दुर्गा या शेरावाली दुर्गा कौन? क्या है दुर्गा का वेश्या से रिश्ता? महिषासुर कौन है ? एक मूलनिवासी राजा. दुर्गा मूर्ति बनाने के लिए बंगाल में वैश्या के घर से मिट्टी लाना जरूरी है. वैश्या की घर की मिट्टी के बिना दुर्गा की प्रतिमा पूजा योग्य नहीं मानी जाती है. क्यों ? कलाकार दुर्गा-प्रतिमा बनाने से पहले एक मुट्ठी वेश्या की चौखट की मिट्टी मिलाता है ! क्यों वेश्यायें दुर्गा को अपना आदर्श मानती है.? क्यों वेश्या किस्म की औरतें अपने आप में दुर्गा विराजने का स्वांग करती हैं? अब यह प्रश्न उठता है कि दुर्गा की मूर्ति के लिए केवल वैश्या के ही घर की मिट्टी की जरूरत क्यों ? इसके पीछे क्या रहस्य है ?
आइये हम बताते है आपको सच्चाई क्या है?
आज कल नवरात्र चल रहें हैं जिस में दुर्गा के नौ अवतारों की नौ दिन तक बारी बारी पूजा की जाती है| इसी अवधि में दुर्गा की सार्वजानिक स्थलों पर मूर्तियों की स्थापना की जाती है जहाँ पर रात को तरह के गाने व भजन होते हैं और माता के भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार पूजा करते हैं और चढ़ावा चढाते हैं| नौ दिन के बाद दुर्गा मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है. यह देखा गया है कि पहले सार्वजानिक स्थलों पर बहुत कम मूर्तियों की स्थापना की जाती थी परन्तु इधर इन की संख्या बहुत बढ़ गयी है जो शायद हिंदुत्व के सुनियोजित कार्यक्रम का हिस्सा है|
दुर्गा की जिन मूर्तियों की स्थापना की जाती है उन में देवी द्वारा अन्य अस्त्र-शस्त्र धारण करने के इलावा महिषासुर का मर्दन(वध) भी दिखाया जाता है| महिषासुर के बारे में यह प्रचारित किया गया है कि वह बहुत बुरा असुर(दानव) था जिस का वध दुर्गा ने चामुंडा देवी के रूप में किया था. यह देखा गया है कि ब्राह्मणों ने अपने साहित्य में अपने विरोधियों का चित्रण बहुत बुरे स्वरूप में किया है| वेदों में भी आर्यों ने मूल निवासियों को असुर,दानव और दस्यु तक कहा है| दरअसल यह शासक वर्ग की अपने विरोधियों को बदनाम करने की सोची समझी रणनीति का हिस्सा होती है|
महिषासुर बंगाल के सावाताल/संथाल में आदिवासियों का अत्यंत बलशाली राजा था| ब्राह्मण विदेशी इसके राज्य पर कब्जा करना चाहते थे, जिसके लिए कई बार युद्ध किया| लेकिन ब्राह्मणों को हमेशा हार का ही मुँह देखना पड़ा| इतिहास गवाह है कि जिसे बल से नहीं जीता जा सकता है, उसे सुरा व सुंदरी के माध्यम से जीता जा सकता है| वैसे ये ब्राह्मणों की ही शैतानी नीति है| कई बार हारने के बाद ब्राह्मण महिषासुर के शक्ति को समझ गये थे| इसलिए सुरा सुंदरी वाले शैतानी नीति को अपनाया| ब्राह्मणों ने दुर्गा जो कि एक अत्यंत सुंदर वैश्या थी, को षड़यंत्र के तहत महिषासुर को अपने मायाजाल में फाँसकर हत्या करने के लिए भेजा| दुर्गा ने 8 रात सुरा पिलाते हुए, कई नाटक करते हुए महिषासुर के साथ बिताई| नौवे रात को मौका मिलते ही इस वैश्या ने महिषासुर की हत्या कर दी| इसीलिए दुर्गा की नवरात्रि मनाई जाती है| चूँकि दुर्गा वैश्या थी, इसीलिए वैश्या के घर से मिट्टी लाने का रिवाज आज भी है|
मूलनिवासी राजा महिषासुर की हत्या दुर्गा ने किया जिससे ब्राह्मण उस राज्य पर कब्जा करने में कामयाब हुए| इसलिए ब्राह्मणों ने मूलनिवासियों से उनके पूर्वजों की हत्यारिनी दुर्गा का पूजा ही करवा डाला| भारत के मूलनिवासी लोग आँख, अक्ल और दिमाग के इतने अंधे हैं कि उसके बारे में जानने की जरूरत नहीं समझी| बिना जाने ही हत्यारों का पूजा करना शुरू कर दिया| किसी ने आज तक किसी भी ऐसे मनुष्य को देखा है जिसके 8 हाथ, 3 गर्दन, आधा शरीर मनुष्य का और आधा जानवर का, गर्दन हाथी का इत्यादि हो| आदिम मानव काल में भी जायेगे, तब भी ऐसा किसी मनुष्य का जिक्र नहीं मिलता है| फिर ऐसे प्राणियों की पूजा कैसे शुरू हो गया|
इसका मतलब साफ है कि ब्राह्मण, मूल-निवासियों के दिमाग में इतने हावी हैं कि उनके दिमाग में बुद्धि के जगह गोबर भर दिया है| जिससे कि खुद से सोचने और समझने की शक्ति चली गयी है| अंधभक्त हो गये हैं| कई लोग ऐसे अंधभक्त है कि जानने के बावजूद भी इसे अपने बाप दादाओं की परम्परा मानकर ढोते हैं।
- दीपशिखा महाजन; September 30, 2016
- दीपशिखा महाजन; September 30, 2016
No comments:
Post a Comment