खति- रक्षा करता है। .........................।.................................।
25. खिप्पति- फेंकता है। ..............................।.................................।
26. सेवति- सेवा करता है। ..........................।.................................।
27. कम्पति- काम्पता है। .............................।.................................।
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जेट्ठ-माणवकानं
सीनियर छात्रों के लिए
सा अनुकम्पा। एसा अनुकम्पा।
सा अनुञ्ञा। एसा अनुञ्ञा।
एवं पकारेन, अधोलिखितं इत्थीलिंग सद्दानं
वाक्येसु पयोगं करणीयं-
(इसी प्रकार निम्न इत्थीलिंग शब्दों को वाक्यों में प्रयोग करना है)
अनुकम्पा, अनुञ्ञा (अनुज्ञा), अभिज्झा(लोभ),
अभिञ्ञा (अभिज्ञा/ज्ञान), अविज्जा, अजा(बकरी), अबला,
आपदा, आभा, इच्छा, इस्सा(इर्ष्या), इट्ठका(ईंट), उपमा,
उपेक्खा, उक्का(मशाल), ऊका(जूं ), करका(ओला), कथा,
कंखा(संशय), करुणा, कञ्ञा(कन्या), कसा(चाबुक), कारा(जेल),
कुञ्चिका, कुटिका, किरिया, खमा(क्षमा), खुदा(भूख),
खिड्डा(खेल/दिल्लगी), गवेसना(गवेषणा/खोज), गाथा,
गीवा, गुहा(गुफा),  चन्दिमा, चन्दिका(चांदनी), चिता, चिन्ता,
छाया, जरा(बुढ़ापा), जाया(स्त्री), जिगुच्छा(घृणा), जीविका,
जिव्हा, जटा, तण्हा, तुला, तिकिच्छा(चिकित्सा), तितिक्खा(सहनसीलता),
दारिका, दया, दक्खिणा, दिसा, धारा, नावा, निद्दा, नासा,

निसा(निशा), पटिञ्ञा (प्रतिज्ञा), पमदा(स्त्री), परिखा(खाई),
पादुका, पजा, पताका, पञ्ञा(प्रज्ञा), पब्बज्जा, परिसा(सभा),
पीड़ा, पूजा, बाधा, भासा, भरिया, भिक्खा, मक्खिका, मदिरा,
मातुच्छा(मौसी), मुत्ता(मोती), मेत्ता, मेधा, मञ्जूसा, महिला,
मुच्छा(मूर्छा), माला, रुजा(पीड़ा), लज्जा, लाजा(लाई), लूता(मकड़ी),
वञ्झा(बांझ), विचिकिच्छा(संशय), वन्दना, विथिखा(गली), वेदना,
वेला, वेसिया(वैश्या), सभा, सद्धा, साला, साकच्छा(चर्चा), सुरा,
सुनिसा(पतोहु), सिक्खा, सीमा, सेना, सोभा आदि।
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21. 06. 2020
अज्ज पाठो
कनिट्ठ-माणवकानं
इसे अपनी नोटबुक में लिख लें-
(2.) वत्तमान कालो: अञ्ञो(पठमो) पुरिसो
1. लिखति- लिखता है। सो लिखति। ते लिखन्ति ।
वह लिखता है। वे लिखते हैं ।
इसी प्रकार वाक्य बनाईये-
2. धावति- दौड़ता है। .................................।.................................।
3. चलति- चलता है। .................................।.................................।
4. पठति- पढ़ता है। ...................................।.................................।
5. खेलति- खेलता है। ................................।.................................।
6. नमति- नमन करता है। ..........................।.................................।
7. पस्सति- देखता है।  ...............................।.................................।
8. निसीदति- बैठता है। ...............................।.................................।
9. उट्ठहति- उठता है। ...............................।.................................।
10. विहरति- विहार करता है। ......................।................................।
11. नहायति- नहाता है। ..............................।.................................।
12. इच्छति- इच्छा करता है। ........................।.................................।
13. चजति- त्याग करता है। .........................।.................................।
14. देति- देता है। .......................................।.................................।
15. खादति- खाता है। ..................................।.................................।
16. याचति- याचना करता है। .......................।.................................।
17. नच्चति- नाचता है। ................................।.................................।
18. धोवति- धोता है। ..................................।.................................।
19. सुणोति- सुनता है। ................................।.................................।
20. निन्दति- निन्दा करता है। .......................।.................................।
21. गायति- गाता है। ..................................।.................................।
22. पिबति- पीता है। ..................................।.................................।
23. सयति- सयन करता है। ........................।.................................।
24. रक्खति- रक्षा करता है। .........................।.................................।
25. खिप्पति- फेंकता है। ..............................।.................................।
26. सेवति- सेवा करता है। ..........................।.................................।
27. कम्पति- काम्पता है। .............................।.................................।
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जेट्ठ-माणवकानं
सा अनुकम्पा। एसा अनुकम्पा।
सा अनुञ्ञा। एसा अनुञ्ञा।
एवं पकारेन, अधोलिखितं इत्थीलिंग सद्दानं-
वाक्येसु पयोगं करणीयं-
(इसी प्रकार निम्न इत्थीलिंग शब्दों को वाक्यों में प्रयोग करना है)
तण्हा, तुला, तिकिच्छा(चिकित्सा), तितिक्खा(सहनसीलता),
दारिका, दया, दक्खिणा, दिसा, धारा, नावा, निद्दा, नासा,
 निसा(निशा), पटिञ्ञा (प्रतिज्ञा), पमदा(स्त्री), परिखा(खाई),
पादुका, पजा, पताका, पञ्ञा(प्रज्ञा), पब्बज्जा, परिसा(सभा),
पीड़ा, पूजा, बाधा, भासा, भरिया, भिक्खा, मक्खिका, मदिरा,
 मातुच्छा(मौसी), मुत्ता(मोती), मेत्ता, मेधा, मञ्जूसा, महिला,
मुच्छा(मूर्छा), माला, रुजा(पीड़ा), लज्जा, लाजा(लाई), लूता(मकड़ी),
वञ्झा(बांझ), विचिकिच्छा(संशय), वन्दना, विथिखा(गली),
वेदना, वेला, वेसिया(वैश्या), सभा, सद्धा, साला, साकच्छा(चर्चा),
सुरा, सुनिसा(पतोहु), सिक्खा, सीमा, सेना, सोभा आदि।
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22. 06. 2020
कनिट्ठ  माणवकानं
आज पाठो
मम जीवनचरिया
अहं पभाते(सुबह) उट्ठहामि।
मैं सुबह उठती/उठता हूँ।
उट्ठहित्वा मात-पितुनो दस्सनं(दर्शन) करोमि।
उठकर मात-पिता के दर्शन करती/करता हूँ।
बुद्धं वन्दामि।
बुद्ध को वन्दन करती/करता हूँ।
ततो एकं चसकं(गिलास) जलं पिबामि।
उसके बाद एक गिलास जल पीती/पीता हूँ।

