Wednesday, August 5, 2020

Pali learning Lesson Aug. 2020

धम्म बंधुओं,  'आओ पालि सीखें' वाट्स-एप ग्रुप के द्वारा आपको घर बैठे, आपके समय/सुविधानुसार पालि भाषा सीखाने का प्रयास किया जाता है।
प्रत्येक दिन करीब 9.00 बजे वाट्सएप ग्रुप पर पढाया जाने वाला पाठ/अभ्यास  पोस्ट किया जाता है और 16.00 से 16.40 तक नए अभ्यर्थियों की तथा 16.40 से 17.30 के मध्य सीनियर अभ्यर्थियों की आन-लाइन क्लास ली जाती है। इच्छुक  उपासक/उपासिका इस ग्रुप में शामिल होकर नि:शुल्क पालि भाषा सीख सकते हैं।  -Contact No.  09630826117

01. 08. 2020
जेट्ठ माणवकानं
विभत्ति पयोगा-
उकारान्त  'पितु'
विभत्ति एकवचनं- अनेकवचनं
पठमा पिता- पितरो
दुतिया पितरं- पितरे, पितरो
ततिया पितरा- पितरेहि, पितरेभि, पितूहि, पितूभि
चतुत्थी पितु, पितुनो, पितुस्स- पितरानं, पितानं, पितून्नं
पञ्चमी पितरा- पितरेहि, पितरेभि, पितूहि, पितूभि
छट्ठी पितु, पितुनो, पितुस्स- पितरानं, पितानं, पितून्नं
सत्तमी पितरि- पितरेसु, पितुसु, पितूसु
आलपनं भो पित, भो पिता- भोन्तो पितरो
समं रूपं-
भातु(भाता), धीतु(धीता), दुहितु(दुहिता), जमातु(जमाता), नत्तु, होतु, पोतु आदि।

सरलानी वाक्यानि
पठमा-   पिता पुत्तं भोजेति। पिता पुत्र को भोजन कराता है।
दुतिया- पुत्तो अपि पितरं भोजेति।
ततिया- पुत्तो पितरा सह आपणं गच्छति।
चतुत्थी- पुत्ती पितुनो पत्तं लिखति।
पञ्चमी- पुत्ती पितरा दूरं निवसति।
छट्ठी- भीमरावस्स पितुस्स नाम रामजी सकपालो।
सत्तमी- पुत्तो पितरि पसीदति। पुत्र पिता में श्रद्धावान होता है।
आलपन- भो पिता ! तव मम नमन। हे पिता ! तुम्हे मेरा नमन है।

इसी प्रकार उकारान्त शब्द भातु(भाता), धीतु(धीता), दुहितु(दुहिता), जमातु(जमाता), नत्तु, होतु, पोतु आदि
 के विभत्ति रूपों के साथ वाक्य बनाये जा सकते है।
-----------------------------------

02. 08. 2020
जेट्ठ माणवकानं
विभत्ति पयोगा-
उकारान्त  'पितु'
विभत्ति एकवचनं- अनेकवचनं
पठमा पिता- पितरो
दुतिया पितरं- पितरे, पितरो
ततिया पितरा- पितरेहि, पितरेभि, पितूहि, पितूभि
चतुत्थी पितु, पितुनो, पितुस्स- पितरानं, पितानं, पितून्नं
पञ्चमी पितरा- पितरेहि, पितरेभि, पितूहि, पितूभि
छट्ठी पितु, पितुनो, पितुस्स- पितरानं, पितानं, पितून्नं
सत्तमी पितरि- पितरेसु, पितुसु, पितूसु
आलपनं भो पित, भो पिता- भोन्तो पितरो
समं रूपं-
भातु(भाता), धीतु(धीता), दुहितु(दुहिता), जमातु(जमाता), नत्तु, होतु, पोतु आदि।

सरलानी वाक्यानि
पठमा-   पिता पुत्तं भोजेति। पिता पुत्र को भोजन कराता है।
दुतिया- पुत्तो अपि पितरं भोजेति।
ततिया- पुत्तो पितरा सह आपणं गच्छति।
चतुत्थी- पुत्ती पितुनो पत्तं लिखति।
पञ्चमी- पुत्ती पितरा दूरं निवसति।
छट्ठी- भीमरावस्स पितुस्स नाम रामजी सकपालो।
सत्तमी- पुत्तो पितरि पसीदति। पुत्र पिता में श्रद्धावान होता है।
आलपन- भो पिता ! तव मम नमन। हे पिता ! तुम्हे मेरा नमन है।

इसी प्रकार उकारान्त शब्द भातु(भाता), धीतु(धीता), दुहितु(दुहिता), जमातु(जमाता), नत्तु, होतु, पोतु आदि
 के विभत्ति रूपों के साथ वाक्य बनाये जा सकते है।
---------------------------------

03. 08. 2020
जेट्ठ माणवकानं
विभत्ति पयोगा-
उकारान्त  'पितु'
विभत्ति एकवचनं- अनेकवचनं
पठमा पिता- पितरो
दुतिया पितरं- पितरे, पितरो
ततिया पितरा- पितरेहि, पितरेभि, पितूहि, पितूभि
चतुत्थी पितु, पितुनो, पितुस्स- पितरानं, पितानं, पितून्नं
पञ्चमी पितरा- पितरेहि, पितरेभि, पितूहि, पितूभि
छट्ठी पितु, पितुनो, पितुस्स- पितरानं, पितानं, पितून्नं
सत्तमी पितरि- पितरेसु, पितुसु, पितूसु
आलपनं भो पित, भो पिता- भोन्तो पितरो
समं रूपं-
भातु(भाता), धीतु(धीता), दुहितु(दुहिता), जमातु(जमाता), नत्तु, होतु, पोतु आदि।

