राम मंदिर बनाम बाबरी मस्जिद मामले में बुद्धिस्ट कहाँ ?
'राम मंदिर बनाम बाबरी मस्जिद' मामले में सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता के लिए एक पैनल बना कर यह विवादित मुद्दा हल करना चाहता है. सवाल है, इस में बुद्धिस्ट कहाँ हैं ? यद्यपि बुद्धिस्टों को काफी बाद में होश आया कि विवादित जगह पर तो बुद्ध विहार था जिसका व्हेन सांग,फाहियान और इत्सिंग के यात्रा- विवरणों सहित पुरातात्विक प्रमाण भी है. दूसरे, सुप्रीम कोर्ट इसे अब सिर्फ जमीन का मामला न मान कर साम्प्रदायिक सौहार्द्र का मामला मानने लगा है तो क्या इस सौहार्द्र में बुद्धिस्टों की भावना का भी ख़याल रखा जाएगा ?
'राम मंदिर बनाम बाबरी मस्जिद' मामले में सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता के लिए एक पैनल बना कर यह विवादित मुद्दा हल करना चाहता है. सवाल है, इस में बुद्धिस्ट कहाँ हैं ? यद्यपि बुद्धिस्टों को काफी बाद में होश आया कि विवादित जगह पर तो बुद्ध विहार था जिसका व्हेन सांग,फाहियान और इत्सिंग के यात्रा- विवरणों सहित पुरातात्विक प्रमाण भी है. दूसरे, सुप्रीम कोर्ट इसे अब सिर्फ जमीन का मामला न मान कर साम्प्रदायिक सौहार्द्र का मामला मानने लगा है तो क्या इस सौहार्द्र में बुद्धिस्टों की भावना का भी ख़याल रखा जाएगा ?
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.Ref : आजतक : 14 मार्च 2018, अपडेटेड 23 मार्च 2018
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, अयोध्या में रहने वाले विनीत कुमार मौर्य ने सुप्रीम कोर्ट में इस बारे में याचिका दायर की है. उन्होंने विवादित स्थल पर भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग (ASI) द्वारा चार बार की जाने वाली खुदाई के आधार पर यह दावा किया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश पर ऐसी अंतिम खुदाई साल 2002-03 में हुई थी.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, अयोध्या में रहने वाले विनीत कुमार मौर्य ने सुप्रीम कोर्ट में इस बारे में याचिका दायर की है. उन्होंने विवादित स्थल पर भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग (ASI) द्वारा चार बार की जाने वाली खुदाई के आधार पर यह दावा किया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश पर ऐसी अंतिम खुदाई साल 2002-03 में हुई थी.
सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका पिछले हफ्ते ही दायर की गई है. इसे संविधान के अनुच्छेद 32 (अनुच्छेद 25, 26 और 29 के साथ) के तहत एक दीवानी मामले के रूप में दर्ज किया गया है. कहा गया है कि यह याचिका 'बौद्ध समुदाय के उन सदस्यों की तरफ से दायर की गई है जो भगवान बुद्ध के सिद्धांतों के आधार पर जीवन जी रहे हैं.'
याचिका में दावा किया गया है कि बाबरी मस्जिद के निर्माण से पहले उस जगह पर बौद्ध धर्म से जुड़ा ढांचा था. मौर्य ने अपनी याचिका में कहा है, 'एएसआई की खुदाई से पता चला है कि वहां स्तूप, गोलाकार स्तूप, दीवार और खंभे थे जो किसी बौद्घ विहार की विशेषता होते हैं.' मौर्य ने दावा किया है, 'जिन 50 गड्ढों की खुदाई हुई है, वहां किसी भी मंदिर या हिंदू ढांचे के अवशेष नहीं मिले हैं.'
मौर्य ने कहा, "वहां 50 गड्ढों की खुदाई हुई है. जिसमें किसी भी मंदिर या हिंदू धर्म से संबंधित ढांचे के अवशेष नहीं मिले हैं. पुरातात्विक स्रोतों, चीनी यात्रियों (फाह्यान, ह्वेनसांग) के यात्रा वृतांतों, बौद्ध साहित्यों (त्रिपिटक) के अनुसार अयोध्या की विवादित भूमि एक बौद्ध स्थल है. अयोध्या को हम साकेत मानते हैं. वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर ही कोर्ट ने हमारी याचिका स्वीकार की है."
मंदिर-मस्जिद विवाद के बीच दावा किया गया है कि राजा प्रसेनजीत के समय अयोध्या (साकेत) कहलाता था. अयोध्या बौद्ध धर्म का बड़ा केंद्र रहा है. यह शहर श्रावस्ती, कुशीनगर जैसे बौद्ध केंद्रों के पास बसा है. मौर्य ने अदालत से अपील की है कि वह इस विवादित जगह को कुशीनगर, सारनाथ, श्रावस्ती और कपिलवस्तु की तरह बौद्ध विहार घोषित करे.
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