Saturday, May 9, 2020

Pali learning Lesson May 2020)

धम्म बंधुओं,  'आओ पालि सीखें' वाट्स-एप ग्रुप के द्वारा आपको घर बैठे, आपके समय/सुविधानुसार पालि भाषा सीखाने का प्रयास किया जाता है।
प्रत्येक दिन करीब 9.00 बजे वाट्सएप ग्रुप पर पढाया जाने वाला पाठ/अभ्यास पोस्ट किया जाता है और 16.00 से 17.00 के मध्य आन-लाइन क्लास ली जाती है। इच्छुक  उपासक/उपासिका इस ग्रुप में शामिल होकर नि:शुल्क पालि भाषा सीख सकते हैं।  -Contact No.  09630826117

9. 05. 2020
पठंमो पाठो
(1 से 20 तक )
संख्या-
1- एकं
2- द्वे
3- तीणि
4- चत्तारि
5- पञ्च
6- छह
7- सत्त
8- अट्ठ
9- नव
10- दस

11- एकादस
12- द्वादस/बारस
13- तेळस/तेरस
14- चतुद्दस
15- पञ्चदस/पण्णरस
16- सोळस
17- सत्तदस/सत्तरस
18- अट्ठादस/अट्ठारस
19- एकूनवीसति
20- वीसति
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10. 05. 2020
अज्ज पाठो
(1) वत्तमान कालो: उत्तमो पुरिसो
1. लिखति- लिखता है। 
अहं लिखामि। मयं लिखाम।
मैं लिखता हूॅं। हम लिखते हैं।
इसी प्रकार वाक्य बनाईये-
2. धावति- दौड़ता है। .................................।.................................।
3. चलति- चलता है। .................................।.................................।
4. पठति- पढ़ता है। ...................................।.................................।
5. खेलति- खेलता है। ................................।.................................।
6. नमति- नमन करता है। ..........................।.................................।
7. पस्सति- देखता है।  ...............................।.................................।
8. निसीदति- बैठता है। ...............................।.................................।
9. उट्ठहति- उठता है। ...............................।.................................।
10. विहरति- विहार करता है। ......................।................................।
11. नहायति- नहाता है। ..............................।.................................।
12. इच्छति- इच्छा करता है। ........................।.................................।
13. चजति- त्याग करता है। .........................।.................................।
14. देति- देता है। .......................................।.................................।
15. खादति- खाता है। ..................................।.................................।
16. याचति- याचना करता है। .......................।.................................।
17. नच्चति- नाचता है। ................................।.................................।
18. धोवति- धोता है। ..................................।.................................।
19. सुणोति- सुनता है। ................................।.................................।
20. निन्दति- निन्दा करता है। .......................।.................................।
21. गायति- गाता है। ..................................।.................................।
22. पिबति- पीता है। ..................................।.................................।
23. सयति- सयन करता है। ........................।.................................।
24. रक्खति- रक्षा करता है। .........................।.................................।
25. खिप्पति- फेंकता है। ..............................।.................................।
26. सेवति- सेवा करता है। ..........................।.................................।
27. कम्पति- काम्पता है। .............................।.................................।
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10.05.2020
(2.) वत्तमान कालो: मज्झिमो पुरिसो
1. लिखति- लिखता है। 
त्वं लिखसि। तुम्हे लिखथ।
तू  लिखता है। तुम लोग लिखते हों।
इसी प्रकार वाक्य बनाईये-
2. धावति- दौड़ता है। .................................।.................................।
3. चलति- चलता है। .................................।.................................।
4. पठति- पढ़ता है। ...................................।.................................।
5. खेलति- खेलता है। ................................।.................................।
6. नमति- नमन करता है। ..........................।.................................।
7. पस्सति- देखता है।  ...............................।.................................।
8. निसीदति- बैठता है। ...............................।.................................।
9. उट्ठहति- उठता है। ...............................।.................................।
10. विहरति- विहार करता है। ......................।................................।
11. नहायति- नहाता है। ..............................।.................................।
12. इच्छति- इच्छा करता है। ........................।.................................।
13. चजति- त्याग करता है। .........................।.................................।
14. देति- देता है। .......................................।.................................।
15. खादति- खाता है। ..................................।.................................।
16. याचति- याचना करता है। .......................।.................................।
17. नच्चति- नाचता है। ................................।.................................।
18. धोवति- धोता है। ..................................।.................................।
19. सुणोति- सुनता है। ................................।.................................।
20. निन्दति- निन्दा करता है। .......................।.................................।
21. गायति- गाता है। ..................................।.................................।
22. पिबति- पीता है। ..................................।.................................।
23. सयति- सयन करता है। ........................।.................................।
24. रक्खति- रक्षा करता है। .........................।.................................।
25. खिप्पति- फेंकता है। ..............................।.................................।
26. सेवति- सेवा करता है। ..........................।.................................।
27. कम्पति- काम्पता है। .............................।.................................।
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11. 05. 2020
(3.) वत्तमान कालो: अञ्ञो पुरिसो
1. लिखति- लिखता है। 
सो लिखति। ते लिखन्ति।
वह लिखता है। वे लिखते हैं।
इसी प्रकार वाक्य बनाईये-
2. धावति- दौड़ता है। .................................।.................................।
3. चलति- चलता है। .................................।.................................।
4. पठति- पढ़ता है। ...................................।.................................।
5. खेलति- खेलता है। ................................।.................................।
6. नमति- नमन करता है। ..........................।.................................।
7. पस्सति- देखता है।  ...............................।.................................।
8. निसीदति- बैठता है। ...............................।.................................।
9. उट्ठहति- उठता है। ...............................।.................................।
10. विहरति- विहार करता है। ......................।................................।
11. नहायति- नहाता है। ..............................।.................................।
12. इच्छति- इच्छा करता है। ........................।.................................।
13. चजति- त्याग करता है। .........................।.................................।
14. देति- देता है। .......................................।.................................।
15. खादति- खाता है। ..................................।.................................।
16. याचति- याचना करता है। .......................।.................................।
17. नच्चति- नाचता है। ................................।.................................।
18. धोवति- धोता है। ..................................।.................................।
19. सुणोति- सुनता है। ................................।.................................।
20. निन्दति- निन्दा करता है। .......................।.................................।
21. गायति- गाता है। ..................................।.................................।
22. पिबति- पीता है। ..................................।.................................।
23. सयति- सयन करता है। ........................।.................................।
24. रक्खति- रक्षा करता है। .........................।.................................।
25. खिप्पति- फेंकता है। ..............................।.................................।
26. सेवति- सेवा करता है। ..........................।.................................।
27. कम्पति- काम्पता है। .............................।.................................।
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12. -5. 2020
अभ्यास
1. अनेकवचन बनाएं-
एकवचन - अनेकवचन
अहं खेलामि।  ----------------------।
अहं पूजेमि।  ----------------------।
अहं चलामि। ----------------------।

त्वं निसीदसि।  ----------------------।
त्वं नहायसि। ----------------------।
त्वं इच्छसि।   ----------------------।

सो लज्जति। ----------------------।
बालको गच्छति।  ----------------------।
माणवको  लिखति। ----------------------।

2. एकवचन बनाएं-
--------------।  मयं देम।
 --------------।  मयं याचाम।
--------------। मयं नच्चाम।

--------------।  तुम्हे सुणोथ।
 --------------।  तुम्हे पिबथ ।
--------------।  तुम्हे पुच्छथ।

--------------।  ते रक्खन्ति।
--------------। ते  गायन्ति।
--------------।  ते आगच्छन्ति।

3. पालि में वाक्य बनाएं-
मैं पढ़ता हूँ।  हम पढ़ते हैं।
------------।  ------------------।
मैं त्यागता हूँ।  हम त्यागते हैं।
------------।  ------------------।
मैं दौड़ता हूँ।  हम दौड़ते हैं।
------------।  ------------------।
तू निंदा करता है।  तुम लोग निंदा करते हो।
------------।  ------------------।
तू धोता है।  तुम लोग धोते हो।
------------।  ------------------।
तू सोता है।  तुम लोग सोते हो।
------------।  ------------------।
 वह उठता है।  वे उठते हैं।
------------।  ------------------।
वह विहार करता है।  वे विहार करते हैं।
------------।  ------------------।
वह नमन करता है।  वे नमन करते हैं।
------------।  ------------------।

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13. 05. 2020
एसो/एसा/एतं और सो/सा/तं  पयोगा-
समीपेः एकवचन- एसो/एसा/एतं
1. एसो
एसो बालको। एसो मनुस्सो। एसो नरो।
एसो धनिको। एसो दलिद्दो। एसो गोपो।
एसो गजो। एसो गद्दभो। एसो कुक्कुटो।
एसो सप्पो। सो मज्जारो।
एसो आसन्दो। एसो रुक्खो।

2. एसा
एसा कञ्ञा। एसा मातुच्छा।
एसा अजा।
एसा पताका।
एसा कुञ्चिका । एसा मञ्जूसा।
एसा तुला। एसा माला। एसा लता। एसा साखा।
एसा गीवा। एसा जिव्हा। एसा नासा।