इसी प्रकार उकारान्त शब्द भातु(भाता), धीतु(धीता), दुहितु(दुहिता), जमातु(जमाता), नत्तु, होतु, पोतु आदि
 के विभत्ति रूपों के साथ वाक्य बनाये जा सकते है।
-------------------------------
04. 08. 2020
कनिट्ठ  च जेट्ठ माणवकानं
मित्तानं सल्लापं

राहुलो- ‘‘मितं अभिवादनं।’’
आनन्दो- ‘‘अभिवादनं। भवं कथं अत्थि ?’’
राहुलो- ‘‘अहं कुसलो अम्हि।’’

राहुलो- ‘‘भवं परिवारे सब्बे कथं सन्ति?’’
आनन्दो- ‘‘मम परिवारे सब्बे कुसला सन्ति।’’

राहुलो- ‘‘तव माता-पिता कुत्थ सन्ति?’’
आनन्दो- ‘‘मम माता-पिता मय्हं सद्धिं येव निवसन्ति/
मम माता-पिता नागपुर नगरे निवसन्ति।’’

राहुलो- ‘‘भवं माता-पिता कुहिं निवसन्ति?
आनन्दो- ‘‘ते अपि मय्हं सद्धिं येव निवसन्ति/
ते नागपूर नगरे निवसन्ति।’’

राहुलो- ‘‘भवं कति भातु भगिनियो?
आनन्दो- ‘‘मय्हं एको भाता च एका भगिनी अत्थि/
मय्हं द्वे/दुवे भातरो च एका भगिनी सन्ति/
मय्हं एको भाता च द्वे/दुवे भगिनियो सन्ति/
मय्हं तयो भातरो च एका भगिनी सन्ति/
मय्हं तयो भातरो च एका च भगिनी सन्ति/
मय्हं चत्तारो भातरो च द्वे भगिनियो सन्ति/
मय्हं चत्तारो भातरो च तिस्सो भगिनियो सन्ति।’’

राहुलो- ‘‘तव भाता किं करोति?’’
आनन्दो- ‘‘सो विज्झालयं गच्छति/
सो करियालयं गच्छति।’’
राहुलो- ‘‘तव भातरो किं करोन्ति?’’
आनन्दो ‘‘एको कस्सको, दूतियो अज्झापको अत्थि।’’
‘‘तव भाता च भगनिया किं करोन्ति?
राहुलो- ‘‘तेसु एको कस्सको, दूतियो अज्झापको, द्वे तायं पाठसालासु
    उग्गहन्ति।’’

राहुलो- ‘‘भवं पालिभासा जानासि?’’
आनन्दो- ‘‘आम, अहं थोकं जानामि।’’

राहुलो- ‘‘अज्ज भवं सुन्दरो दिस्सति!’’
आनन्दो- ‘‘साधुवादो।’’

राहुलो- ‘‘अत्थु, पुनं मिलाम।’’
आन्नदो- ‘‘साधुवादो, भवं पुनं मिलाम।’’
___________________________

05. 08. 2020
आवृति वाचक संख्या
जेट्ठ  माणवकानं
एकवारं।
द्विवारं।
तिवारं।

द्विगुणं- दुगुणा।
चतुगुणं- चार गुणा।

एकक्खन्तुं- एकबार
द्विक्खत्तुं- दो बार।
तिक्खत्तुुं- तीन बार।
छक्खत्तुं- छह बार।
कतिक्खत्तुं- कितनी बार।
बहुक्खत्तुुं- बहुत बार।


11. एकधा/एकज्झं- एक प्रकार से।
द्विधा- दो प्रकार से।
तिविधा- तीन प्रकार से
सत्तधा- सात प्रकार से।
बहुधा- बहुत प्रकार से/ विविध/ बहुविध।

खण्डसो- खण्ड-खण्ड करके।
मत्तसो- मात्रानुसार

एकेकसो- एक-एक करके।
भागसो- भाग-भाग करके ।
पंचसो- पांच-पांच करके
सतसो- सौ-सौ करके ।
सहस्सो- हजार-हजार करके ।
पुथुसो- विस्तार करके ।
भिय्योसो- अत्यधिक करके ।
सब्बसो- सब प्रकार से।
अथसो- अर्थ से/के अनुसार।
अन्तमसो- अन्तिम दर्जे का
योनिसो-  उचित प्रकार/ढंग से।
सहसो- अचानक/जबर्दस्ती से ।

अञ्ञथा- दूसरी तरह से/अन्यथा
सब्बथा-  सभी प्रकार से
----------------------------

6. 08. 2020
आवृति वाचक संख्या
जेट्ठ  माणवकानं
एकवारं।
द्विवारं।
तिवारं।

द्विगुणं- दुगुणा।
चतुगुणं- चार गुणा।

एकक्खन्तुं- एकबार
द्विक्खत्तुं- दो बार।
तिक्खत्तुुं- तीन बार।
छक्खत्तुं- छह बार।
कतिक्खत्तुं- कितनी बार।
बहुक्खत्तुुं- बहुत बार।

