पालि कैसे सीखें ?
पालि सीखना बहुत सरल है। पालि भाषा बहुत सरल है। यह गावं-देहातों की भाषा है। यह संस्कृत जैसी कठिन नहीं है।
पालि सीखने का तरीका है- पालि शब्द, पालि वाक्य, पालि संवाद निरंतर सुनना। आपने ध्यान दिया होगा कि शिशु, घर में बोली जाने वाली भाषा बिना लिखे-पढ़े सीख लेता है ! कैसे ?
दरअसल, शिशु घर में, जो भी भाषा बोली जाती है, निरंतर सुनता है. उस भाषा के शब्द, वाक्य निरंतर उसके कानों को संस्कारित करते हैं। माँ जब भी उससे बात करती है, शिशु प्रश्नवाचक दृष्टि से माँ की ओर देखता है। माँ उन शब्दों को दुहराती है। वह शिशु की और देख कर उन शब्दों को बारम्बार दुहराती है। और, शिशु धीरे-धीरे उन शब्दों अर्थ समझने लगता है। वह बोलने का प्रयास करता है। वह बोलने लगता है। बस, यही टेकनिक है, कोई भी भाषा सीखने की। पालि भी हम ऐसे ही सीखते हैं।
प्रो प्रफुल्ल गढ़पाल, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान नई दिल्ली से सम्बद्ध हैं. प्रोफ़ेसर साहब, अपनी जीविका के साथ-साथ , पालि भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित है। पालि भाषा सीखने के इच्छुक धम्म-सेवियों के द्वारा 10-15 दिनों के पालि वर्क-शाप आयोजित किए जा सकते हैं। अभी तक म प्र सहित महाराष्ट्र के कई हिस्सों में ऐसे 4- 5 वर्क-शाप हो चुके हैं। ये प्रशिक्षण-शिविर आवासीय बुद्धविहार परिसरों में संचालित होते हैं, जिनमें रहने और भोजन की व्यवस्था की जाती है। प्रोफ़ेसर गढ़पाल से समय लेकर अपने क्षेत्र में ऐसे आवासीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा सकते हैं. पालि भाषा प्रशिक्षण-शिविरों की खासियत यह है कि 10-15 दिनों की अल्प-अवधि में ही प्रतिभागी दैनिक बोल-चाल में पालि का प्रयोग करने लग जाता है। इधर, कुछ दिनों से भोपाल (म प्र ) स्थित अशोका बुद्ध विहार में पालि-क्लासेस प्रारंभ हो चुकी हैं।
प्रो. गढ़पाल ने एल. के. जी. से कक्षा 5 तक निजी अथवा शासकीय स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में पालि भाषा पढ़ाने के निमित्त कुछ रोचक और ज्ञान-वर्धक पुस्तकें तैयार की हैं। इच्छुक अध्येयता इन आकर्षक और सुदर पुस्तकों को मंगाकर घर बैठे पालि का अभ्यास कर सकते हैं।
पालि और धम्म-कार्य में रूचि रखने वाले सदस्य फेसबुक और वाट्स-अप पर की जाने वाली पोस्ट 'आओ पालि सीखे'/ 'पालि अभ्यासमाला' से आहिस्ता-आहिस्ता पालि सीख सकते हैं. आपको नियमित रूप से धैर्य के साथ इस अभ्यास-माला को पढ़ते जाना है। 'पालिमित्ता', 'पालि पसिक्खणं' 'पालि वदतु' 'BVSP ' आदि वाट्स -अप ग्रुप पालि पठन-पाठन के लिए संचालित हैं। इच्छुक पाठक इसका लाभ उठा सकते हैं. धन्यवाद। भवतु सब्ब मंगलं।
पालि सीखना बहुत सरल है। पालि भाषा बहुत सरल है। यह गावं-देहातों की भाषा है। यह संस्कृत जैसी कठिन नहीं है।
पालि सीखने का तरीका है- पालि शब्द, पालि वाक्य, पालि संवाद निरंतर सुनना। आपने ध्यान दिया होगा कि शिशु, घर में बोली जाने वाली भाषा बिना लिखे-पढ़े सीख लेता है ! कैसे ?
दरअसल, शिशु घर में, जो भी भाषा बोली जाती है, निरंतर सुनता है. उस भाषा के शब्द, वाक्य निरंतर उसके कानों को संस्कारित करते हैं। माँ जब भी उससे बात करती है, शिशु प्रश्नवाचक दृष्टि से माँ की ओर देखता है। माँ उन शब्दों को दुहराती है। वह शिशु की और देख कर उन शब्दों को बारम्बार दुहराती है। और, शिशु धीरे-धीरे उन शब्दों अर्थ समझने लगता है। वह बोलने का प्रयास करता है। वह बोलने लगता है। बस, यही टेकनिक है, कोई भी भाषा सीखने की। पालि भी हम ऐसे ही सीखते हैं।
प्रो प्रफुल्ल गढ़पाल, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान नई दिल्ली से सम्बद्ध हैं. प्रोफ़ेसर साहब, अपनी जीविका के साथ-साथ , पालि भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित है। पालि भाषा सीखने के इच्छुक धम्म-सेवियों के द्वारा 10-15 दिनों के पालि वर्क-शाप आयोजित किए जा सकते हैं। अभी तक म प्र सहित महाराष्ट्र के कई हिस्सों में ऐसे 4- 5 वर्क-शाप हो चुके हैं। ये प्रशिक्षण-शिविर आवासीय बुद्धविहार परिसरों में संचालित होते हैं, जिनमें रहने और भोजन की व्यवस्था की जाती है। प्रोफ़ेसर गढ़पाल से समय लेकर अपने क्षेत्र में ऐसे आवासीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा सकते हैं. पालि भाषा प्रशिक्षण-शिविरों की खासियत यह है कि 10-15 दिनों की अल्प-अवधि में ही प्रतिभागी दैनिक बोल-चाल में पालि का प्रयोग करने लग जाता है। इधर, कुछ दिनों से भोपाल (म प्र ) स्थित अशोका बुद्ध विहार में पालि-क्लासेस प्रारंभ हो चुकी हैं।
प्रो. गढ़पाल ने एल. के. जी. से कक्षा 5 तक निजी अथवा शासकीय स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में पालि भाषा पढ़ाने के निमित्त कुछ रोचक और ज्ञान-वर्धक पुस्तकें तैयार की हैं। इच्छुक अध्येयता इन आकर्षक और सुदर पुस्तकों को मंगाकर घर बैठे पालि का अभ्यास कर सकते हैं।
पालि और धम्म-कार्य में रूचि रखने वाले सदस्य फेसबुक और वाट्स-अप पर की जाने वाली पोस्ट 'आओ पालि सीखे'/ 'पालि अभ्यासमाला' से आहिस्ता-आहिस्ता पालि सीख सकते हैं. आपको नियमित रूप से धैर्य के साथ इस अभ्यास-माला को पढ़ते जाना है। 'पालिमित्ता', 'पालि पसिक्खणं' 'पालि वदतु' 'BVSP ' आदि वाट्स -अप ग्रुप पालि पठन-पाठन के लिए संचालित हैं। इच्छुक पाठक इसका लाभ उठा सकते हैं. धन्यवाद। भवतु सब्ब मंगलं।
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