3. एतं
एतं मुखं, एतं फलं, एतं पुप्फं, एतं पोत्थकं, एतं पण्णं, एतं उपनेत्तं।
एतं कि? किं एतं?
एतं पोत्थकं, लोचनं, मुखं,  फलं, कमलं, पुप्फं, नगरं, ओदनं, भत्तं, वाहनं, यानं, जलं, वातापानं, चीवरं, भवनं, पत्तं, पण्णं, घरं, यन्तं, सासनं, गीतं, उपनेत्तं, सोपानं, आयुधं।

दूरेः एकवचन-  सो, सा, तं
1. सो
सो आचरियो, सो सिस्सो, सो बालको। सो मनुस्सो। सो नरो। सो धनिको। सो दलिद्दो। सो गोपो।
सो वानरो,  सो पसु, सो गजो। सो अस्सो, सो गद्दभो। सो महिसो, सो कुक्कुटो। सो सप्पो। सो मज्जारो।
सो काको, सो मोरो, सो सुको(तोता), सो जंतु, सो ब्याधि, सो मच्चु
सो आसन्दो। सो रुक्खो। सो तरु, सो पब्बतो, सो सूरियो, सो गिरि, सो भानु, सो चंदो
सो भिक्खु, सो मुनि, सो साधु, सो सिसु,  सो गुरु,  सो भूपति, सो गहपति, सो ञाति(सम्बन्धी)

2. सा
सा कञ्ञा। सा मातुच्छा।
सा अजा।
सा पताका।
सा कुञ्चिका। सा मञ्जूसा।
सा तुला। सा माला। सा लता। सा साखा।
सा गीवा। सा जिव्हा। सा नासा।


3. एतं/ तं
एतं पोत्थकं, एतं लोचनं, एतं मुखं,  एतं फलं, एतं कमलं,
एतं पुप्फं, एतं नगरं, एतं ओदनं, एतं भत्तं, एतं वाहनं,
एतं यानं,एतं जलं, एतं वातापानं, एतं चीवरं, एतं भवनं,
एतं पत्तं, एतं पण्णं, एतं घरं, एतं यन्तं, एतं सासनं,
एतं गीतं, एतं उपनेत्तं, एतं सोपानं, एतं आयुधं, एतं चक्कं,
एतं चित्तं, एतं कङकण, एतं अम्बं, एतं हुदयं, एतं आलुकं,
एतं मन्दिरं, एतं द्वारं, एतं नाणकं(सिक्का), एतं कीळनकं(खिलौना),
एतं  कणहफलकं(ब्लेक बोर्ड), एतं लोचनं, एतं उय्यानं, एतं वनं,
एतं दुद्धं(दुग्ध), एतं छत्तं, एतं वत्थं, एतं धम्मपदं, एतं चेतियं,
एतं रञ्ञं, एतं वीजनं, एतं रेलयानं इच्चादि।

तं पोत्थकं, तं लोचनं, तं मुखं,  तं फलं, तं कमलं, तं पुप्फं,
तं नगरं, तं ओदनं, तं भत्तं, तं वाहनं, तं यानं,तं जलं,
तं वातापानं, तं चीवरं, तं भवनं, तं पत्तं, तं पण्णं, तं घरं,
तं यन्तं, तं सासनं, तं गीतं, तं उपनेत्तं, तं सोपानं, तं आयुधं,
तं चक्कं, तं चित्तं, तं कङकण, तं अम्बं, तं हुदयं, तं आलुकं,
तं मन्दिरं, तं द्वारं, तं नाणकं(सिक्का), तं कीळनकं(खिलौना),
तं  कणहफलकं(ब्लेक बोर्ड), तं लोचनं, तं उय्यानं, तं वनं,
तं दुद्धं(दुग्ध), तं छत्तं, तं वत्थं, तं धम्मपदं, तं चेतियं, तं रञ्ञं, तं वीजनं, तं रेलयानं इच्चादि।
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13. 05. 2020
विभत्ति पयोगा-
पठनीय(पठनीयं)-
कर्ता- बुद्धो(बुद्ध ने)
कर्म- बुद्धं(बुद्ध को)
करण- बुद्धेन(बुद्ध के द्वारा)
सम्प्रदान- बुद्धाय/बुद्धस्स(को, के लिए)
अपादान- बुद्धस्मा/बुद्धा(बुद्ध से)
सम्बन्ध- बुद्धस्स(का, के, की)
अधिकरण- बुद्धस्मिं(में, पर, पास)
संबोधन- बुद्धा(हे, अजी, अरे !)

सूत्र-
कर्ता- ने
कर्म- को
करण- से
सम्प्रदान - को, के, लिए
अपादान-  से
सम्बन्ध - का, के, की
अधिकरण- में, पर, पास
संबोधन- हे , अजी, अरे !

पयोगा-
विभत्ति पकरण
पठमा (कत्ता) विभक्ति- (ने)

1. बालको गच्छति। 1. बालिका आगच्छति। 1. बालकायो आगच्छन्ति।
   को गच्छति?       का आगच्छति?    के आगच्छन्ति?
   बालको गच्छति।    बालिका आगच्छति।    बालकायो आगच्छन्ति।
2. बुद्धो देसेति। 2. बालिका कीळति। 2. बालिकायो कीळन्ति।
   को देसेति?        का कीळति?    का किळन्ति?
   बुद्धो देसेति।    बालिका कीळति।   बालिकायो कीळन्ति।

3. दुतिया (कम्म) विभक्ति- (को)

1. अहं बुद्धं नमामि। 1. बालिका पाठसालं गच्छति।
अहं कञ्चि नमामि? बालिका कुहिं गच्छति ?
अहं बुद्धं नमामि। बालिका पाठसालं गच्छति।
2. सामणेरो धम्मपदं पठति। 2. बालको सप्पं पहरति।
सामणेरो कञ्चि पठति? बालको कञ्चि पहरति?
सामणेरो धम्मपदं पठति। बालको सप्पं पहरति।

3. महिलायो ओदनं पचन्ति। 2. गामिणा गामं गच्छन्ति।
महिलायो कञ्चि पचन्ति? के गामं गच्छन्ति?
महिलायो ओदनं पचन्ति। गामिणा गामं गच्छन्ति।
का ओदनं पचन्ति? गामिणा कञ्चि गच्छन्ति?
महिलायो अेादनं पचन्ति। गामिणा गामं गच्छन्ति।

3. सामणेरा धम्मपदं पठन्ति।
के धम्मपदं पठन्ति?
सामणेरा धम्मपदं पठन्ति।
सामणेरा कञ्चि पठन्ति?
सामणेरा धम्मपदं पठन्ति।

धेनु तिण्णं खादति।
सकुणा फलानि खादन्ति।
भिक्खुनियो गहपतानीनं ओवादं(उपदेस) देन्ति।
अहं लेखनं लिखामि।
धम्मिको सुखं वसति।
पापकारो दुक्खं सेति।
एकं समयं भगवा सावत्थियं विहरति।

दुतिया विभत्ति पयोगा-
दिवसं गेहो सुञ्ञो तिट्ठति(दिन भर घर सुना रहता है)।
माणवका वस्सं पठन्ति(विद्यार्थी वर्ष भर पढ़ते हैं)।
अड्ड मासं आगच्छति।

कम्मत्थे दुतिया विभत्ति।
निब्बति कम्मं- माता पुत्तं विजायति।
बीजं रुक्खं जनेति। कम्मं विपाकं जनेति।
आहारो बलं जनेति। जनो पुञ्ञं  करोति,
पापं करोति। बुद्धो धम्मं देसेसि।

विकति कम्मं- कट्ठं अंगारं करोति।
सुवण्णं कटकं करोति। भिक्खुं पस्सति सतं।
रुक्खं छिन्दति। विहयो लुनाति। पाणं हनति।

पकति कम्मं- गामं गच्छति। गेहं पविसति।
रुक्खं आरोहति। नदिं तरति। आदिच्चं पस्सति।
धम्मं सुणाति। बुद्धं वन्दति।

अजपालो अजं गामं नेति।
पुरिसो भारं गामं वहति।
गाविं खीरं दोहति। याचकं कम्बलं याचति।
गावियो वजं अवरुन्धति। भगवन्तं पन्हं पुच्छति।
रुक्खं फलानि ओचिनाति। सिस्सं धम्मं ब्रवीति।
भगवा भिक्खू एमदवोच। सिस्सं धम्मं अनुसासति।
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14. 05. 2020
पठनीय(पठनीयं)-
विभत्ति-
कर्ता- बुद्धो(बुद्ध ने)
कर्म- बुद्धं(बुद्ध को)
करण- बुद्धेन(बुद्ध के द्वारा)
सम्प्रदान- बुद्धाय/बुद्धस्स(को, के लिए)
अपादान- बुद्धस्मा/बुद्धा(बुद्ध से)
सम्बन्ध- बुद्धस्स(का, के, की)
अधिकरण- बुद्धस्मिं(में, पर, पास)
संबोधन- बुद्धा(हे, अजी, अरे !)

स्मरणीय(सरणीयं)-
सूत्र-
कर्ता- ने
कर्म- को
करण- से
सम्प्रदान - को, के, लिए
अपादान-  से
सम्बन्ध - का, के, की
अधिकरण- में, पर, पास
संबोधन- हे , अजी, अरे !