11. एकधा/एकज्झं- एक प्रकार से। 
द्विधा- दो प्रकार से।
तिविधा- तीन प्रकार से
सत्तधा- सात प्रकार से।
बहुधा- बहुत प्रकार से/ विविध/ बहुविध।

खण्डसो- खण्ड-खण्ड करके।
मत्तसो- मात्रानुसार

एकेकसो- एक-एक करके।
भागसो- भाग-भाग करके ।
पंचसो- पांच-पांच करके
सतसो- सौ-सौ करके ।
सहस्सो- हजार-हजार करके ।
पुथुसो- विस्तार करके ।
भिय्योसो- अत्यधिक करके ।
सब्बसो- सब प्रकार से।
अथसो- अर्थ से/के अनुसार।
अन्तमसो- अन्तिम दर्जे का
योनिसो-  उचित प्रकार/ढंग से।
सहसो- अचानक/जबर्दस्ती से ।
सब्बथा-  सभी प्रकार से
अञ्ञथा- दूसरी तरह से/अन्यथा

सरलानि वाक्यानि-
द्विहि पकारेहि करोति- द्विधा करोति.
सब्बेन पकारेन- सब्बथा.
द्वे वारे भुञ्जति- द्विक्खन्त्तुं भुञ्जति.
कतिक्खन्त्तुं भुञ्जति- कितनी बार खाता है ?
एकं वारं भुञ्जति.
सब्बसो- सभी प्रकार से.
एकज्झं करोति- एकधा करोति.
----------------------------------------

07. 08  2020
जेट्ठ  माणवकानं
अम्ह (मैं)
अत्थ मयं ‘अम्ह’ सद्दस्स तिसु लिंगेसु विभत्ति रूपानि पस्सिसाम।
‘अम्ह’ और ‘तुम्ह’ सर्वनाम के रूप तीनों लिंगों में समान होते हैं।

विभत्ति    एकवचनं-       अनेकवचनं
पठमा (मैं)   अहं-              मयं,अस्मा,अम्हे,नो
दुतिया(मुझको)   मं, ममं-           अम्हं,अम्हे,अम्हाकं,नो
ततिया(मेरे द्वारा)  मया, मे-     अम्हेहि, अम्हेभि, नो
चतुत्थी(मेरे लिए)  मम,ममं,मय्हं-    अस्माकं,अम्हाकं,अम्ह
                            अम्हं,मे-                    अम्ह,अम्हे,नो
पञ्चमी(मुझ से) मया-        अम्हेहि, अम्हेभि
छट्ठी(मेरा) मम,ममं,मय्हं,अम्हं,मे-  अम्हाकं,अम्ह,अम्हे,नो
सत्तमी(मुझ में) मयि-         अम्हेसु, अस्मासु
-----------------------------------

08. 08  2020
जेट्ठ  माणवकानं
अम्ह (मैं)
अत्थ मयं ‘अम्ह’ सद्दस्स तिसु लिंगेसु विभत्ति रूपानि पस्सिसाम।
‘अम्ह’ और ‘तुम्ह’ सर्वनाम के रूप तीनों लिंगों में समान होते हैं।

विभत्ति    एकवचनं-       अनेकवचनं
पठमा (मैं)    अहं-              मयं,अस्मा,अम्हे,नो
दुतिया(मुझको)   मं, ममं-           अम्हं,अम्हे,अम्हाकं,नो
ततिया(मेरे द्वारा)  मया, मे-     अम्हेहि, अम्हेभि, नो
चतुत्थी(मेरे लिए)  मम,ममं,मय्हं-    अस्माकं,अम्हाकं,अम्ह
                            अम्हं,मे-                    अम्ह,अम्हे,नो
पञ्चमी(मुझ से) मया-        अम्हेहि, अम्हेभि
छट्ठी(मेरा) मम,ममं,मय्हं,अम्हं,मे-  अम्हाकं,अम्ह,अम्हे,नो
सत्तमी(मुझ में) मयि-         अम्हेसु, अस्मासु

सरलानि वाक्यानि -  
 एकवचन- अनेकवचन   
पठमा विभत्ति(मैं)-
अहं बुद्धं सरणं गच्छामि.  मैं बुद्ध की शरण जाता हूँ.
अम्हे बुद्ध सरणं गच्छाम।  हम बुद्ध की शरण जाते हैं।
अहं नहायामि। मैं नहाता हूँ। 
मयं नहायाम. हम नहाते हैं.
अम्हे धनिका होम। हम धनी हों। 

द्वितीया विभत्ति(मुझको)-
 मं/ममं सच्चं वदनं रुच्चति. 
मुझको सच बोलना अच्छा लगता है.
मम मातु ममं ममायति। 

ततिया विभत्ति(मेरे से/द्वारा )- 
अयं धम्म-करियं मया कतं.
यह धम्म-कार्य मेरे द्वारा किया गया है.
धम्म-सेवा अम्हेहि करणीया.
हमारे द्वारा धम्म-सेवा किया जाना चाहिए. 