ततो पात-किरिया(प्रातः क्रिया) सम्पादेमि।
उसके बाद प्रातः क्रिया का सम्पादन करती/करता हूँ ।
ततो दन्त मज्जनं, मुख धोवनं करोमि।
उसके बाद दन्त मन्जन, मुंह धोती/धोता हूँ ।
वत्थेन(वस्त्र से) मुखं पुच्छामि।
वस्त्रा के मुंह पोंछती/पोंछता हूँ ।
अनन्तरं पात-भमणं करोमि।
अनन्तर प्रातः भ्रमण करती/करता हूँ ।
पात-भमणं आरोग्यकारी।
प्रातः भ्रमण आरोग्यकारी होती है।
पात वायु सुखकारी।
प्रातः वायु सुखकारी होती है।
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जेट्ठ-मााणवकानं
अधोलिखितं इत्थीलिंग सद्दानं -
वाक्येसु पयोगं करणीयं-
(निम्न इत्थीलिंग शब्दों का वाक्यों में प्रयोग करना है)
1 . अनुकम्पाय अहं निवेदयामि।
अनुकम्पा के लिए मैं निवेदन करती/करता हूँ।
2 . अनुञ्ञाय अहं निवेदयामि।
अनुज्ञा के लिए मैं निवेदन करती/करता हूँ।
अनुकम्पाय अहं निवेदयामि।
अनुकम्पा के लिए मैं निवेदन करती/करता हूँ।
 अभिज्झाय जना पमाद  करोति।
 लोभ से लोग प्रमाद(अहंकार) करते हैं।
  अभिञ्ञाय जना विदु  होन्ति।
अभिज्ञा से लोग विद्वान् होते हैं ।
अनुकम्पा, अनुञ्ञा (अनुज्ञा), अभिज्झा(लोभ),
अभिञ्ञा (अभिज्ञा/ज्ञान), अविज्जा, अजा(बकरी),
अबला, आपदा, आभा, इच्छा, इस्सा(इर्ष्या),
इट्ठका(ईंट), उपमा, उपेक्खा, उक्का(मशाल),
ऊका(जूं ), करका(ओला), कथा, कंखा(संशय), करुणा,
कञ्ञा(कन्या), कसा(चाबुक), कारा(जेल), कुञ्चिका,
कुटिका, किरिया, खमा(क्षमा), खुदा(भूख), खिड्डा(खेल/दिल्लगी),
गवेसना(गवेषणा/खोज), गाथा, गीवा, गुहा(गुफा),
 चन्दिमा, चन्दिका(चांदनी), चिता, चिन्ता, छाया,
जरा(बुढ़ापा), जाया(स्त्री), जिगुच्छा(घृणा), जीविका, जिव्हा, जटा आदि।
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23. 06. 2020
अज्ज पाठो
विभत्तिरूप
‘अ’कारान्त नपुंसकलिंगानि।
‘फल’
विभत्ति: एकवचनं- अनेकवचनं
पठमा: फलं- फला, फलानि
दुतिया: फलं-   फले, फलानि
ततिया: फलेन- फलेहि, फलेभि
चतुत्थी: फलस्स, फलाय- फलानं
पञ्चमी: फलस्मा, फलम्हा- फलेहि, फलेभि
छट्ठी: फलस्स- फलानं
सत्तमी: फले, फलस्मिं, फलम्हि- फलेसु
आलपनं: फल,फला- फला, फलानि
समं रूपं-
अमतं, अम्बं(आम), अरञ्ञं, आवुधं(आयुध),
आसनं, इन्द्रियं, उपट्ठानं(सेवा), उदकं, उपवासं,
ओदनं(भात), ओसानं(समाप्ति), कम्मं, करणं(करना/उत्पत्ति),
कारणं, कुसुमं, कुलं, खेत्तं, घरं, घाणं, चरणं, चीवरं, ज्ञानं,
जलं, जालं, ञाणं, छत्तं, ताणं(त्राण) तीरं, तुण्डं, थलं,
दानं, दिवसं, दुक्खं,  धञ्ञं, धनं, धम्मं, नगरं, पण्णं(पत्ता), पादं,
सरलानि वाक्यानि-
सो फुप्फेहि बुद्धं पूजेति। रुक्खे फलानि सोभन्ति।
सकुणा फलानि खादन्ति। फलानि रूक्खेहि पतन्ति।