पयोगा-
ततिया पयोगा-
(के द्वारा, से)
1. बालको दण्डेन सप्पं पहरति। 2. धम्मो बुद्धेन देसितो
को दण्डेन सप्पं पहरति?           को बुद्धेन देसितो?
बालको दण्डेन सप्पं पहरति। धम्मो बुद्धेन देसितो।

बालको केनचि सप्पं पहरति?         धम्मो केनचि देसितो?
बालको दण्डेन सप्पं पहरति। धम्मो बुद्धेन देसितो

1. बालकायो दण्डेहि सप्पं पहरन्ति।
के दण्डेहि सप्पं पहरन्ति?
बालकायो दण्डेहि सप्पं पहरन्ति।
बालकायो केहिचि सप्पं पहरन्ति?
बालकायो दण्डेन सप्पं पहरन्ति।

2.
अहं मुखेन वदामि। अहं सोतेन सुणामि।
अहं हत्थेन लिखामि। अहं हत्थेन करियं करोमि।
अहं द्वीहि नेतेहि पस्सामि। अहं द्वीहि पादेहि चलामि।

सो बालको मुखेन वदति। सो बालको सोतने सुणाति।
सो बालको हत्थेन लिखति। सो बालको नेतेहि पस्सति।
सो बालको पादेहि चलति।
सा बालिका मुखेन वदति। सा बालिका सोतेन सुणाति।

ते पोतका (बच्चा) पादेन चलति। ते बालका मुखेन वदन्ति।
ते बालका पादेहि चलन्ति। ते बालका हत्थेन कम्मं/करियं करोन्ति।

3. आचरियो सिस्सेहि सह बुद्धविहारे आगच्छति।
को सिस्सेहि सह बुद्धविहारे आगच्छति।
आचरियो सिस्सेहि सह बुद्धविहारे आगच्छति।

आचरियो केहिचि सह बुद्धविहारे आगच्छति?
आचरियो सिस्सेहि सह बुद्धविहारे आगच्छति।

घोरेन परिस्सेन सिद्धि सुनिच्छिता होति। 
का घोरेन परिस्सेन सुनिच्छिता होति?

निद्दाय सुखस्स अनुभवो होति।
काय सुखस्स अनुभवो होति?

रत्तियं न्यूनेन भोजनेन सम्मा निद्दा होति।
रत्तियं केनचि सम्मा निद्दा होति?

घरस्स ओसघेहि आरोग्य होति।
कस्सचि ओसघेहि आरोग्य होति?

मंगलमेत्तायं सब्बेसानं कल्याणं होति।
मंगलमेत्तायं केसानं कल्याणं होति?

संखारेहि चरित-निमाणं होति।
केहिचि चरित-निमाणं होति?

ते साधुरूपेन पोत्थकानि उग्गण्हन्ति।
ते केनचि पोत्थकानि उग्गण्हन्ति।

सो पुप्फेहि बुद्धं पूजेति।
को पुप्फेहि बुद्धं पूजेति?

सिस्सा आचरियेहि पोत्थकानि उग्गण्हन्ति।
सिस्सा केहिचि पोत्थकानि उग्गण्हन्ति?

गहपति कुदालेन भूमियं कूपं खणति।
गहपति केनचि भूमियं कूपं खणति?

सो हत्थेन कम्म करोति।
सो केनचि कम्म करोति?

मयं चक्खुना पस्साम।
मयं केनचि पस्साम?

ञाणेन सुखं लभति।
केनचि सुखं लभति।

सो अक्खिणा काणो च कण्णेन वधिरो।
सो केनचि काणो च वधिरो?

सा वण्णेण अभिरूपा दिस्सति।
सा कायचि अभिरूपा दिस्सति?

सिद्धत्थो गोत्तेन गोतमो अत्थि।
को गोत्तेन गोतमो अत्थि?

धनेन हिनो दलिद्दो।
केनचि हिनो दलिद्दो?

सावधानेन करियं करोतु।
केनचि करियं करोतु?

विवादेन अळं।
केनचि अळं?

वाचाय निपुण्णो।
कायचि निपुण्णो?

कम्मकारो सीसेन भारं वहति।
को सीसेन भारं वहति?

भगवा भिक्खुसंघेन सद्धिं निसिदति।
को भिक्खुसंघेन सद्धिं निसिदति?

अहं भातरा सह आपणं गच्छामि।
अहं केनचि सह आपणं गच्छामि?

तेन समयेन भगवा आगच्छति।
केनचि समयेन भगवा आगच्छति?

जलेन विना रुक्खो सुक्खति।
तथागतेन को अञ्ञो लोकनायको?
तिदण्डकेन परिब्बाजको बुज्झति।
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15. 05. 2020
पूर्व में हमने 'पठमा', 'दुतिया', 'ततिया'  विभक्ति ठीक ढंग से पढ़ लिया है.
अब हम 'चतुत्थी'  विभक्ति पढ़ेंगे-
चतुत्थी विभक्ति
'बुद्ध' शब्द की चतुत्थी विभक्ति होती है-  बुद्धस्स/ बुद्धाय
पालि  में कहीं-कहीं 'बुद्धस्स' आता है तो कहीं कहीं 'बुद्धाय'।
'बुद्धस्स/बुद्धाय' का अर्थ है- बुद्ध को/ बुद्ध के लिए।
कुछ लोग 'बुद्धस्स' को 'बुद्धस्य' लिखते हैं, जो कि पालि शब्द नहीं है।  यह संस्कृत शब्द है.
अब हम 'बुद्धस्स/बुद्धाय' शब्द के प्रयोग देखेंगे-
1. नमो सम्मा सम्बुद्धस्स
सम्मा सम्बुद्ध को/के लिए नमन है।
2. सत्था भिक्खुस्स धम्मं देसेति।
सत्था भिक्खु को/के लिए धम्म की देशना करते है।
3. भगवा निब्बानाय अट्ठंगिक मग्गं वदति।
बुद्ध निर्वाण के लिए अट्ठंगिक-मार्ग बतलाते है।
4. भगवा लोकहिताय धम्मं देसति।
बुद्ध लोकहित के लिए धम्म की देशना करते हैं।
5, जना भगवा धम्मस्स पसंसन्ति।
लोग बुद्ध के धम्म के लिए प्रशंसा करते हैं।
6 .  धम्मट्ठस्स सच्चं रोचति।
धर्मनिष्ठ को सत्य रुचिकर होता है।
7 . सुनन्दा बुद्धस्स पुप्फं देति।
सुनन्दा बुद्ध को पुष्प देती है।
8 . जोति बोधि-रुक्खस्स जलं देति।
जोति बोधि-वृक्ष को जल देती है।
9 . सुजाता भिक्खुस्स भोजनं देति।
सुजाता भिक्खु को भोजन देती है।
10  आसा याचकस्स दानं देति।
आशा याचक को दान देती हैं।
11 . लोक अत्थाय अमतो पालि पाठेति।
लोकहित के लिए अमृत पालि पढ़ाते हैं।
12 . पिता पुत्ताय धनं निदहति।
पिता पुत्र के लिए धन जमीन में गाड़ता है।
13 . सुदो भोजनं पाकाय घरं गच्छति।
रसोइया भोजन पकाने के लिए घर जाता है।
14 . दुद्धं कायस्स बलं देति। दुध काया को बल देता है।
15 . दुज्जना गुणवन्तस्स उसुयति।
दुर्जन गुणवन्त की ईर्ष्या करते हैं।
16 . दलित बाम्हणस्स सप्पन्ति।
दलित ब्राह्मण को कोसते हैं।
17 . जना बहुभाणिस्स निन्दन्ति।
लोग बहुत-भाषी की निन्दा करते हैं।
18 . अलं मल्लो मल्लस्स
पहलवान से पहलवानी नहीं ठीक नहीं ।
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16-05-2020
चतुत्थी(संपदान)  विभत्ति
पयोगा-
1. नमो सम्मा सम्बुद्धस्स।
सम्मा सम्बुद्ध को/के लिए नमन है।
2. सत्था भिक्खुस्स धम्मं देसेति।
सत्था भिक्खु को धम्म-देशना करते है।
3. भगवा निब्बानाय अट्ठंगिक मग्गं वदति।
बुद्ध निर्वाण के लिए अट्ठंगिक-मार्ग बतलाते है।
4. भगवा लोकहिताय धम्मं देसति।
बुद्ध लोकहित के लिए धम्म की देशना करते हैं।
5. जना भगवा धम्मस्स पसंसन्ति।
लोग बुद्ध के धम्म के लिए प्रशंसा करते हैं।
6. धम्मट्ठस्स सच्चं रोचति।
धर्मनिष्ठ को सत्य रुचिकर होता है।
7. सुनन्दा बुद्धस्स पुप्फं देति।
सुनन्दा बुद्ध को पुश्ष्प देती है।
8. जोति बोधि-रुक्खस्स जलं देति।
जोति बोधि-वृक्ष को जल देती है।
9. सुजाता भिक्खुस्स भोजनं देति।
सुजाता भिक्खु को भोजन देती है।
10. आसा याचकस्स दानं देति।
आशा याचक को दान देती हैं।
11. लोक अत्थाय अमतो पालि पाठेति।
लोकहित के लिए अमृत पालि पढ़ाते हैं।
12. पिता पुत्ताय धनं निदहति।
पिता पुत्र के लिए धन जमीन में गाड़ता है।
13. सुदो भोजनं पाकाय घरं गच्छति।
रसोइया भोजन पकाने के लिए घर जाता है।
14. दुद्धं कायस्स बलं देति।
दुध काया को बल देता है।
15. दुज्जना गुणवन्तस्स उसुयति।
दुर्जन गुणवन्त की ईर्ष्या करते हैं।
16. दलित बाम्हणस्स सप्पन्ति।
दलित ब्राह्मण को कोसते हैं।
17. जना बहुभाणिस्स निन्दन्ति।
लोग बहुत-भाषी के लिए निन्दा करते हैं।
18. अलं मल्लो मल्लस्स।
पहलवान के लिए पहलवानी नहीं।
19. विवेको परिवार भरणाय समत्थो अत्थि।
विवेक परिवार भरण-पोषण के लिए समर्थ है।
20. सोत्थि होतु सब्बस्स।
सभी के लिए भला हो।
21. सोत्थि होति ते सब्बदा।
तुम्हारा सदा के लिए भला हो।
22. धतं कायस्स बलं देति।
दुध काया को बल देता है।
23. पालक साकं सरीराय लाभकारी।
24. कारवेल्ल साकं सरीराय लाभकारी।
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17.05 2020
पंचमी(अपादान) विभत्ति
पयोगा-
पंचमी विभत्ति जिसे ‘अपादान’ भी कहते हैं, का प्रयोग
‘दूरी’(पृथक होने का भाव) दिखाने के लिए होता है। यथा-
1. रुक्खस्मा अम्बफलं पतति।
वृक्ष से आम गिरता है।
2. पिप्पल तरुस्मा पण्णानि पतन्ति।
पिप्पल वृक्ष से पत्ते गिरते हैं।
3. अस्स-सवारो अस्सस्मा पतति।
अश्व सवार घोड़े से गिरता है।
4. वानरस्स सिसु रुक्खस्मा न पतति।
वानर का बच्चा पेड़ नहीं गिरता।
5. सीहो अरञ्ञस्मा निगच्छति।
सीह अरण्य से निकलता है।
6. पब्बतस्मा नदीयो पभवन्ति।
पर्वत से नदियां निकलती है।
7. पब्बतस्मा जलधारायो निज्छरन्ति।
पर्वत से जलधाराएं बाहर निकलती हैं।
8. गामस्मा खेतं पंच योजनं दूरं अत्थि।
गांव से खेत पांच योजन दूर है।
9. मयं आचरियस्मा पालि पठाम।
हम आचार्य से पालि पढ़ते हैं।
10. आचरियस्मा पणाकारं लभति।
आचार्य से पुरस्कार प्राप्त करता है।
11. भन्ते मुखस्मा सुभासिस निच्छरति।
भन्ते के मुख से सभासिस निकलते हैं।
12. मातुया हुदयस्मा ममता निच्छरति।
माता के हदय से ममता निकलती है।
13. कम्मकरस्स सरीरस्मा परिस्समं निच्छरति।
मजदूर के सरीर से मेहनत निकलती है।
14. तस्स मुखस्मा मिथ्या भासणं निच्छरति।
उसके मुख से झूठ निकलता है।
15. अकुसल कम्मसमा भयं उपज्जति।
अकुसल कर्म से भय पैदा होता है।
16. साधु पापस्मा चितं निवारेन्ति।
साधु पाप से चित की रक्षा करते हैं।
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18-05-2020
छट्ठी पयोगा-
(का, के, की)
1.  सिद्धत्थस्स पितुस्स नाम सुद्धोदनो।
भीमरावस्स पितुस्स नाम रामजी सकपालो।
असोकस्स पितुस्स नाम बिम्बिसारो।
युगपुरिस जोतिरावस्स पितुस्स नाम गोविन्दरावो।