चतुत्थी विभत्ति(मेरे लिए)-
देस सेवा मय्हं पठमा सेवा.
देश सेवा मेरे लिए प्रथम सेवा है.
मम मातु मय्हं अम्ब रसं देति।
मेरी माँ मुझको आम का रस देती है। 

पञ्चमी(मुझसे)-
मम मातुलो मया दूरं निवसन्ति। 
मेरे मामा मुझसे दूर रहते हैं। 

छट्ठी(मेरा/हमारा)-
बुद्ध सासनं मम/अम्हाकं धम्मो। 
बुद्ध का शासन मेरा/हमारा धर्म है। 
अम्हाकं धम्मो सन्ति च करुणाय धम्मो। 
हमारा धर्म शांति और करुणा का धर्म है.
अम्हाकं किन्करो नहायितुं नदिं गच्छति। 
अम्हाकं घरं भोतिया आगमनं कदा भविस्सति ?

सत्तमी(मुझ/हमारे में)-
मयि हदये भगवा तिट्ठन्ति. मेरे ह्रदय में बुद्ध बसते हैं.
अम्हेसु यो पालि सम्मा पठति सो आचरियो भवति। 
हमारे में जो पालि अच्छे से पढ़ता है, वह आचार्य होता है । 
----------------------------------------

09. 08  2020
जेट्ठ  माणवकानं
अम्ह (मैं)
अत्थ मयं ‘अम्ह’ सद्दस्स तिसु लिंगेसु विभत्ति रूपानि पस्सिसाम।
‘अम्ह’ और ‘तुम्ह’ सर्वनाम के रूप तीनों लिंगों में समान होते हैं।

विभत्ति    एकवचनं-       अनेकवचनं
पठमा (मैं)    अहं-              मयं,अस्मा,अम्हे,नो
दुतिया(मुझको)   मं, ममं-           अम्हं,अम्हे,अम्हाकं,नो
ततिया(मेरे द्वारा)  मया, मे-     अम्हेहि, अम्हेभि, नो
चतुत्थी(मेरे लिए)  मम,ममं,मय्हं-    अस्माकं,अम्हाकं,अम्ह
                            अम्हं,मे-                    अम्ह,अम्हे,नो
पञ्चमी(मुझ से) मया-        अम्हेहि, अम्हेभि
छट्ठी(मेरा) मम,ममं,मय्हं,अम्हं,मे-  अम्हाकं,अम्ह,अम्हे,नो
सत्तमी(मुझ में) मयि-         अम्हेसु, अस्मासु

सरलानि वाक्यानि -  
 एकवचन- अनेकवचन   
पठमा विभत्ति(मैं)-
अहं बुद्धं सरणं गच्छामि.  
मैं बुद्ध की शरण जाता हूँ.
अम्हे बुद्ध सरणं गच्छाम।  
हम बुद्ध की शरण जाते हैं।
अहं नहायामि। मैं नहाता हूँ। 
मयं नहायाम. हम नहाते हैं.
अम्हे धनिका होम। हम धनी हों। 

द्वितीया विभत्ति(मुझको)-
 मं/ममं सच्चं वदनं रुच्चति. 
मुझको सच बोलना अच्छा लगता है.

ततिया विभत्ति(मेरे से/द्वारा )- 
अयं धम्म-करियं मया कतं.
यह धम्म-कार्य मेरे द्वारा किया गया है.
धम्म-सेवा अम्हेहि करणीया.
हमारे द्वारा धम्म-सेवा किया जाना चाहिए. 

चतुत्थी विभत्ति(मेरे लिए)-
देस सेवा मय्हं पठमा सेवा.
देश सेवा मेरे लिए प्रथम सेवा है.

पञ्चमी(मुझसे)-
मम मातुलो मया दूरं निवसन्ति। 
मेरे मामा मुझसे दूर रहते हैं। 

छट्ठी(मेरा/हमारा)-
बुद्ध सासनं मम/अम्हाकं धम्मो। 
बुद्ध का शासन मेरा/हमारा धर्म है। 
अम्हाकं धम्मो सन्ति च करुणाय धम्मो। 
हमारा धर्म शांति और करुणा का धर्म है.
अम्हाकं किन्करो नहायितुं नदिं गच्छति। 
अम्हाकं घरं भोतिया आगमनं कदा भविस्सति ?

सत्तमी(मुझ/हमारे में)-
मयि हदये भगवा तिट्ठन्ति. मेरे ह्रदय में बुद्ध बसते हैं.
अम्हेसु यो पालि सम्मा पठति सो आचरियो भवति। 
हमारे में जो पालि अच्छे से पढ़ता है, वह आचार्य होता है । 

----------------------------

11. 08  2020
जेट्ठ  माणवकानं
अम्ह (मैं)
अत्थ मयं ‘अम्ह’ सद्दस्स तिसु लिंगेसु विभत्ति रूपानि पस्सिसाम।
‘अम्ह’ और ‘तुम्ह’ सर्वनाम के रूप तीनों लिंगों में समान होते हैं।