23. 06. 2020
कनिट्ठ  माणवकानं
आज पाठो
मम जीवनचरिया 
अहं पभाते(सुबह) उट्ठहामि।
मैं सुबह उठती/उठता हूँ।
उट्ठहित्वा मात-पितुनो दस्सनं(दर्शन) करोमि।
उठकर मात-पिता के दर्शन करती/करता हूँ।
बुद्धं वन्दामि।
बुद्ध को वन्दन करती/करता हूँ।
ततो एकं चसकं(गिलास) जलं पिबामि।
उसके बाद एक गिलास जल पीती/पीता हूँ।

ततो पात-किरिया(प्रातः क्रिया) सम्पादेमि।
उसके बाद प्रातः क्रिया का सम्पादन करती/करता हूँ ।
ततो दन्त मज्जनं, मुख धोवनं करोमि।
उसके बाद दन्त मन्जन, मुंह धोती/धोता हूँ ।
वत्थेन(वस्त्र से) मुखं पुच्छामि।
वस्त्रा के मुंह पोंछती/पोंछता हूँ ।
अनन्तरं पात-भमणं करोमि।
अनन्तर प्रातः भ्रमण करती/करता हूँ ।
पात-भमणं आरोग्यकारी।
प्रातः भ्रमण आरोग्यकारी होती है।
पात वायु सुखकारी।
प्रातः वायु सुखकारी होती है।
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24. 06. 2020
अज्ज पाठो
जेट्ठ  माणवकानं
अ’कारान्त नपुंसकलिंगे सद्दा-
पानं, पीठं(कुर्सी), पुञ्ञं, पुप्फं, पदुमं, पोत्थकं, फलं, बलं,
बीजं, भण्डं, भवनं, भुवनं, भुसनं, मरणं, मंगलं, मासं, मुखं,
मूलं, मित्तं, यानं, युद्धं, योत्तं(धागा), योब्बनं, रट्ठं, रञ्ञं, रमणं,
रसं, लिंग, लेखनं(पत्र), लोचनं, लोणं, लोहं, वत्थं, वदनं, वण्णं,
वनं, विहारं, वातं, सरीरं, सयनं, साटकं(पोसाक), साधनं, सुखं,
सुसानं(श्मशान), सुवण्णं, सीलं, सेवनं, सोतं, सोपानं, हदयं, हिरञ्ञं (सोना) आदि।

सरलानि वाक्यानि-
सो पुप्फेहि बुद्धं पूजेति। रुक्खे फलानि सोभन्ति।
सकुणा फलानि खादन्ति। फलानि रूक्खेहि पतन्ति।
फलेसु जलं दिस्सति। उय्याने रुक्खा कम्पन्ति।
यानेहि कुमारा उय्यानं गच्छन्ति। याचको गामे भत्तं याचति।
तस्स हदये दुक्खं दिस्सति। रुक्खस्स मूलं जीरति।
दासो तळाकस्मिं वत्थानि धोवति। पुञ्ञं सुखस्स कारणं भवति
नरा आपणेहि भण्डानि किणन्ति। कस्सका खेत्तेसु बीजानि वपन्ति।
कस्सका तळाकस्मा उदकं आहरन्ति। सुखकारी धनं अज्जेति।
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कनिट्ठ माणवकानं
वत्तमान कालो
पुरिस- एकवचन- अनेकवचन
पठम पुरिसो: गच्छामि- गच्छाम
मज्झिम पुरिसो: गच्छसि- गच्छथ
अञ्ञं पुरिसो: गच्छति- गच्छन्ति।