2. मम पितुस्स नाम आवुस धम्मपालो।
मेरे पिता का नाम आवुस धम्मपाल है।
मम भतुस्स नाम सिद्धत्थो।
मेरे पति का नाम सिद्धार्थ है।
मम जेट्ठ भातुस्स नाम आवुस बुद्धरतनो।
मेरे बड़े भाई का नाम आवुस बुद्धरतन है।
मम कनिट्ठ भातुस्स नाम धम्मरत्नो।
मेरे छोटे भाई का नाम धम्मरत्न है।
मम पुत्तस्स नाम धम्मबन्धु।
मेरे पुत्र का नाम धम्मबन्धु है।
मम मातुलस्स नाम बुद्धसरणो।
मेरे मामा का नाम बुद्धशरण है।

मम ससुरस्स नाम राजवद्धनो।
मेरे ससुर का नाम राजवर्द्धन है।
मम सालकस्स नाम राहुलो।
मेरे साले का नाम राहुल है।
मम भगिनेय्यस्स नाम धम्मधरो।
मेरे भांजे का नाम धम्मरत्न है।
मम देवरस्स नाम रट्ठपालो।
मेरे देवर का नाम राष्ट्रपाल है।

3. अम्हाकं देसस्स राजधानी देहली अत्थि।
हमारे देश की राजधानी दिल्ली है।
मज्झपदेसस्स राजधानी भोपालं।
उत्तरपदेसस्स राजधानी लखनउ।
बिहारस्स राजधानी पाटलिपुत्तं।
महारट्ठस्स राजधानी मुम्बई।
अन्धपदेस्स राजधानी हेदराबाद।
राजट्ठानस्स राजधानी जयपुर।

4. गामस्स मनुस्सा कसि-कम्म करोन्ति।
गावं के लोग कृषि-कर्म करते हैं।
सो मातुलस्स अस्सं आरुहति।
वह मामा  के घोड़े पर चढ़ता है।
चोरस्स  संगति  न हितकरा।
चोर की संगति  हितकर नहीं है।
साधुस्स  संगति  करणीयं।
साधु की संगति करना चाहिए।
एकस्स एकं गुणितं एकं होति।
एक का एक गुणा एक होता है।
आलुकस्स पति-किलोगामस्स मूल्यं 40/- रुपये ।
आलू प्रति किलो ग्राम का मूल्य 40/- रुपये हैं।
मय्हं सेत वण्णं मारुती यानं बहु रोचति।
मुझे श्वेत रंग की मारुती गाड़ी बहुत अच्छी लगती है।
अम्ब फलस्स रसं मधुरं च सीतलं होति।
आम के फल का रस मधुर और शीतल होता है।

5. अम्हाकं देसस्स राजधानी देहली अत्थि।
कस्सचि राजधानी देहली अत्थि?
अम्हाकं देसस्स राजधानी देहली अत्थि।
अम्हाकं देसस्स राजधानी कुत्थ अत्थि?
अम्हाकं देसस्स राजधानी देहली अत्थि।

6. मम पितुस्स नाम आवुस धम्मपालो। सो कस्सको।
मम भतुस्स नाम सिद्धत्थो। सो अभियंतिको।
मम जेट्ठ भातुस्स नाम आवुस बुद्धरतनो। सो वक्किलो।
मम कणिट्ठ भातुस्स नाम धम्मरत्नो। सो वेज्झो।
मम पुत्तस्स नाम धम्मबन्धु। सो माणवको।
मम मातुलस्स नाम बुद्धसरणो। सो भूमिमापको।
मम ससुरस्स नाम राजवद्धनो। सो आरक्खको।
मम सालकस्स नाम राहुलो। सो गायको।
मम भगिनेय्यस्स नाम धम्मधरो। सो कम्मकारो।
मम देवरस्स नाम रट्ठपालो। सो कलाकारो।

7. सो मातुलस्स अस्सं आरुहति।
को मातुलस्स अस्सं आरुहति?
सो मातुलस्स अस्सं आरुहति।
सो कस्सचि अस्सं आरुहति।
सो मातुलस्स अस्सं आरुहति।

8. सब्बपापस्स अकरणं।
इमेसं दारकानं/इमेसु दारकेसु एसो पठमो।
एतेसं फलानं एकं गण्हातु।
सब्बेसं सत्तानं बुद्धो उत्तमो।
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19. 05. 2020
विभत्ति पयोगा-
कर्ता- बुद्धो(बुद्ध ने)
कर्म- बुद्धं(बुद्ध को)
करण- बुद्धेन(बुद्ध के द्वारा)
सम्प्रदान- बुद्धस्स, बुद्धाय(को, के लिए)
अपादान- बुद्धा, बुद्धस्मा(बुद्ध से)
सम्बन्ध- बुद्धस्स(का, के, की)
अधिकरण- बुद्धे, बुद्धम्हि, बुद्धस्मिं(में, पर, पास)
संबोधन- बुद्धा(हे, अजी, अरे !)

सूत्र-
कर्ता- ने
कर्म- को
करण- से
सम्प्रदान - को, के, लिए
अपादान-  से
सम्बन्ध - का, के, की
अधिकरण- में, पर, पास
संबोधन- हे , अजी, अरे !