विभत्ति    एकवचनं-       अनेकवचनं
पठमा (मैं)    अहं-              मयं,अस्मा,अम्हे,नो
दुतिया(मुझको)   मं, ममं-           अम्हं,अम्हे,अम्हाकं,नो
ततिया(मेरे द्वारा)  मया, मे-     अम्हेहि, अम्हेभि, नो
चतुत्थी(मेरे लिए)  मम,ममं,मय्हं-    अस्माकं,अम्हाकं,अम्ह
                            अम्हं,मे-                    अम्ह,अम्हे,नो
पञ्चमी(मुझ से) मया-        अम्हेहि, अम्हेभि
छट्ठी(मेरा) मम,ममं,मय्हं,अम्हं,मे-  अम्हाकं,अम्ह,अम्हे,नो
सत्तमी(मुझ में) मयि-         अम्हेसु, अस्मासु

सरलानि वाक्यानि -  
 एकवचन- अनेकवचन   
पठमा विभत्ति(मैं)-
अहं बुद्धं सरणं गच्छामि.  मैं बुद्ध की शरण जाता हूँ.
अम्हे बुद्ध सरणं गच्छाम।  हम बुद्ध की शरण जाते हैं।
अहं नहायामि। मैं नहाता हूँ। 
मयं नहायाम. हम नहाते हैं.
अम्हे धनिका होम। हम धनी हों। 

द्वितीया विभत्ति(मुझको)-
 मं/ममं सच्चं वदनं रुच्चति. 
मुझको सच बोलना अच्छा लगता है.
मम मातु ममं ममायति।
मेरी माँ मुझको प्रेम करती है।  

ततिया विभत्ति(मेरे से/द्वारा )- 
अयं धम्म-करियं मया कतं.
यह धम्म-कार्य मेरे द्वारा किया गया है.
धम्म-सेवा अम्हेहि करणीया.
हमारे द्वारा धम्म-सेवा किया जाना चाहिए. 

चतुत्थी विभत्ति(मेरे लिए)-
देस सेवा मय्हं पठमा सेवा.
देश सेवा मेरे लिए प्रथम सेवा है.
मम मातु मय्हं अम्ब रसं देति।
मेरी माँ मुझको आम का रस देती है। 
जोति मय्हं पुप्फ गुच्छं देति।

पञ्चमी(मुझसे)-
मम मातुलो मया दूरं निवसन्ति। 
मेरे मामा मुझसे दूर रहते हैं। 
फरुस वदनं मया न होति। 
अकतं कतं मया न होति। 
जीव हिंसा मया न होति। 
काया किलेसं मया न होति।  

छट्ठी(मेरा/हमारा)-
बुद्ध सासनं मम/अम्हाकं धम्मो। 
बुद्ध का शासन मेरा/हमारा धर्म है।
मम नगरे विजयादसमी उस्सवो बहु साज-सज्जेन आचरेति।
अम्हाकं धम्मो सन्ति च करुणाय धम्मो। 
हमारा धर्म शांति और करुणा का धर्म है.
अम्हाकं किन्करो नहायितुं नदिं गच्छति। 
अम्हाकं घरं भोतिया आगमनं कदा भविस्सति ?
अम्हाकं आचरियो अम्हे पालि सम्मा पाठेति।  
पालि अम्हाकं पिय भासा। 
पालि अम्हाकं संखार भासा। 
मात-पितुनो सेवा मम/अम्हाकं धम्मो। 
अम्हाकं वेज्झो ओसधि आनेति। 

सत्तमी(मुझ/हमारे में)-
मयि हदये भगवा तिट्ठन्ति. मेरे ह्रदय में बुद्ध बसते हैं.
अम्हेसु यो पालि सम्मा पठति सो आचरियो भवति। 
हमारे में जो पालि अच्छे से पढ़ता है, वह आचार्य होता है । 
--------------------------------
12. 08. 2020
तुम्ह (तू )
विभत्ति एकवचनं- अनेकवचनं
पठमा(तू) त्वं, तुवं- तुम्हे, वो
दुतिया(तुझको) तं, तवं, त्वं, तुवं तुम्हं- तुम्हे, तुम्हाकं, वो
ततिया(तेरे द्वारा) त्वया, तया, तव, ते- तुम्हेहि, तुम्हेभि, वो 
चतुत्थी(तेरे लिए) तव, तुय्हं, तुम्हं,ते- तुम्हे, तुम्हाकं, वो
 पञ्चमी(तुझसे) त्वया, तया- तुम्हेहि, तुम्हेभि
छट्ठी(तेरा) तव, तुय्हं, तुम्हं,ते- तुम्हे, तुम्हाकं, वो
सत्तमी(तुझ में) त्वयि, तयि- तुम्हेसु

रक्खतु वो, पस्सतु नो।
  ददाति वो, ददाहि नो। 
ददामि ते, ददाहि मे, इदं ते, अयं मे। 
कतं ते तया वा। कतं मे मया वा। 
कतं वो, कतं नो।

अम्हे बुद्ध सरणं गच्छाम।
अम्हाकं बुद्धो, अम्हाकं धम्मो, अम्हाकं संघो।
----------------------------------------------------------------

13. 08. 2020
तुम्ह (तू )
विभत्ति एकवचनं- अनेकवचनं
पठमा(तू) त्वं, तुवं- तुम्हे, वो
दुतिया(तुझको) तं, तवं, त्वं, तुवं तुम्हं- तुम्हे, तुम्हाकं, वो
ततिया(तेरे द्वारा) त्वया, तया, तव, ते- तुम्हेहि, तुम्हेभि, वो 
चतुत्थी(तेरे लिए) तव, तुय्हं, तुम्हं,ते- तुम्हे, तुम्हाकं, वो
 पञ्चमी(तुझसे) त्वया, तया- तुम्हेहि, तुम्हेभि
छट्ठी(तेरा) तव, तुय्हं, तुम्हं,ते- तुम्हे, तुम्हाकं, वो
सत्तमी(तुझ में) त्वयि, तयि- तुम्हेसु

सरलानि वाक्यानि-
पठमा-  त्वं विज्जालयं गच्छ। तू विद्यालय जा। 
त्वं किय सुन्दरा दिस्ससि ! तुम कितनी सुन्दर दिखती हो !
  त्वं बुद्धं सरणं गच्छसि। तुम्हे धम्मं सरणं गच्छथ। 

दुतिया- 
तं को पक्कोसति ? तुमको कौन  बुलाता है ?