सरलानि वाक्यानि-
एकवचन- अनेकवचन
अहं बुद्धं नमामि। मयं बुद्धं नमाम।
अहं विज्झालयं गच्छामि। मयं विज्झालयं गच्छाम।
अहं खेतं गच्छामि। मयं खेतं गच्छाम।

त्वं बुद्धं नमसि। तुम्हे बुद्धं नमथ।
त्वं विज्झालयं गच्छसि। तुम्हे विज्झालयं गच्छथ।
त्वं खेतं गच्छसि। तुम्हे खेतं गच्छथ।

सो/सा बुद्धं नमति। ते बुद्धं नमन्ति।
सो/सा विज्झालयं गच्छति। ते विज्झालयं गच्छन्ति।
सो/सा खेतं गच्छति। ते खेतं गच्छन्ति।
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25. 06. 2020
जेट्ठ माणवकानं
सम्बन्धवाचक(अन्य पुरिस) सर्वनाम

1. सो/सा (वह)
पुल्लिंग-
कारक: विभत्ति एकवचन- अनंकवचन
पठमा: (वह) सो, स्यो- ते, ने
दुतिया: (उसको) तं, नं - ते, ने
ततिया: (उससे) तेन- तेहि, तेभि
चतुत्थी: (उसके लिए) तस्स- तेसं, तेसांनं
पंचमी: (उससे) तस्मा, तम्हा- तेहि, तेभि
छट्ठी: (उसका) तस्स- तेसं, तेसानं
सत्तमी: (उस में) तस्मिं, तम्हि- तेसु

वाक्यानि पयोगा-
तस्स भरिया गिलाना अत्थि।
ताय पुत्तो वणिज्जं करोति।
वेज्जो तस्स भरियं परिक्खति।
तव भाता आपणम्हा आगच्छति।
अहं तव पत्थनं अधिवासेमि।
तं अहं दासब्या मोचेमि।

तेसं धनेन मे किं पयोजनं?
त्वं तं गामं नयसि।
भिक्खु तस्स उपकारं सरित्वा पब्बाजेति।
तस्मिं तस्स सो किंकरो अपि नहायति।

सकुणा तेहि रुक्खेहि डयन्ति, कपयो धावन्ति।
ते ते न लभिंसु।
तस्मिं पुमे दारको निसिन्नो होति।
गहपतिनं गजा यस्मिं तड़ागे नहायिंसु।
तस्मिं तस्स सो किंकरो अपि नहायि।
बुद्धो तेसं सावकानं  उपदेसति।
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26. 06. 2020
जेट्ठ माणवकानं 
अज्ज पाठो
सा (वह)

इत्थिलिंग-
कारक: एकवचन- अनेकवचन
पठमा: सा- ता, तायो
दुतिया: तं, नं - ता, तायो
ततिया: ताय- ताहि, ताभि
चतुत्थी: ताय, तस्सा, तिस्सा, तिस्साय- तांसं, तासानं
पंचमी: ताय- ताहि, ताभि
छट्ठी: ताय, तस्सा, तिस्सा, तिस्साय- तासं, तासानं
सत्तमी: तायं, तस्सं, तिस्सं- तासु,

नपुंसकलिंग-
कारक: एकवचन- अनेकवचन
पठमा: तं- तानि
दुतिया: तं- तानि; सेस पुल्लिंग के समान।

वाक्यानि पयोगा-
सा आकासे सुरियं  पस्सति।
ता साधुरुपेन पोत्थकानि पठन्ति।
सा नहायितुं नदिं गच्छति।
ताय पुत्तो वणिज्जं करोति।
तस्सा भाता बहु सम्मा गायति।
ताय भत्तु गिलाना अत्थि।
ताय मातुलो बहु पलापेति।
सा संवच्छरं जीवतु।
कदा  सा वनिता सस्सुया गेहं आगच्छति ?
तं कस्स हेतु ? वह किस लिए है ?
तानि कानि बीजानि होन्ति ?
वे किस प्रकार के बीज होते हैं ?

अज्ज सा किं करोति ?
सा नारी ते किं होति ?
का नाम ता आचरिया ?

कायं दिसायं ताय जननी इदानि वसति ?
सा एकं वदति, ताय भत्तु अञ्ञं वदति।
यं त्वं इच्छसि, तं ताय आरोचेहि।
तायो सिस्सायो तस्मा आचरियस्मा पठन्ति।
ता रुक्खेसु कपयो पस्सन्ति, तस्मा हसन्ति।