सत्तमी विभत्ति-
जैसे कि हम पढ़ चुके हैं, 'सत्तमी' विभत्ति(एकवचन) में 'बुद्ध' शब्द के रूप होते हैं-
बुद्धे, बुद्धम्हि, बुद्धस्मिं।
हम यह भी पढ़ चुके हैं कि 'सत्तमी' विभत्ति जिसे
 'अधिकरण' भी कहते हैं,  के कारक चिन्ह-  में, पर, पास होते हैं।
अब हम इनका वाक्यों में प्रयोग देखेंगे।

पयोगा-
1. रजको 'तळाकस्मिं' वत्थानि धोवन्ति।
धोबी तालाब में कपडे धोता है।
सुदो 'कुम्भे' ओदनं पच्चति।
रसोइया घड़े में चावल पकाता है।
द्वारे याचको तिट्ठं अत्थि।
दरवाजे पर याचक खड़ा है।
सा बुद्ध विहारे पातकाले आगता।
वह बुद्ध विहार में प्रात:काल आयी.
मम भाता सायण्ह समये आगताे.
मेरा भ्राता शाम के समय आया।
मम घरे पञ्च जना निवसन्ति।
मेरे घर में पांच लोग रहते हैं।

2. तस्मिं समये भगवा सावत्थियं विहरति।
उस समय बुद्ध सावत्थी में विहार कर रहे थे ।
ईसा पुब्बे 563 तमे वस्से महामाया उदरी सिद्धत्थ गोतमो जातो।
ईसा पूर्व 563 में महामाया के उदर से सिद्धार्थ गोतम पैदा हुए थे।
एकूनतिंसति वस्से सिद्धत्थ गोतमो अभिनिक्खमयि।
उन्तीस वर्ष की अवस्था में सिद्धार्थ गोतम ने अभिनिष्क्रमण किया था ।
सिद्धत्थ गोतमो बेसाख पूण्णमि दिवसे सम्बोधि लभि।
सिद्धार्थ गौतम ने वैशाख पूर्णिमा के दिन सम्बोधि प्राप्त किया था ।

3. भीमा उदरी 1891 तमे वस्से बालक भिमरावो जातो।
भीमा के उदर से 1891वें वर्ष में बालक भीम पैदा हुए थे।
बाबासाहब अम्बेडकरो 1956 तमे वस्से धम्मचक्कं पवत्तयि।
बाबासाहब अम्बेडकर ने 1956 वें वर्ष में धम्म-चक्क पवत्तन किया था ।

4. भिक्खु विनये निपुण्णो होति।
भिक्खु विनय में निपुण होता है ।
धम्मधरो धम्मे निपुणो होति।
धम्मधर धम्म में निपुण होता है।
सीलवंतो सीले निपुणो होती।
शीलवन्त शील में निपुण होता है।
धम्मचारी आचार-विचार में निपुण होता है।

5. असोको, धम्मे गारवो अत्थि ।
अशोक, धम्म में गौरव हैं।

6. एकस्मि हत्थे पञ्च अंगुलियो होन्ति।
एकस्मिं मासे तिंसति दिवसा होन्ति।
एकस्मि वस्से 365 दिवसा होन्ति।
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20. 05. 2020
विभत्ति- एकवचन/अनेकवचन
कर्ता- बुद्धो/बुद्धा
कर्म- बुद्धं/ बुद्धे
करण- बुद्धेन/बुद्धेहि, बुद्धेभि
सम्प्रदान- बुद्धाय, बुद्धस्स/बुद्धानं
अपादान- बुद्धस्मा, बुद्धा/बुद्धेहि, बुद्धेभि
सम्बन्ध- बुद्धस्स/बुद्धानं
अधिकरण- बुद्धे, बुद्धस्मिं, बुद्धम्हि/बुद्धेसु
संबोधन- बुद्धा/बुद्धा

सूत्र-
कर्ता- ने
कर्म- को
करण- से
सम्प्रदान - को, के, लिए
अपादान-  से
सम्बन्ध - का, के, की
अधिकरण- में, पर, पास
संबोधन- हे , अजी, अरे !

पयोगा-
1. पठमा(कत्ता) विभत्ति
एकवचन/अनेकवचन
बालको गच्छति/ बालका गच्छन्ति।
बालक जाता है/ बालक जाते हैं।
बालिका पठति/बालिकायो पठन्ति।
बालिका जाती है/बालिकाएं जाती हैं।

2. दुतिया(कम्मं) विभत्ति-
बालिका बुद्धं सरणं गच्छति। बालिकायो बुद्धं सरण गच्छन्ति।
बालिका बुद्ध की शरण जाती है। बालिकाएं बुद्ध की शरण जाती हैं।
सो गामं गच्छति/ते गामं गच्छन्ति।
वह गावं जाता है/वे गावं जाते हैं।

3.  ततिया(करण) विभत्ति-
सा यानेन गामं गच्छति। ते यानेहि गामं गच्छन्ति।
वह वाहन से गावं जाती है/ वे वाहन से गावं जाते हैं।
बालको दंडेन सप्पं पहरति। बालका दंडेहि सप्पं पहरन्ति।
बालक डंडे से सांप को मारता है। बालक डंडों से सांप मारते हैं।

4.  चतुत्थी(सम्पदान) विभत्ति-
बालको पितुस्स सह गामं गच्छति। बालका अत्तनो पितून्नं सह गामं गच्छन्ति।
बालक पिता के साथ गावं जाता है/ बालक अपने पिता के साथ गावं जाते हैं।
बालिका पितुस्स सह गामं गच्छति। बालिकायो अत्तनो पितून्नं सह गामं गच्छन्ति।
बालिका पिता के साथ गावं जाती है/ बालिकाएं अपने पिता के साथ गावं जाती हैं।

5. पंचमी (अपादान) विभत्ति-
बालको नगरस्मा पितुस्स सह गामं गच्छति।
बालका नगरस्मा अत्तनो पितरेहि सह गामं गच्छन्ति।
बालक शहर से पिता के साथ गावं जाता है।
बालक शहर से अपने पिता के साथ गावं जाते हैं।
बालिका नगरस्मा पितुस्स सह गामं गच्छति।
बालिकायो नगरस्मा अत्तना पितरेहि सह गामं गच्छन्ति।
बालिका शहर से पिता के साथ गावं जाती है।
बालिकाएं शहर से अपने पिता के साथ गावं जाती हैं।

6. छट्ठी(सम्बन्ध) विभत्ति-
मज्झपदेसस्स राजधानी भोपालं। दिल्ली अनेकानं पदेसानं राजधानी।
म. प्र. की राजधानी भोपाल है।  दिल्ली अनेक प्रदेशों की राजधानी है।

7.  सत्तमी(अधिकरण) विभत्ति-
सकुणो आकासे उड्डति। सकुणा आकासे उड्डन्ति।
इमस्मिं वग्गे अयं बालकाे पठमो। इस कक्षा में यह बालक प्रथम है।
इमेसु बालकेसु अयं बालको पठमो। इन बालकों में यह प्रथम है।
इमस्मिं वग्गे अयं बालिका पठमा। इस कक्षा में यह बालिका प्रथम है।
इमायं बालिकायं  अयं बालिका पठमा।  इन बालिकाओं में यह बालिका प्रथम है।


पालि-व्याकरण बहुत सरल है-
1. पालि में कारक बतलाने के लिए 8 विभक्तियाँ होती हैं-
1. पठमा- कर्ता (ने)
2. दुतिया- कर्म (को)
3. ततिया- करण (से, द्वारा)
4. चतुत्थी- सम्प्रदान (को, के, लिए)
5. पंचमी- अपादान (से)
6. छट्ठी- सम्बन्ध (का, के, की)
7. सत्तमी- अधिकरण (में, पर, पास)
8. आलपन- सम्बोधन (हे!, अरे!)
स्मरण रखने का सूत्र- कर्ता ने, कर्म को, करण से/द्वारा, सम्प्रदान को के लिए, अपादान से, संबंध का के की, अधिकरण में पर पास, सम्बोधन हे अजी अरे!
2. विभक्ति-विन्ह-
उक्त विभक्तियों में मोटे तौर पर 'विभक्ति-चिन्ह' इस प्रकार होते हैं-
विभत्ति- एकवचन/अनेकवचन
पठमा- सि/ यो
दुतिया- अं/ यो
ततिया- आ/ हि
चतुत्थी- स्स/ नं
पंचमी- स्मा/ हि
छट्ठी- स्स/ नं
सत्तमी- स्मिं/ सु
आलपन- सि/ यो
स्मरण रखने का सूत्र- सि, यो इति पठमा, अं, यो इति दुतिया, आ, हि इति ततिया, स्स, नं इति चतुत्थी, स्मा, हि, इति पंचमी, स्स, नं इति छट्ठी, स्मिं, सु इति सत्तमी।
3. उक्त विभत्ति चिन्हों को याद करना बड़ा सरल है, क्योंकि- 1. चतुत्थी और छट्ठी में दोनों वचनों के रूप एक जैसे होते हैं। 2. ततिया और पंचमी में बहुवचन के रूप एक जैसे होते हैं।

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21- 05- 2020
मम दिनचरिया
मम नाम सीलरतनो।
अहं सत्तरस वस्सीयो बालको अम्हि(हूँ )।
अहं अधुना बारसमे वग्गे अज्झयन करोमि।
मम पिता कसको अत्थि।

अहं पभाते(सुबह) उट्ठहामि।
उट्ठहित्वा मात-पितुनो दस्सनं(दर्शन) करोमि।
अनुक्कमेण बुद्धं नमामि।
ततो एकं चसकं(गिलास) जलं पिबामि।
ततो पात-किरिया(प्रातः क्रिया) सम्पादेमि।
ततो दन्त मज्जनं, मुख धोवनं करोमि।
वत्थेन(वस्त्र से) मुखं पुच्छामि।
अनन्तरं पात-भमणं करोमि।
पात-भमणं आरोग्यकारी।
पात वायु सुखकारी।