तातिया- 
अयं करियं तया कतं। यह कार्य तेरे द्वारा किया गया। 
तया सुतं धम्मं अम्हे'पि  सावेहि। तेरे द्वारा सुना गया धम्म हमें भी सुनाओ। 

चतुत्थी- 
तुय्हं पालियं भासणं सोभति। 
आपको पालि में बोलना शोभा देता है। 
तव कि एतस्स पयोजन ? तुम्हारे लिए इसका क्या प्रयोजन है ?
इच्छितं पत्थितं तुय्हं खिप्पमेव समिज्झतु। 
तुम्हारे द्वारा इच्छित प्रार्थित है,  तुम्हे शीघ्र सफलता मिले।
तुय्हं सेत सटिका बहु सुन्दरं दिस्सति। 
तुय्हं भगवा धम्मो रोचति। 
किं पात-काले भमणं तुय्हं रोचति वा ?  
प्रात-काल का भ्रमण तुम्हे पसंद है क्या ?
तुय्हं फरुस वचनं न सोभति। 
तुय्हं पर-निन्दा न सोभति 

पञ्चमी-
तव मातुलो त्वया दूरं निवसति। 
अयं करियं त्वया न भवि सक्कोति। 
तव छाया त्वया दूरं गच्छति। 
छट्ठी- 
बुद्ध सासनं तव धम्मो। बुद्ध का शासन तुम्हारा धर्म है। 
तुम्हाकं धम्मो सन्ति च करुणाय धम्मो। 
तव कीकरो आपणं गच्छति। तुम्हारा नौकर बाजार गया है। 
तुम्हाकं घरं कुत्थ अत्थि ? तुम्हारा घर कहाँ है ?
तव पुत्तो कुत्थ निवसति। 
तव भासणं सम्मा अत्थि। 
तुम्हाकं पितु गिलानो अत्थि। 
तुम्हाकं नगरे किं किं दस्सनीय अत्थि ?
अम्हाकं धीतरो पाठसालं गच्छन्तु। 
हमारी बेटियां पाठशाला जाएं।
तव धितु घरं किं करोति ?
तव नाम किं अत्थि ? तुम्हारा क्या नाम है ?
कुसलो अत्थि तव पितु वा ? क्या तुम्हारे पिता सकुशल हैं ?
अम्हाकं परिवारो सुखेन जीव। हमारा परिवार सुख से रहे। 
अज्ज तुम्हाकं नगरे केन पकारेन पुण्णमी उस्सवो आचरति?
आज तुम्हारे नगर में पुण्णमी का उत्सव किस प्रकार मनाया जाता है ?
सत्तमी - 
त्वयि गते विवेको गेहं अगमासि। तेरे जाने पर विवेक घर आया।
त्वयि गते विवेको गेहं अगमासि।  
त्वयि हदये भगवा तिट्ठति। 
त्वयि घरे करियं न होति। 
 
--------------------------------------------------------
14. 08. 2020
तुम्ह (तू )
विभत्ति एकवचनं- अनेकवचनं
पठमा(तू) त्वं, तुवं- तुम्हे, वो
दुतिया(तुझको) तं, तवं, त्वं, तुवं तुम्हं- तुम्हे, तुम्हाकं, वो
ततिया(तेरे द्वारा) त्वया, तया, तव, ते- तुम्हेहि, तुम्हेभि, वो 
चतुत्थी(तेरे लिए) तव, तुय्हं, तुम्हं,ते- तुम्हे, तुम्हाकं, वो
 पञ्चमी(तुझसे) त्वया, तया- तुम्हेहि, तुम्हेभि
छट्ठी(तेरा) तव, तुय्हं, तुम्हं,ते- तुम्हे, तुम्हाकं, वो
सत्तमी(तुझ में) त्वयि, तयि- तुम्हेसु
अभ्यास-
त्वं के विभत्ति रूपों पर छोटे-छोटे 7 वाक्य बनाईये ?
------------------------------------------

16.08.2020
आरोग्य विसये
आनन्दो- मित्तंं ! कुसलो अत्थि ?
मित्र! कुशल  है?
राहुलो- न, मम मत्थके पीडा अत्थि।
नहीं, मेरे मस्तक में दर्द है।

आनन्दो- ओसधि सिकरोतु वा?
औसधि लिया क्या?
राहुलो- आम, ओसधि सेवनेन लाभो अत्थि।
हाॅं, ओसधि लेने से लाभ है।