महिन्दस्स किंकरो तस्स गामस्स तस्मिं तड़ागस्मिं वत्थानि धोवन्ति।
ते तस्स गामस्स तस्मिं तड़ागस्मिं महिसं धोवन्ति।
सुवण्णकारानं गामे ये आचरियो वसति, तस्स अंजलिस्मिं  अहं पाणिना मणिं ददामि।
त्वं तस्मिं समुद्दे केन पोतेन गच्छसि?
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26. 06. 2020
कनिट्ठ  माण वकानं
विभत्तिरूप और उस पर आधारित वाक्य
'बुद्ध'
कारक- एकवचन/अनेकवचन
कर्ता- बुद्धो/बुद्धा
कर्म- बुद्धं/ बुद्धे
करण- बुद्धेन/बुद्धेहि, बुद्धेभि
सम्प्रदान- बुद्धाय, बुद्धस्स/बुद्धानं
अपादान- बुद्धस्मा, बुद्धा/बुद्धेहि, बुद्धेभि
सम्बन्ध- बुद्धस्स/बुद्धानं
अधिकरण- बुद्धे, बुद्धस्मिं, बुद्धम्हि/बुद्धेसु
संबोधन- बुद्धा/बुद्धा

कारक- विभत्ति
कर्ता- ने
कर्म- को
करण- से
सम्प्रदान - को, के, लिए
अपादान-  से
सम्बन्ध - का, के, की
अधिकरण- में, पर, पास
संबोधन- हे , अजी, अरे !

सरनीयं-
1. पालि में वाक्य बनाने के लिए कत्ता(कर्ता) के परे  'ओ', 'आ', 'अं', 'ए', 'एन', 'एहि', 'एभि' आदि  जो कारक चिन्ह लगाते हैं, उन्हें ही 'विभत्ति' कहते हैं। यथा-
बुद्ध+ओ (बुद्धो), बुद्ध+ आ(बुद्धा)।
बुद्ध+अं(बुद्धं), बुद्ध+ए(बुद्धे)।
बुद्ध+एन (बुद्धेन), बुद्ध+एहि(बुद्धेहि), बुद्ध+एभि(बुद्धेभि) आदि.

2.  इन्हें स्मरण करना बहुत सरल है।
अनेकवचन में बहुधा 'ततिया' और 'पञ्चमी' के रूप समान होते हैं।
उसी प्रकार अनेकवचन में ही 'चतुत्थी' और 'छट्ठी' के रूप भी समान होते हैं।

3. दुतिया में 'अहं बुद्धं नमामि' (मैं बुद्ध को नमन करती/करता हूँ ) की तरह बनते हैं।
ततिया में 'अहं हत्थेन लिखामि'(मैं हाथ से लिखती/लिखता हूँ ) की तरह वाक्य होते हैं।
चतुत्थी में अहं भिक्खुस्स दानं देमि' (मैं भिक्खु को दान देती/देता हूँ ) की तरह वाक्य होते हैं।
पञ्चमी 'दूरी' को इंगित करता है।  यथा-  फलं रुक्खस्मा पतति(फल पेड़ से गिरता है )।
छट्ठी 'सम्बन्ध' बतलाता है।  यथा- मम पुत्तस्स नाम आनन्दो।
सत्तमी 'आधार' को इंगित करता है।  यथा- हत्थे पञ्च अंगुलियो होन्ति।

पयोगा-
1. पठमा(कत्ता) विभत्ति
एकवचन/अनेकवचन
बालको गच्छति/ बालका गच्छन्ति।
बालक जाता है/ बालक जाते हैं।
बालिका पठति/बालिकायो पठन्ति।
बालिका जाती है/बालिकाएं जाती हैं।

2. दुतिया(कम्मं) विभत्ति-
बालिका बुद्धं सरणं गच्छति। बालिकायो बुद्धं सरण गच्छन्ति।
बालिका बुद्ध की शरण जाती है। बालिकाएं बुद्ध की शरण जाती हैं।
सो गामं गच्छति/ते गामं गच्छन्ति।
वह गावं जाता है/वे गावं जाते हैं।

3.  ततिया(करण) विभत्ति-
सा यानेन गामं गच्छति। ते यानेहि गामं गच्छन्ति।
वह वाहन से गावं जाती है/ वे वाहन से गावं जाते हैं।
बालको दंडेन सप्पं पहरति। बालका दंडेहि सप्पं पहरन्ति।
बालक डंडे से सांप को मारता है। बालक डंडों से सांप मारते हैं।
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27. 06. 2020
जेट्ठ माणवकानं
सम्बन्धवाचक(अन्य पुरिस) सर्वनाम
पुल्लिंग- 'सो'(वह )
कारक: विभत्ति एकवचन- अनेकवचन
पठमा: (वह)   सो, स्यो- ते, ने
दुतिया: (उसको)  तं, नं - ते, ने
ततिया: (उससे)  तेन- तेहि, तेभि
चतुत्थी: (उसके लिए)  तस्स- तेसं, तेसांनं
पंचमी: (उससे)  तस्मा, तम्हा- तेहि, तेभि
छट्ठी: (उसका)  तस्स- तेसं, तेसानं
सत्तमी: (उस में)  तस्मिं, तम्हि- तेसु

इत्थिलिंग- 'सा'(वह)
कारक: एकवचन- अनेकवचन
पठमा: सा- ता, तायो
दुतिया: तं, नं - ता, तायो
ततिया: ताय- ताहि, ताभि
चतुत्थी: ताय, तस्सा, तिस्सा, तिस्साय- तांसं, तासानं
पंचमी: ताय- ताहि, ताभि
छट्ठी: ताय, तस्सा, तिस्सा, तिस्साय- तासं, तासानं
सत्तमी: तायं, तस्सं, तिस्सं- तासु,

नपुंसकलिंग-
कारक: एकवचन- अनेकवचन
पठमा: तं- तानि
दुतिया: तं- तानि; सेस पुल्लिंग के समान।

वाक्यानि पयोगा-
अज्ज सा किं करोति ?
सा नारी ते किं होति ?
का नाम ता आचरिया ?