तदन्तरं अहं सिनानं(स्नान) करोमि।
सिनानेन सरीरं सुद्धं होति।
सिनानं कत्वा ति-रतनं (बुद्धं धम्मं च संघं) वन्दामि।
ति-रतनं वन्दित्वा अहं ति-सरणं च पंचसीलं धारेमि।
पंचसीलं नाम पंच विधा विरति।
पाणातिपाता विरति, अदिन्नदाना विरति
कामेसु मिच्छाचारा विरति, मुसावादा विरति
सुरा-मेरय-मज्ज-पमादट्ठाना विरति ’ति।
सोगतानं(बौद्धों को) पंचसीलं पालनीयं।
सीलाचरणेन जीवने सुखं च सन्ति समायाति।

तदन्तरं अहं अप्पहारं/पातरासं(अल्पहार) करोमि।
पातरासं भुञ्जित्वा अज्झयनं करोमि।
दस वादने(बजे) अहं विज्झालयं गच्छामि(जाता हूं)।
विज्झालये झानेन अज्झयनं करोमि।
अहं मम आचरियानं गारवं करोमि।
ते अम्हे विसयानुसारं पाठेन्ति।
अहं विञ्ञाणं, गणितं, हिन्दी, पालिं, आग्लं भासा पठामि।
विञ्ञाणं मम पिय विसयो।
पालि मम पिय भासा।
घरे परिवारजनेहि सह पालि भासितुं अहं वायाम करोमि।
पालि एका सरला, सुबोधा भासा।
पालि अम्हाकं संखार भासा।

मज्झण्हे भोजनं भुञ्जामि(भोजन करता हूं)।
अहं सब्बदा(सर्वदा) साकाहारं भोजनं करोमि।
साकाहार भोजनं उत्तमं।
मज्झण्हे भोजनं भुञ्जित्वा पुनं अज्झयनं करोमि।
विज्झालये विविध अवसरेसु विजिंगिसा(प्रतियोगिताएं) अयोजिता होन्ति।
अहं रुचिपुब्बकं पटिभागं गण्हामि।

अपरण्हे अहं घरं आगच्छामि।
घरं आगत्वा(आकर) मुखं च हत्थ-पादे धोवामि।
विज्झालय गणवेसं परिवत्तेमि(बदलता हूं)।
ततो मित्तेहि-सह(मित्रों के साथ) कीळामि(खेलता हूं)।
सायंकाले घरस्स(घर के) सह-कम्मं करोमि।
परिवारजनेहि सह बुद्ध विहारं गच्छामि।
अम्हाकं बुद्ध विहारो सिक्खाय पमुख ठानं।
जना, इध पालि भासा पठन्ति, पाठेन्ति।

रत्तियं(रात में) अहं भोजनं भुञ्जामि।
अनन्तरं विज्झालयस्स गह-कम्मं करोमि।
ततो मात-पितु वन्दित्वा(वन्दन कर) सयामि(सोता हूं)।
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22- 05- 2020
मम दिनचरिया (1)
निम्न पाठ को दो -तीन  बार पढ़  लें-

मम नाम विसाखा।
मेरा नाम विसाखा है।
अहं सोळस वस्सीया बालिका।
मैं 16 वर्षीय बालिका हूँ।

मम नाम सीलरतनो।
मेरा नाम शीलरत्न है।
अहं सोळस वस्सीयो बालको।
मैं 16 वर्षीय बालक हूँ।

अहं दसमे वग्गे अज्झयन करोमि।
मैं 10वेें वर्ग/कक्षा में पढ़ती/पढ़ता हूँ ।

मम पिता कसको अत्थि।
मेरे पिता किसान है।
मम पिता सासकीय अधिकरी।
मम पिता व्यवसायी।

मम नाम रतनमानिका।
मेरा नाम रत्नमानिका है।
अहं गहणी।
मैं गृहणी हूँ।

मम नाम जोति।
अहं सासकीय अधिकारी।
मम नाम ललिता।
अहं समाजसेविका।

अहं पभाते(सुबह) उट्ठहामि।
मैं सुबह उठती/उठता हूँ।
उट्ठहित्वा मात-पितुनो दस्सनं(दर्शन) करोमि।
उठकर मात-पिता के दर्शन करती/करता हूँ।
बुद्धं वन्दामि।
बुद्ध को वन्दन करती/करता हूँ।
ततो एकं चसकं(गिलास) जलं पिबामि।
उसके बाद एक गिलास जल पीती/पीता हूँ।

ततो पात-किरिया(प्रातः क्रिया) सम्पादेमि।
उसके बाद प्रातः क्रिया का सम्पादन करती/करता हूँ ।
ततो दन्त मज्जनं, मुख धोवनं करोमि।
उसके बाद दन्त मन्जन, मुंह धोती/धोता हूँ ।
वत्थेन(वस्त्र से) मुखं पुच्छामि।
वस्त्र के मुंह पोंछती/पोंछता हूँ ।
अनन्तरं पात-भमणं करोमि।
अनन्तर प्रातः भ्रमण करती/करता हूँ ।
पात-भमणं आरोग्यकारी।
प्रातः भ्रमण आरोग्यकारी होती है।
पात वायु सुखकारी।
प्रातः वायु सुखकारी होती है।
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23.05. 2020
सुप्पभातं
जय भीम. नमो बुद्धाय
मम दिनचरिया (2 )
निम्न पाठ को दो -तीन  बार पढ़  लें-

तदन्तरं अहं अप्पहारं(अल्पहार) करोमि।
अप्पहारं भुञ्जित्वा(खाकर) अज्झयनं करोमि।
दस वादने(बजे) अहं विज्झालयं गच्छामि(जाता हूं)।
विज्झालये झानेन(ध्यान से) अज्झयनं करोमि।
अहं मम आचरियानं(आचार्यों का) गारवं(गौरव) करोमि।
ते अम्हे विसयानुसारं पाठेन्ति।
अहं विञ्ञाणं(विज्ञान), गणितं, हिन्दी, पालिं च
आग्लं(अंगेजी) भासा पठामि।
विञ्ञाणं मम पिय विसयो।
पालि मम पिय भासा।
घरे परिवारजनेहि(परिवार के लोगों के) सह(साथ)
पालि वदितुं(बोलने के लिए) अहं वायाम(प्रयास) करोमि।
पालि एका सरला, सुबोधा भासा।
पालि अम्हाकं(हमारी)  संखार(संस्कार) भासा।

मज्झण्हे(मध्याण्ह) भोजनं भुञ्जामि(भोजन करता हूं)।
अहं सब्बदा(सर्वदा) साकाहारं भोजनं करोमि।
साकाहार भोजनं उत्तमं।
मज्झण्हे भोजनं भुञ्जित्वा पुनं अज्झयनं करोमि।
विज्झालये विविध अवसरेसु
विजिंगिसा(प्रतियोगिताएं) अयोजिता होन्ति।
अहं रुचिपुब्बकं(रूचि पूर्वक) पटिभागं(प्रतिभाग/हिस्सा) गण्हामि(लेती/लेता हूं)।

अपरण्हे(अपराण्ह) अहं घरं आगच्छामि।
घरं आगत्वा(आकर) मुखं च हत्थ-पादे धोवामि।
विज्झालय गणवेसं(स्कूल ड्रेस) परिवत्तेमि(बदलता हूं)।
ततो मित्तेहि-सह(मित्रों के साथ) कीळामि(खेलता हूं)।
सायंकाले घरस्स(घर के) सह-कम्मं करोमि।
परिवारजनेहि सह बुद्ध विहारं गच्छामि।
अम्हाकं बुद्ध विहारो सिक्खाय पमुख ठानं।
जना, इध पालि भासा पठन्ति, पाठेन्ति।

