नंदियो परिवाजको भगवन्त अपुच्छि- "कति नु खो भो गोतमो, धम्मा भाविता बहुलीकता निब्बानङगमा होन्ति ?
नंदिय परिवाजक ने भगवान से पूछा - "हे गोतम, कितने धर्म हैं जिनके अभ्यास से निर्वाण की प्राप्ति होती है ?
अट्ठिमे खो नंदिय, धम्मा भाविता बहुलीकता निब्बानङगमा होन्ति। कतमे अट्ठ ? सेय्यथिदं- सम्मा दिट्ठि ----पे--सम्मा समाधि 'ति भगवा एतद वोच्च .
नंदिय, वे आठ धर्म हैं जिनके अभ्यास से निर्वाण की प्राप्ति हो सकती है। जो यह सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाचा, सम्यक कर्मान्त, सम्यक आजीव, सम्यक व्यायाम, सम्यक स्मृति, सम्यक समाधि।
भिक्खुओ! सम्यक दृष्टि क्या है ? दुक्ख का ज्ञान, दुक्ख के समुदय का ज्ञान, दुक्ख निरोध का ज्ञान और दुक्ख निरोध-गामी मार्ग का ज्ञान ही सम्यक दृष्टि है।
भिक्खुओ! सम्यक संकल्प क्या है ? जो त्याग का संकल्प है, वैर और हिंसा से अलग रहने का संकल्प है, यही सम्यक संकल्प है।
भिक्खुओ! सम्यक वाचा क्या है ? झूठ, चुगली, कटु भाषण और गप्प हांकने से वीरत रहन ही सम्यक वाचा है।
भिक्खुओ ! सम्यक कर्मान्त क्या है ? जीव हिंसा, चोरी और अब्रह्मचर्य से विरत रहना ही सम्यक कर्मान्त है।
भिक्खुओ ! सम्यक आजीव क्या है ? मिथ्या आजीव को छोड़ सम्यक आजीव से अपनी जीविका चलाना ही सम्यक आजीव है।
भिक्खुओ! सम्यक व्यायाम क्या है ? अनुत्पन्न अकुशल कर्मों के अनुत्पाद के लिए, उत्पन्न अकुशल कर्मों के प्रहाण के लिए, उत्पन्न कुशल धर्मों की वृद्धि के लिए व्यायाम करना ही सम्यक व्यायाम है।
भिक्खुओ! सम्यक स्मृति क्या है ? काया, वेदना और चित के प्रति स्मृतिमान(सजग) होना ही सम्यक स्मृति है।
भिक्खुओ! सम्यक समाधि क्या है ? सतत चिंतन शील रहना ही सम्यक समाधि है।
अभिक्ककन्तंं भो गोतम, अभिक्ककन्तंं। उपासकं मं भवं गोतमो धारेतु अज्ज्तग्गे पाणुपेतं सरणं गतं'ति (नंदिय सुत्त :संयुक्त निकाय :43-1-10 )।
नंदिय परिवाजक ने भगवान से पूछा - "हे गोतम, कितने धर्म हैं जिनके अभ्यास से निर्वाण की प्राप्ति होती है ?
अट्ठिमे खो नंदिय, धम्मा भाविता बहुलीकता निब्बानङगमा होन्ति। कतमे अट्ठ ? सेय्यथिदं- सम्मा दिट्ठि ----पे--सम्मा समाधि 'ति भगवा एतद वोच्च .
नंदिय, वे आठ धर्म हैं जिनके अभ्यास से निर्वाण की प्राप्ति हो सकती है। जो यह सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाचा, सम्यक कर्मान्त, सम्यक आजीव, सम्यक व्यायाम, सम्यक स्मृति, सम्यक समाधि।
भिक्खुओ! सम्यक दृष्टि क्या है ? दुक्ख का ज्ञान, दुक्ख के समुदय का ज्ञान, दुक्ख निरोध का ज्ञान और दुक्ख निरोध-गामी मार्ग का ज्ञान ही सम्यक दृष्टि है।
भिक्खुओ! सम्यक संकल्प क्या है ? जो त्याग का संकल्प है, वैर और हिंसा से अलग रहने का संकल्प है, यही सम्यक संकल्प है।
भिक्खुओ! सम्यक वाचा क्या है ? झूठ, चुगली, कटु भाषण और गप्प हांकने से वीरत रहन ही सम्यक वाचा है।
भिक्खुओ ! सम्यक कर्मान्त क्या है ? जीव हिंसा, चोरी और अब्रह्मचर्य से विरत रहना ही सम्यक कर्मान्त है।
भिक्खुओ ! सम्यक आजीव क्या है ? मिथ्या आजीव को छोड़ सम्यक आजीव से अपनी जीविका चलाना ही सम्यक आजीव है।
भिक्खुओ! सम्यक व्यायाम क्या है ? अनुत्पन्न अकुशल कर्मों के अनुत्पाद के लिए, उत्पन्न अकुशल कर्मों के प्रहाण के लिए, उत्पन्न कुशल धर्मों की वृद्धि के लिए व्यायाम करना ही सम्यक व्यायाम है।
भिक्खुओ! सम्यक स्मृति क्या है ? काया, वेदना और चित के प्रति स्मृतिमान(सजग) होना ही सम्यक स्मृति है।
भिक्खुओ! सम्यक समाधि क्या है ? सतत चिंतन शील रहना ही सम्यक समाधि है।
अभिक्ककन्तंं भो गोतम, अभिक्ककन्तंं। उपासकं मं भवं गोतमो धारेतु अज्ज्तग्गे पाणुपेतं सरणं गतं'ति (नंदिय सुत्त :संयुक्त निकाय :43-1-10 )।
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