तानि कानि बीजानि होन्ति ?
वे किस प्रकार के बीज होते हैं ?

कायं दिसायं ताय जननी इदानि वसति ?
सा एकं वदति, ताय भत्तु अञ्ञं वदति।
यं त्वं इच्छसि, तं ताय आरोचेहि।
तायो सिस्सायो तस्मा आचरियस्मा पठन्ति।
ता रुक्खेसु कपयो पस्सन्ति, तस्मा हसन्ति।

महिन्दस्स किंकरो तस्स गामस्स तस्मिं तड़ागस्मिं वत्थानि धोवन्ति।
ते तस्स गामस्स तस्मिं तड़ागस्मिं महिसं धोवन्ति।
सुवण्णकारानं गामे ये आचरियो वसति, तस्स अंजलिस्मिं  अहं पाणिना मणिं ददामि।
त्वं तस्मिं समुद्दे केन पोतेन गच्छसि?
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26. 06. 2020
कनिट्ठ  माण वकानं
विभत्तिरूप और उस पर आधारित वाक्य
'बुद्ध'
कारक- एकवचन/अनेकवचन
कर्ता- बुद्धो/बुद्धा
कर्म- बुद्धं/ बुद्धे
करण- बुद्धेन/बुद्धेहि, बुद्धेभि
सम्प्रदान- बुद्धाय, बुद्धस्स/बुद्धानं
अपादान- बुद्धस्मा, बुद्धा/बुद्धेहि, बुद्धेभि
सम्बन्ध- बुद्धस्स/बुद्धानं
अधिकरण- बुद्धे, बुद्धस्मिं, बुद्धम्हि/बुद्धेसु
संबोधन- बुद्धा/बुद्धा

कारक- विभत्ति
कर्ता- ने
कर्म- को
करण- से
सम्प्रदान - को, के, लिए
अपादान-  से
सम्बन्ध - का, के, की
अधिकरण- में, पर, पास
संबोधन- हे , अजी, अरे !

सरनीयं-
1. पालि में वाक्य बनाने के लिए कत्ता(कर्ता) के परे  'ओ', 'आ', 'अं', 'ए', 'एन', 'एहि', 'एभि' आदि  जो कारक चिन्ह लगाते हैं, उन्हें ही 'विभत्ति' कहते हैं। यथा-
बुद्ध+ओ (बुद्धो), बुद्ध+ आ(बुद्धा)।
बुद्ध+अं(बुद्धं), बुद्ध+ए(बुद्धे)।
बुद्ध+एन (बुद्धेन), बुद्ध+एहि(बुद्धेहि), बुद्ध+एभि(बुद्धेभि) आदि.

2.  इन्हें स्मरण करना बहुत सरल है।
अनेकवचन में बहुधा 'ततिया' और 'पञ्चमी' के रूप समान होते हैं।
उसी प्रकार अनेकवचन में ही 'चतुत्थी' और 'छट्ठी' के रूप भी समान होते हैं।

3. दुतिया में 'अहं बुद्धं नमामि' (मैं बुद्ध को नमन करती/करता हूँ ) की तरह बनते हैं।
ततिया में 'अहं हत्थेन लिखामि'(मैं हाथ से लिखती/लिखता हूँ ) की तरह वाक्य होते हैं।
चतुत्थी में अहं भिक्खुस्स दानं देमि' (मैं भिक्खु को दान देती/देता हूँ ) की तरह वाक्य होते हैं।
पञ्चमी 'दूरी' को इंगित करता है।  यथा-  फलं रुक्खस्मा पतति(फल पेड़ से गिरता है )।
छट्ठी 'सम्बन्ध' बतलाता है।  यथा- मम पुत्तस्स नाम आनन्दो।
सत्तमी 'आधार' को इंगित करता है।  यथा- हत्थे पञ्च अंगुलियो होन्ति।

पयोगा-
1. पठमा(कत्ता) विभत्ति
एकवचन/अनेकवचन
बालको गच्छति/ बालका गच्छन्ति।
बालक जाता है/ बालक जाते हैं।
बालिका पठति/बालिकायो पठन्ति।
बालिका जाती है/बालिकाएं जाती हैं।