रत्तियं(रात में) अहं भोजनं भुञ्जामि।
अनन्तरं विज्झालयस्स गह-कम्मं करोमि।
ततो मात-पितु वन्दित्वा(वन्दन कर) सयामि(सोता हूं)।
इति पाठो
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24-05-2020
(1) वत्तमान कालो: उत्तमो पुरिसो
1. लिखति- लिखता है। अहं लिखामि। मयं लिखाम।
मैं लिखता हूॅं। हम लिखते हैं।
इसी प्रकार वाक्य बनाईये-
2. धावति- दौड़ता है। .................................।.................................।
3. चलति- चलता है। .................................।.................................।
4. पठति- पढ़ता है। ...................................।.................................।
5. खेलति- खेलता है। ................................।.................................।
6. नमति- नमन करता है। ..........................।.................................।
7. पस्सति- देखता है।  ...............................।.................................।
8. निसीदति- बैठता है। ...............................।.................................।
9. उट्ठहति- उठता है। ...............................।.................................।
10. विहरति- विहार करता है। ......................।................................।
11. नहायति- नहाता है। ..............................।.................................।
12. इच्छति- इच्छा करता है। ........................।.................................।
13. चजति- त्याग करता है। .........................।.................................।
14. देति- देता है। .......................................।.................................।
15. खादति- खाता है। ..................................।.................................।
16. याचति- याचना करता है। .......................।.................................।
17. नच्चति- नाचता है। ................................।.................................।
18. धोवति- धोता है। ..................................।.................................।
19. सुणोति- सुनता है। ................................।.................................।
20. निन्दति- निन्दा करता है। .......................।.................................।
21. गायति- गाता है। ..................................।.................................।
22. पिबति- पीता है। ..................................।.................................।
23. सयति- सयन करता है। ........................।.................................।
24. रक्खति- रक्षा करता है। .........................।.................................।
25. खिप्पति- फेंकता है। ..............................।.................................।
26. सेवति- सेवा करता है। ..........................।.................................।
27. कम्पति- काम्पता है। .............................।.................................।
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25. 05. 2020
10.05.2020
(2.) वत्तमान कालो: मज्झिमो पुरिसो
1. लिखति- लिखता है। त्वं लिखसि। तुम्हे लिखथ।
तू  लिखता है। तुम लोग लिखते हों।
इसी प्रकार वाक्य बनाईये-
2. धावति- दौड़ता है। .................................।.................................।
3. चलति- चलता है। .................................।.................................।
4. पठति- पढ़ता है। ...................................।.................................।
5. खेलति- खेलता है। ................................।.................................।
6. नमति- नमन करता है। ..........................।.................................।
7. पस्सति- देखता है।  ...............................।.................................।
8. निसीदति- बैठता है। ...............................।.................................।
9. उट्ठहति- उठता है। ...............................।.................................।
10. विहरति- विहार करता है। ......................।................................।
11. नहायति- नहाता है। ..............................।.................................।
12. इच्छति- इच्छा करता है। ........................।.................................।
13. चजति- त्याग करता है। .........................।.................................।
14. देति- देता है। .......................................।.................................।
15. खादति- खाता है। ..................................।.................................।
16. याचति- याचना करता है। .......................।.................................।
17. नच्चति- नाचता है। ................................।.................................।
18. धोवति- धोता है। ..................................।.................................।
19. सुणोति- सुनता है। ................................।.................................।
20. निन्दति- निन्दा करता है। .......................।.................................।
21. गायति- गाता है। ..................................।.................................।
22. पिबति- पीता है। ..................................।.................................।
23. सयति- सयन करता है। ........................।.................................।
24. रक्खति- रक्षा करता है। .........................।.................................।
25. खिप्पति- फेंकता है। ..............................।.................................।
26. सेवति- सेवा करता है। ..........................।.................................।
27. कम्पति- काम्पता है। .............................।.................................।
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26. 05. 2020
लिंगानि-
पालि में लिंग तीन होते हैं-
1.  पुल्लिंगानि  2. इत्थीलिंगानि  3. नपुंसकलिंगानि

1.  पुल्लिंगानि-
बुद्धो, तथागतो, सुगतो, मग्गो,
अज्झापको, आचरियो, सिस्सो, मनुस्सो,
बालको, युवको, तरुणो,  नरो, दीपो
गजो, सीहो, गद्दभो, वानरो, अस्सो, सप्पो, ,मज्जारो, कुक्कुटो,
सुनखो, महिसो, काको, मोरो, सुको,
सुदो, सेवको, पाचको(चालक), दलिद्दो, धनिको,
नायको, गायको, नच्च्कारो, कलाकारो, चोरो
पादपो, तरुवो, रुक्खो,
देसो, आपणो, आसन्दो
भिक्खु, मुनि, साधु,  सिसु,  गुरु,  भूपति, गहपति, ञाति(सम्बन्धी)

2. इत्थीलिंगानि-
कञ्ञा, अनुजा, मातुच्छा,
लज्जा, कल्पना, परम्परा,
पूजा, वन्दना, गाथा, भासा,
अज्झापिका, लेखिका, संपादिका, वेज्झा, गायिका, सेविका,
अजा, पिप्पीलिका(चींटी), मक्खिका,
पताका, कुञ्चिका, मञ्जूसा, पेटिका,
पत्तिका(पत्रिका), थालिका, मुद्दिका(अंगूठी), साटिका,
तुला, माला, लता, साखा, नावा,  छुरिका,
पोत्थिका, घटिका(घड़ी), लेखनी, कथा, वसुंधरा.
गीवा, जिव्हा, नासा
द्वि चक्किका(दुपाहिया),

3. नपुंसकलिंगानि-
चीवरं, धम्मपदं, चेतियं, रञ्ञं,
पोत्थकं, उपनेत्तं(चश्मा), कण्हफलकं(ब्लेक बोर्ड),
लोचनं, मुखं,  कमलं, हुदयं, चित्तं,
अम्बं, फलं,  पुप्फं,  पत्तं(पत्ता), पण्णं(पन्ना),
नगरं, वाहनं, यानं, जलं, वातापानं(खिड़की),
ओदनं(चांवल ), भत्तं(भात), दुद्धं(दुग्ध),
छत्तं, वत्थं(वस्त्र),
कङकण, कीळनकं(खिलौना),
भवनं, घरं, यन्तं, सासनं, सोपानं(सीढी),
आयुधं, चक्कं, वीजनं(पंखा), रेलयानं
सुत्तं, गीतं
आलुकं(आलु),
मन्दिरं, द्वारं,
वनं, उय्यानं
-----------------------------------------

27. 05. 2020
लिंगानि-
पालि में लिंग तीन होते हैं-
1.  पुल्लिंगानि  2. इत्थीलिंगानि  3. नपुंसकलिंगानि

1.  पुल्लिंगानि-
बुद्धो, तथागतो, सुगतो, मग्गो,
अज्झापको, आचरियो, सिस्सो, मनुस्सो,
बालको, युवको, तरुणो,  नरो, दीपो
गजो, सीहो, गद्दभो, वानरो, अस्सो, सप्पो, ,मज्जारो, कुक्कुटो,
सुनखो, महिसो, काको, मोरो, सुको,
सुदो, सेवको, पाचको(चालक), दलिद्दो, धनिको,
नायको, गायको, नच्च्कारो, कलाकारो, चोरो
पादपो, तरुवो, रुक्खो,
देसो, आपणो, आसन्दो
भिक्खु, मुनि, साधु,  सिसु,  गुरु,  भूपति, गहपति, ञाति(सम्बन्धी)

2. इत्थीलिंगानि-
कञ्ञा, अनुजा, मातुच्छा,
लज्जा, कल्पना, परम्परा,
पूजा, वन्दना, गाथा, भासा,
अज्झापिका, लेखिका, संपादिका, वेज्झा, गायिका, सेविका,
अजा, पिप्पीलिका(चींटी), मक्खिका,
पताका, कुञ्चिका, मञ्जूसा, पेटिका,
पत्तिका(पत्रिका), थालिका, मुद्दिका(अंगूठी), साटिका,
तुला, माला, लता, साखा, नावा,  छुरिका,
पोत्थिका, घटिका(घड़ी), लेखनी, कथा, वसुंधरा.
गीवा, जिव्हा, नासा
द्वि चक्किका(दुपाहिया),

3. नपुंसकलिंगानि-
चीवरं, धम्मपदं, चेतियं, रञ्ञं,
पोत्थकं, उपनेत्तं(चश्मा), कण्हफलकं(ब्लेक बोर्ड),
लोचनं, मुखं,  कमलं, हुदयं, चित्तं,
अम्बं, फलं,  पुप्फं,  पत्तं(पत्ता), पण्णं(पन्ना),
नगरं, वाहनं, यानं, जलं, वातापानं(खिड़की),
ओदनं(चांवल ), भत्तं(भात), दुद्धं(दुग्ध),
छत्तं, वत्थं(वस्त्र),
कङकण, कीळनकं(खिलौना),
भवनं, घरं, यन्तं, सासनं, सोपानं(सीढी),
आयुधं, चक्कं, वीजनं(पंखा), रेलयानं
सुत्तं, गीतं
आलुकं(आलु),
मन्दिरं, द्वारं,
वनं, उय्यानं

27. 05. 2020
सुप्पभातं
जय भीम. नमो बुद्धाय
अज्ज पाठो
एकवचनं - अनेकवचनं
पुल्लिंगे(पुल्लिंग में)-
बुद्धो- बुद्धा।
तथागतो- तथागता।
सुगतो- सुगता।
मग्गो- मग्गा।
अज्झापको- अज्झापका।
आचरियो- आचरिया।
सिस्सो- सिस्सा।
मनुस्सो- मनुस्सा,  इच्चादि(इत्यादि)।

इत्थीलिंगे-
अनुजा- अनुजायो।
मातुच्छा- मातुच्छायो।
लज्जा- लज्जायो।
कल्पना- कल्पनायो।
परम्परा- परम्परायो।
पूजा- पूजायो।
वन्दना- वन्दनायो ।
गाथा- गाथायो।
भासा- भासायो।
अज्झापिका- अज्झापिकायो।
लेखिका- लेखिकायो।
संपादिका- सम्पादिकायो।
वेज्झा- वेज्झायो।
गायिका- गायिकायो।
सेविका- सेविकायो, इच्चादि।

नपुसंकलिंगे-
चीवरं- चीवरा, चीवरानि।
धम्मपदं- धम्मपदा, धम्मपदानि।
चेतियं- चेतिया, चेतियानि।
पोत्थकं- पोत्थका, पोत्थकानि।
उपनेत्तं(चश्मा)- उपनेत्ता, उपनेत्तानि ,
कण्हफलकं(ब्लेक बोर्ड)- कण्हफलका, कण्हफलकानि। ,
लोचनं-लोचना, लोचनानि।
मुखं- मुखा, मुखानि।
कमलं- कमला, कमलानि।
हुदयं - हुदया, हुदयानि।
चित्तं- चित्ता, चित्तानि,  इच्चादि।
---------------------------------------------


28. 05. 2020
सुप्पभातं
जय भीम। नमो बुद्धाय
अज्ज पाठो
आचार-वोहारो
(आचार-व्यवहार)

1. अभिवादनं-
जय भीम.
नमो बुद्धाय।
सुप्पभातं।

2. धन्यवाद -  साधुवादो।
 साधु ! साधु !! साधु !!!

