Friday, March 29, 2019

ध्यान और समाधि

ध्यान और समाधि

ध्यान का अर्थ है, किसी विषय के बारे में गहन चिंतन। पालथी मार ऑंखें बंद कर शून्य में निहारना अथवा शरीर के रग-रग  में बहते खून को अनुभव करना ध्यान नहीं है ! न ही आते-जाते हर एक श्वास को देखना ध्यान है.

सिद्धार्थ गोतम जब ध्यान कर रहे थे, तो वे ऑंखें बंद कर शून्य में निहार नहीं रहे थे और न ही शरीर की रग-रग  में बहते खून को अनुभव कर रहे थे। बल्कि, सांसारिक उन विविध समस्याओं पर विचार कर रहे थे जिनसे मानवता का प्रतिदिन सामना होता है, वे उन समस्याओं के समाधान के लिए जूझ रहे थे। यही उनका चिन्तन था, ध्यान था।

वे लगातार ध्यानस्थ बैठ कर चिंतन करते थे कि जीवन में दुक्ख क्यों है ? विविध ग्रन्थ और मतों में कहे गए सिद्धांत कितने सत्य हैं और कहाँ तक उपयोगी हैं ?  मरने के बाद आदमी का क्या होता है.... ? 

इन प्रश्नों के समाधान को ही समाधि कहते हैं।  समाधि और समाधान पर्यायवाची हैं। समाधि, आँख मूंद कर पालथी मर कर बैठना नहीं है बल्कि सचेत और सतर्क दिमाग से समस्या का समाधान ढूंढना है(डॉ सुरेन्द्र अज्ञात: एशिया का प्रकाश पृ 44)।  

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