बुद्धिज़्म की दो प्रमुख स्थापनाएं
बुद्ध के धम्म का आत्मा-परमात्मा से कोई लेना-देना नहीं है। मरने के बाद क्या होता है, उनके धम्म का इससे कुछ सरोकार नहीं है। उनके धम्म को कर्म-कांड के क्रिया-कलापों से कुछ लेना-देना नहीं है।
बुद्ध के धम्म का केंद्र-बिंदु है आदमी और समाज में रहते एक आदमी का दूसरे आदमी के प्रति कर्तव्य।
उनकी दूसरी स्थापना है कि जीवन में दुक्ख है और धम्म का उद्देश्य इस दुक्ख को दूर करना है। दुक्ख के अस्तित्व की स्वीकृति और दुक्ख दूर करने का उपाय- यही धम्म की आधारशिला है।
यदि आदमी पवित्रता के पथ पर चले, शील पर चले तो दुक्ख का एकान्तिक निरोध हो सकता है(डॉ बी. आर. अम्बेडकर :धम्मचक्क पवत्तन: बुद्ध और उनका धम्म : खंड 2 भाग 2 )।
बुद्ध के धम्म का आत्मा-परमात्मा से कोई लेना-देना नहीं है। मरने के बाद क्या होता है, उनके धम्म का इससे कुछ सरोकार नहीं है। उनके धम्म को कर्म-कांड के क्रिया-कलापों से कुछ लेना-देना नहीं है।
बुद्ध के धम्म का केंद्र-बिंदु है आदमी और समाज में रहते एक आदमी का दूसरे आदमी के प्रति कर्तव्य।
उनकी दूसरी स्थापना है कि जीवन में दुक्ख है और धम्म का उद्देश्य इस दुक्ख को दूर करना है। दुक्ख के अस्तित्व की स्वीकृति और दुक्ख दूर करने का उपाय- यही धम्म की आधारशिला है।
यदि आदमी पवित्रता के पथ पर चले, शील पर चले तो दुक्ख का एकान्तिक निरोध हो सकता है(डॉ बी. आर. अम्बेडकर :धम्मचक्क पवत्तन: बुद्ध और उनका धम्म : खंड 2 भाग 2 )।
No comments:
Post a Comment