3. अनुमोदतु- अनुमोदन करें।
अनुमोदामि- अनुमोदन करता हूँ।

4.  चिंता नहीं है- चिंता नत्थि।
चिंता न करें- मा चिंततु।

5. क्षमा करें-  खमतु।
क्षमा करता हूँ - खमामि।

6. प्रशंसा-
सोभनं।बहु सोभनं।
सुन्दरं।बहु सुन्दरं।
उत्तमं।
सुट्ठुं।
अनुत्तरं।

7. पसंसनीयं-  प्रशंसनीय।
अनुकरणीयं- अनुकरणीय।
वन्दनीयं- वन्दनीय।
अभिनन्दनीयं- अभिनन्दनीय।

8.  समझ गए ? - अवबुद्धं ?
समझे क्या ? अवबुद्धं वा ?
नहीं समझ आया- न बुज्झितं।
हाँ, समझ गए- आम, बुज्झितं।


9.  लेखनीयं- लिखना है।
पठनीयं- पढ़ना है।
सरनीयं- स्मरण करना है।

10.  विदाई-
पुनं मिलाम।
सुभ रत्ति
जय भीम।  नमो बुद्धाय।

अभ्यासो-
दुतिया और ततिया विभत्ति पर आधारित संलाप(बातचीत)
.............................................

29- 05- 2020
पालि सीखें-
अज्ज पाठो
समय-कालो

पुब्बण्हो(पूर्वाण्ह)।
मज्झण्हो(मध्याण्ह)।
अपरण्हो(अपराण्ह)। सायण्हो(सायंकाल)।


अज्ज(आज)। हियो(बीता कल)
सुवे(आने वाला कल)
अपरज्जु(अगले दिन)।

सत्ताहो(सप्ताह)। पक्खो(पक्ष)
अद्धमासो(अर्ध्द-मास) मासो(महिना)।
वस्सो(वर्ष )।

एकस्मिं मासे(एक मास में) तिंसति(तीस) दिवसा होन्ति।
एकस्मिं मासे चत्तारो(चार) सत्ताहा होन्ति।
संवच्छरो(संवत्सर/वर्ष)। अनुसंवच्छरो(प्रति वर्ष )।

पञ्च वादनतो(बजे से) छह वादनं(छह बजे) परियन्तं(तक)।
पुब्बण्हतो सायण्हं परियन्तं।
अज्जतो सुवे परियन्तं।
चेत्त मासतो फग्गुनो मासं परियन्तं।

मत्थकतो(मस्तक से) पादानि(पेरों) परियन्तं।
जीवितं परियन्तं(जीवन परियन्त)।

इदानि(अभी) कति(कितना) वादनं?
इदानि को(क्या) समयो?
इदानि छह वादनं।
अज्ज को वारो?
अज्ज रविवारो।
बुधवारे को दिनांको?
बुधवारे पञ्चदसो जनवरी दिनांको।
अज्ज कतमी(कौन-सी) तिथि अत्थि(है) ?
अज्ज सुक्क-पंचमी तिथि अत्थि।

भवं कति वादने आगतो(आ गए)?
अहं(मैं) दस वादने आगतो।
-------------------------------------------------

अभ्यासो-
30- 05- 2020
समय-कालो

पुब्बण्हो(पूर्वाण्ह)।
मज्झण्हो(मध्याण्ह)।
अपरण्हो(अपराण्ह)। सायण्हो(सायंकाल)।

अज्ज(आज)। हियो(बीता कल)
सुवे(आने वाला कल)
अपरज्जु(अगले दिन)।

सत्ताहो(सप्ताह)। पक्खो(पक्ष)
अद्धमासो(अर्ध्द-मास) मासो(महिना)।
वस्सो(वर्ष )।

एकस्मिं मासे(एक मास में) तिंसति(तीस) दिवसा होन्ति।
एकस्मिं मासे चत्तारो(चार) सत्ताहा होन्ति।
संवच्छरो(संवत्सर/वर्ष)। अनुसंवच्छरो(प्रति वर्ष )।

पञ्च वादनतो(बजे से) छह वादनं(छह बजे) परियन्तं(तक)।
पुब्बण्हतो सायण्हं परियन्तं।
अज्जतो सुवे परियन्तं।
चेत्त मासतो फग्गुनो मासं परियन्तं।

मत्थकतो(मस्तक से) पादानि(पेरों) परियन्तं।
जीवितं परियन्तं(जीवन परियन्त)।

इदानि(अभी) कति(कितना) वादनं?
इदानि को(क्या) समयो?
इदानि छह वादनं।
अज्ज को वारो?
अज्ज रविवारो।
बुधवारे को दिनांको?
बुधवारे पञ्चदसो जनवरी दिनांको।
अज्ज कतमी(कौन-सी) तिथि अत्थि(है) ?
अज्ज सुक्क-पंचमी तिथि अत्थि।

भवं कति वादने आगतो(आ गए)?
अहं(मैं) दस वादने आगतो।

अभ्यासो-
पालि में उत्तर दीजिये-
1. आज कौन-सा दिन है ?
2. आज कौन-सी तिथि है ?
3. आप प्रात: काल कितने बजे उठते है ?
4. एक सप्ताह में कितने दिन होते हैं ?
5 . आप कितने बजे भोजन करते हैं ?
6 . अभी कितना बजा है ?
7 . कल कौन-सा दिन था ?
8. एक वर्ष में कितने दिन होते हैं ?
9. चैत  मास से फाल्गुन तक कितने महीने होते हैं ?
10. आप कितने बजे सोते हैं ?

पुच्छा/विस्सज्जना(प्रश्नोत्तर)-
1. आज कौन-सा दिन है ?
अज्ज सनिवारो वारो ?
2. आज कौन-सी तिथि है ?
अज्ज सुक्क पक्खस्स अट्ठमी तिथि।
3. आप प्रात: काल कितने बजे उठते है ?
अहं पात काले छह वादने उट्ठहामि।
4. एक सप्ताह में कितने दिन होते हैं ?
एकस्मिं सत्ताहे सत्त दिनानि होन्ति।
5 . आप कितने बजे भोजन करते हैं ?
अहं अपरण्हे बारह/एक वादने भोजनं करोमि।
6 . अभी कितना बजा है ?
इदानि सायं चतु वादनं।
7 . कल कौन-सा दिन था ?
हियो सुक्कवारो आसि.
8. एक वर्ष में कितने दिन होते हैं ?
एकस्मिं सवंच्छरे 365 दिनानि होन्ति।
9. चैत मास से फाल्गुन तक कितने महीने होते हैं ?
चेत मासतो फग्गुनो मासं परियन्तं द्वादस मासानि होन्ति।
10. आप कितने बजे सोते हैं ?
अहं रत्तियं दस वादने  सयामि।
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31. 05. 2020
अज्ज पाठो
मित्तानं सल्लापं

राहुलो- ‘‘मितं अभिवादनं।’’
आनन्दो- ‘‘अभिवादनं। भवं कथं(कैसे) अत्थि ?’’
राहुलो- ‘‘अहं कुसलो अम्हि(हूँ)।’’

राहुलो- ‘‘भवं(महोदय), परिवारे(परिवार में) सब्बे कथं सन्ति?’’
आनन्दो- ‘‘मम परिवारे सब्बे कुसला सन्ति।’’

राहुलो- ‘‘तव(तुम्हारे) माता-पिता कुत्थ(कहाँ) सन्ति(हैं )?’’
आनन्दो- ‘‘मम माता-पिता मय्हं(मेरे) सद्धिं(साथ) येव(ही) निवसन्ति।
- मम माता-पिता नागपुर नगरे निवसन्ति।’’

राहुलो- ‘‘भवं माता-पिता कुहिं(कहाँ) निवसन्ति?
आनन्दो- ‘‘ते(वे) अपि(भी) मय्हं सद्धिं येव निवसन्ति/
             -ते नागपूर नगरे निवसन्ति।’’

राहुलो- ‘‘भवं कति भातु भगिनियो?
आनन्दो- ‘‘मय्हं एको भाता च एका भगिनी अत्थि।
राहुलो- ‘‘तव भाता किं करोति?’’
आनन्दो- ‘‘सो विज्झालयं गच्छति।
सो करियालयं गच्छति।’’
राहुलो- ‘‘तव भातरो किं करोन्ति?’’
आनन्दो ‘‘एको कस्सको, दूतियो अज्झापको अत्थि।’’
‘‘तव भाता च भगनिया किं करोन्ति?
राहुलो- ‘‘तेसु एको कस्सको, दूतियो अज्झापको अत्थि।

राहुलो- ‘‘भवं पालिभासा जानासि?’’
आनन्दो- ‘‘आम, अहं थोकं जानामि।’’

राहुलो- ‘‘अज्ज भवं सुन्दरो दिस्सति!’’
आनन्दो- ‘‘साधुवादो।’’

राहुलो- ‘‘अत्थु(ठीक है), पुनं मिलाम।’’
आनन्दो- ‘‘साधुवादो, भवं पुनं मिलाम।’’

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