मत्थके पीडाय अञ्ञं नाम सीसबाधा। 
सीसबाधा नाना पकारा होन्ति।
सीसबाधाय जना  'हेडेक' नामेन अपि जानाति।
इत्थीसु सीसबाधा बहुतर होति।  

आनन्दो- इमस्स ओसधस्स नामं किं?
इस ओसधि का क्या नाम है?
राहुलो- इमस्स ओसधि नामं 'मत्थके अद्दकं लेपनं'।
यह औसधि का नाम 'मस्तक पर अद्रक का लेप'  है।

आनन्दो- अयं  ओसधि खादनीयं वा लेपनीयं?
यह औसधि खाने के लिए है अथवा लेप करने ? 
राहुलो- मित्तं ! अयं ओसधि लेपनीयं। 
मित्र! यह ओसधि लेप करने के लिए है।
आनन्दो- अयं ओसधि सीकरेन लाभो भविस्सति ?
यह ओषधि लेने से लाभ होगा ?
राहुलो- आमं, अयं ओसधि सीकरेन लाभो भविस्सति।
हाॅं, यह औसधि लेने से लाभ होगा।

आनन्दो- घरस्स ओसधेहि आरोग्य-लाभ होति।
घरेलू औसधि से आरोग्य-लाभ होता है।
राहुलो- अज्ज, अहं ओसधं सिकरोतुं ओसधसालं गमिस्सामि।
आज, मैं औषधि लेने के लिए औषधालय जाऊंगा।

आनन्दो- सासपस्स तेलं आरोग्य-वड्ढकं होति?
सरसो तेल मालिस से आरोग्य-वृद्धि होती है?
राहुलो- आम, सासपस्स तेलं आरोग्यं वड्ढति।
हाॅं, सरसो-तेल मालिस से आरोग्य-वृद्धि होती है।

-----------------------------------------------
पुच्छा-विस्सजना-
1.  आरोग्य विसये सल्लापे को-को अस्थि ? 
2. अयं सल्लापो  कस्मिं विसये अस्थि ?
3. कस्स मत्थके पीड़ा अत्थि ?
4. मत्थके पीड़ा हरितुं राहुलो किं करोति ?
5.  अयं ओसधि खादनीय वा लेपनीयं ?
6. अद्दकंस्स अञ्ञं उपयोगा किं किं अत्थि ?
7.  अञ्ञं काचि द्वे घरसस्स ओसधि नाम वदतु ?
8. ओसधं सिकरोतुं ओसधसालं किमत्थं गच्छति ?
9. सासपस्स तेलं कस्स उपयोगं अत्थि ?
10. सासपस्स तेलं अञ्ञं उपयोगा लिखितु  ?
11. सब्बदा आरोग्य अत्थं किं करणीयं ?
-----------------------------------
18.08.2020
विभत्ति रूपानि
‘उ’ कारान्त इत्थिलिंगे-
मातु/माता
विभत्ति एकवचनं अनेकवचनं 
पठमा माता मातरो
दुतिया मातरं मातरे, मातरो
ततिया मातुया, मातरा, मात्या मातरेहि, मातरेभि, 
                        मातूहि, मातूभि
चतुत्थी मातु, मातुया, मात्या मातरानं, मातानं, मातून्नं
पंचमी मातुया, मातरा, मात्या मातरेहि, मातरेभि,
                                                               मातूहि, मातूभि
छट्ठी मातु, मातुया, मात्या मातरानं, मातानं, मातून्नं
सत्तमी मातरि,मातुया,मातुयं,मात्यं मातरेसु, मातुसु
आलपनं भोतिमात, भोतिमाता, भोतिमाते भोतियो मातरो

समं रूपानि-- धीतु/धीता(बेटी), दुहितु/दुहिता(पतोहु) आदि।

अभ्यास-
मातु भाता मातुलो, तस्स भरिया मातुलानी।
इस तरह के वाक्य बनाईये ?
-------------------------------------------------------
19.08.2020
सबंधो-

भत्तु भाता देवरो, तस्स भरिया देवरानी.
मातु भाता मातुलो, तस्स भरिया मातुलानी।

मातु भगिनी मातुच्छा, पितु भगिनी पितुच्छा.
मातु धीता भगिनी, तस्स पुत्ती भगिनिय्या. 

पुत्त दारको नत्तरो, तस्स भगिनी नत्तरी.
पुत्ती दारको नत्तरो, तस्स भगिनी नत्तरी.

पितु भातु चुळपिता, तस्स भरिया चुळमाता
भत्तु भातु देवरो, तस्स भगिनी ननदरा.

भत्तु माता सस्सु, तस्सा भत्तु ससुरो.
भत्तु भगिनी ननदरा, तस्सा भातु देवरो.

मम पुत्ती धीता, तस्सा भत्तु जामाता.
मम दारको पुत्तो, तस्स भरिया दुहिता.

