Friday, March 29, 2019

गलत रिपोर्टिंग

गलत रिपोर्टिंग
बुद्ध जो उपदेश देते थे, उन्हें कुछ भिक्खु कंठस्थ कर लेते थे। लेखनकला अभी विकसित नहीं हुई थी। जिन भिक्खुओं का कंठस्थ करने का काम था, उन्हें 'भाणक' कहा जाता था। एक से अधिक बार ऐसा हुआ कि बुद्ध ने जो कुछ कहा, उसकी रिपोर्टिंग गलत हुई थी।
उदहारण के तौर पर ऐसे 5 अवसरों का उल्लेख किया जा सकता है। एक उल्लेख तो 'अलगद्दूपम सुत्त' में आया है।  दूसरा 'महाकम्म विभंग सुत्त' में, तीसरा 'कण्णत्थलक सुत्त' में , चौथा महा 'तण्हासंखय सुत्त' में और पांचवा 'जीवक सुत्त' में।

शायद इस तरह के और भी अनेक अवसर आए हो जब तथागत के वचनों की ठीक रिपोर्ट न हुई हो। ऐसे अवसरों  पर भिक्खु भी बुद्ध के पास आते और उनसे पूछते कि ऐसे समय उन्हें क्या करना चाहिए ? बुद्ध ने उन्हें उचित मार्ग-दर्शन करते थे।

किन्तु , डॉ अम्बेडकर में शब्दों में,  एक कसौटी भी है। बुद्ध के बारे में एक बार बड़े विश्वास के साथ कही जा सकती है, वे कुछ नहीं थे, यदि उनका कथन बुद्धिसंगत, तर्कसंगत नहीं होता था। दूसरी बात, उन्होंने कभी ऐसी बेकार की चर्चा में पड़ना नहीं चाहा जिसका आदमी के कल्याण से कोई सम्बन्ध नहीं। तीसरा, बुद्ध ने सभी विषयों को दो वर्गों में विभक्त किया- ऐसे विषय जिनके बारे में वे निश्चित थे और ऐसे विषय जिसके बारे में वे निश्चित नहीं थे। हमें संदेह और मतभेद की स्थिति में इन कसौटियों को ध्यान में रखना चाहिए(डॉ अम्बेडकर : बुद्ध और उनका धम्म : खंड 4: भाग- 2 )।    

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