2. दुतिया(कम्मं) विभत्ति-
बालिका बुद्धं सरणं गच्छति। बालिकायो बुद्धं सरण गच्छन्ति।
बालिका बुद्ध की शरण जाती है। बालिकाएं बुद्ध की शरण जाती हैं।
सो गामं गच्छति/ते गामं गच्छन्ति।
वह गावं जाता है/वे गावं जाते हैं।

3.  ततिया(करण) विभत्ति-
सा यानेन गामं गच्छति। ते यानेहि गामं गच्छन्ति।
वह वाहन से गावं जाती है/ वे वाहन से गावं जाते हैं।
बालको दंडेन सप्पं पहरति। बालका दंडेहि सप्पं पहरन्ति।
बालक डंडे से सांप को मारता है। बालक डंडों से सांप मारते हैं।
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28. 06. 2020
कनिट्ठ  माणवकानं
पूर्व में हमने 'पठमा', 'दुतिया', 'ततिया'  विभक्ति ठीक ढंग से पढ़ लिया है.
अब हम 'चतुत्थी'  विभक्ति पढ़ेंगे-
चतुत्थी विभक्ति
'बुद्ध' शब्द की चतुत्थी विभक्ति होती है-  बुद्धस्स/ बुद्धाय
पालि  में कहीं-कहीं 'बुद्धस्स' आता है तो कहीं कहीं 'बुद्धाय'।
'बुद्धस्स/बुद्धाय' का अर्थ है- बुद्ध को/ बुद्ध के लिए।
कुछ लोग 'बुद्धस्स' को 'बुद्धस्य' लिखते हैं, जो कि पालि शब्द नहीं है।  यह संस्कृत शब्द है.

अब हम 'बुद्धस्स/बुद्धाय' शब्द के प्रयोग देखेंगे-
1. नमो सम्मा सम्बुद्धस्स।
सम्मा सम्बुद्ध को/के लिए नमन है।
2. सत्था भिक्खुस्स धम्मं देसेति।
सत्था भिक्खु को धम्म-देशना करते है।
3. भगवा निब्बानाय अट्ठंगिक मग्गं वदति।
बुद्ध निर्वाण के लिए अट्ठंगिक-मार्ग बतलाते है।
4. भगवा लोकहिताय धम्मं देसति।
बुद्ध लोकहित के लिए धम्म की देशना करते हैं।
5. जना भगवा धम्मस्स पसंसन्ति।
लोग बुद्ध के धम्म के लिए प्रशंसा करते हैं।
6. धम्मट्ठस्स सच्चं रोचति।
धर्मनिष्ठ को सत्य रुचिकर होता है।
7. सुनन्दा बुद्धस्स पुप्फं देति।
सुनन्दा बुद्ध को पुश्ष्प देती है।
8. जोति बोधि-रुक्खस्स जलं देति।
जोति बोधि-वृक्ष को जल देती है।
9. सुजाता भिक्खुस्स भोजनं देति।
सुजाता भिक्खु को भोजन देती है।
10. आसा याचकस्स दानं देति।
आशा याचक को दान देती हैं।
11. लोक अत्थाय अमतो पालि पाठेति।
लोकहित के लिए अमृत पालि पढ़ाते हैं।
12. पिता पुत्ताय धनं निदहति।
पिता पुत्र के लिए धन जमीन में गाड़ता है।
13. सुदो भोजनं पाकाय घरं गच्छति।
रसोइया भोजन पकाने के लिए घर जाता है।
14. दुद्धं कायस्स बलं देति।
दुध काया को बल देता है।
15. दुज्जना गुणवन्तस्स उसुयति।
दुर्जन गुणवन्त की ईर्ष्या करते हैं।
16. दलित बाम्हणस्स सप्पन्ति।
दलित ब्राह्मण को कोसते हैं।
17. जना बहुभाणिस्स निन्दन्ति।
लोग बहुत-भाषी के लिए निन्दा करते हैं।
18. अलं मल्लो मल्लस्स।
पहलवान के लिए पहलवानी नहीं।
19. विवेको परिवार भरणाय समत्थो अत्थि।
विवेक परिवार भरण-पोषण के लिए समर्थ है।
20. सोत्थि होतु सब्बस्स।
सभी के लिए भला हो।
21. सोत्थि होति ते सब्बदा।
तुम्हारा सदा के लिए भला हो।
22. धतं कायस्स बलं देति।
दुध काया को बल देता है।
23. पालक साकं सरीराय लाभकारी।
24. कारवेल्ल साकं सरीराय लाभकारी।
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जेट्ठ  माणवकानं
अज्ज पाठो
एत(यह) : नजदीक/पास के लिए
पुल्लिंंगे-
विभत्ति एकवचनं अनेकवचन
पठमा- एसो एते
द्वितिया- एतं, एनं एते, एने
ततिया- एतेन एतेहि, एतेभि
चतुत्थी- एतस्स एतेसं, एतेसानं
पञ्चमी- एतस्मा, एतम्हा एतेहि, एतेभि
छट्ठी- एतस्स एतेसं, एतेसानं
सत्तमी- एतस्मिं , एतम्हि एतेसु
वाक्यानि पयोगा-
'एसो' का वाक्य प्रयोग 'सो' के समान ही होगा।
फर्क यह है कि 'एसो' नजदीक/पास के लिए प्रयोग होता है, वही, 'सो' दूर के लिए.
जैसे यदि कोई बालक पास में खड़ा है तो कहेंगे-
एसो बालको बहु सुन्दरो दिस्सति।
यह बालक बहुत सुन्दर दिखता है।
और दूर खड़ा है तो कहेंगे-
सो बालको सुन्दरो दिस्सति।
अर्थात वह बालक सुन्दर दिखता है। आदि
इसी प्रकार 10 छोटे-छोटे वाक्य आप स्वयं बनाएं।
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29. 06. 2020
कनिट्ठ  एवं जेट्ठ  माणवकानं
अज्ज पाठो
(2.) वत्तमान कालो: उत्तमो पुरिसो
1. लिखति- लिखता है। अहं लिखामि। मयं लिखाम ।
मैं लिखता हूँ। हम लिखते हैं ।
इसी प्रकार वाक्य बनाईये-
57. जीवति-  जीता है। .................................।............................।
58. पालेति- पालता है। .................................।............................।
59. सन्तप्पति- सन्तापित होता है। .......................।.......................।
60. तोलेति- तौलता है। ................................।.............................।
61. दण्डेति- दण्डित करता है। ..........................।..........................।
62. पवहति- बहता है।  ...............................।.............................।
63. निसीदति- बैठता है। ...............................।.............................।
64. उपदिसति- उपदेश करता है। .........................।.......................।
65. उच्चारेति- उच्चारण करता है। ......................।........................।
66. नमक्करोति- नमस्कार करता है। .......................।....................।
67. पाठेति- पढाता है। ............................।.................................।
68. आचरेति- आचरण करता है। .................।..............................।
69. दस्सेति- दिखाता है। .........................।.................................।
70. वित्थारेति- विस्तारित करता है। ...............।............................।
71. पतति- गिरता है। .......................।......................................।
72. सरति- स्मरण/याद करता है। ...............।..............................।
73. पेसेति- भेजता है। ..................................।...........................।
74. फुसति- स्पर्श करता है। ...................।.................................।
75. पसंसति- प्रशंसा करता है। .......................।............................।
76. जालेति- जलाता है। ...............................।............................।
77. निब्बापेति- बुझाता है। ..........................।...............................।
78. सिब्बति- सीलाई करता है। ........................।...........................।
79. होति/भवति- होता है। .........................।.................................।
80. अत्थि/वत्तति- है। ..............................।.................................।
81. गण्हाति- ग्रहण करता है। ..........................।...............  .........।
82. जानाति- जानता है। .............................।................................।
83. सक्कोति/अरहति- सकता है। ...............।.................................।
84. फलति- फलता है। ...................।.........................................।
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30. 06.2020
कनिट्ठ एवं जेट्ठ  माणवकानं
अज्ज पाठो
(2.) वत्तमान कालो: मज्झिमो पुरिसो
1. लिखति- लिखता है। त्वं लिखसि। तुम्हे लिखथ ।
तू लिखता है। तुम लोग लिखते हों ।
इसी प्रकार वाक्य बनाईये-
57. जीवति-  जीता है। .................................।............................।
58. पालेति- पालता है। .................................।............................।
59. सन्तप्पति- सन्तापित होता है। .......................।.......................।
60. तोलेति- तौलता है। ................................।.............................।
61. दण्डेति- दण्डित करता है। ..........................।..........................।
62. पवहति- बहता है।  ...............................।.............................।
63. निसीदति- बैठता है। ...............................।.............................।
64. उपदिसति- उपदेश करता है। .........................।.......................।
65. उच्चारेति- उच्चारण करता है। ......................।........................।
66. नमक्करोति- नमस्कार करता है। .......................।....................।
67. पाठेति- पढाता है। ............................।.................................।
68. आचरेति- आचरण करता है। .................।..............................।
69. दस्सेति- दिखाता है। .........................।.................................।
70. वित्थारेति- विस्तारित करता है। ...............।............................।
71. पतति- गिरता है। .......................।......................................।
72. सरति- स्मरण/याद करता है। ...............।..............................।
73. पेसेति- भेजता है। ..................................।...........................।
74. फुसति- स्पर्श करता है। ...................।.................................।
75. पसंसति- प्रशंसा करता है। .......................।............................।
76. जालेति- जलाता है। ...............................।............................।
77. निब्बापेति- बुझाता है। ..........................।...............................।
78. सिब्बति- सीलाई करता है। ........................।...........................।
79. होति/भवति- होता है। .........................।.................................।
80. अत्थि/वत्तति- है। ..............................।.................................।
81. गण्हाति- ग्रहण करता है। ..........................।...............  .........।
82. जानाति- जानता है। .............................।................................।
83. सक्कोति/अरहति- सकता है। ...............।.................................।
84. फलति- फलता है। ...................।.........................................।

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