मातुया माता मातामही, तस्सा भत्तु मातामहो.
पितुस्स मातु पितामही, तस्सा भत्तु पितामहो.
-------------------------------------
 20.08.2020
विभत्ति रूपानि
‘उ’ कारान्त इत्थिलिंगे-
मातु/माता
विभत्ति  एकवचनं अनेकवचनं 
पठमा माता मातरो
दुतिया मातरं मातरे, मातरो
ततिया मातुया, मातरा, मात्या मातरेहि, मातरेभि, 
                        मातूहि, मातूभि
चतुत्थी मातु, मातुया, मात्या मातरानं, मातानं, मातून्नं
पंचमी मातुया, मातरा, मात्या मातरेहि, मातरेभि,
                                                               मातूहि, मातूभि
छट्ठी मातु, मातुया, मात्या मातरानं, मातानं, मातून्नं
सत्तमी मातरि,मातुया,मातुयं,मात्यं मातरेसु, मातुसु
आलपनं भोतिमात, भोतिमाता, भोतिमाते भोतियो मातरो

समं रूपानि-- धीतु/धीता(बेटी), दुहितु/दुहिता(पतोहु) आदि।

सरलानि वाक्यानि-
पठमा(माता ने)-
माता-पिता पूजनीया.
माता पुत्तं चुम्बति.
माता पुत्तं नहायति
दुतिया(माता को)-
पुत्तो अपि मातरं चुम्बति.
दुहिता मातरं पत्तं लिखति।

ततिया(माता से/के द्वारा)-
रमा मातुया सह गीतं गायति
पुत्ती मातुया सह विहारं गच्छति.
पुत्तो मातुया सह कीळति।
चतुत्थी(माता को/के/लिए)-
अहं मातुया उपहारं आनेमि।
पुत्ती मातुया पोत्थकं उप्पहारं देति
पञ्चमी(माता से)-
करुणा मातुया निस्सन्दति. 
करुणा माता से रिसती है.
संक्खारो मातुया लभति।
छट्ठी(माता का/के/की)- 
मम मातुया नाम मेनावंती.
राहुलस्स मातुया नाम यसोधरा अत्थि ।
मम मात्या तिस्सो पुत्तियो सन्ति।
सत्तमी(माता में/पर/पास)-
मम मात-पितरि सद्दा अत्थि.
मेरी माता-पिता में/पर श्रद्धा है.
पुत्तस्स विस्सासो मातरि अत्थि.
पुत्र का विश्वास माता पर है.

अभ्यास- 
उक्त वाक्यों के आधार पर 'मातु' के प्रत्येक विभत्ति रूप पर दो-दो वाक्य बनाईये ? 


पिता पन तुम्हाकं जानाम, मातरं पन न पस्सिम्हा।
तुम्हारे पिता को जानते हैं, किन्तु माता को हमने नहीं देखा है।
मातुया यं कथितं तं ते पितुनो कथेन्ति।
राजानो मातापितुन्नं ओवादं सुनन्ता, सत्थुनो सन्तिकं गन्त्वा सत्थारं वन्दन्ति।  
मातुया च पितुनो कथं सुत्वा, रञ्ञो मित्ता बुद्धस्स देसनं सुणितुं गच्छिंसु। 
मातरि पितरि सद्धं करोन्तानं पुत्तानं पुञ्ञं  वड्ढति।
-----------------------------------------------------------
21.08.2020
विभत्ति रूपानि
‘उ’ कारान्त इत्थिलिंगे-
मातु/माता
विभत्ति  एकवचनं अनेकवचनं 
पठमा माता मातरो
दुतिया मातरं मातरे, मातरो
ततिया मातुया, मातरा, मात्या मातरेहि, मातरेभि, 
                        मातूहि, मातूभि
चतुत्थी मातु, मातुया, मात्या मातरानं, मातानं, मातून्नं
पंचमी मातुया, मातरा, मात्या मातरेहि, मातरेभि,
                                                               मातूहि, मातूभि
छट्ठी मातु, मातुया, मात्या मातरानं, मातानं, मातून्नं
सत्तमी मातरि,मातुया,मातुयं,मात्यं मातरेसु, मातुसु
आलपनं भोतिमात, भोतिमाता, भोतिमाते भोतियो मातरो

समं रूपानि-- धीतु/धीता(बेटी), दुहितु/दुहिता(पतोहु) आदि।

सरलानि वाक्यानि-
पठमा(माता ने)-
माता-पिता पूजनीया.
माता पुत्तं चुम्बति.
माता पुत्तं नहायति
दुतिया(माता को)-
पुत्तो अपि मातरं चुम्बति.
दुहिता मातरं पत्तं लिखति।

ततिया(माता से/के द्वारा)-
रमा मातुया सह गीतं गायति
पुत्ती मातुया सह विहारं गच्छति.
पुत्तो मातुया सह कीळति।
चतुत्थी(माता को/के/लिए)-
अहं मातुया उपहारं आनेमि।
पुत्ती मातुया पोत्थकं उप्पहारं देति
पञ्चमी(माता से)-
करुणा मातुया निस्सन्दति. 
करुणा माता से रिसती है.
संक्खारो मातुया लभति।
छट्ठी(माता का/के/की)- 
मम मातुया नाम मेनावंती.
राहुलस्स मातुया नाम यसोधरा अत्थि ।
मम मात्या तिस्सो पुत्तियो सन्ति।
सत्तमी(माता में/पर/पास)-
मम मात-पितरि सद्दा अत्थि.
मेरी माता-पिता में/पर श्रद्धा है.
पुत्तस्स विस्सासो मातरि अत्थि.
पुत्र का विश्वास माता पर है.
----------------------------------
अभ्यास- 
उक्त वाक्यों के आधार पर 'मातु' के प्रत्येक विभत्ति रूप पर दो-दो वाक्य बनाईये ? 

किन्चि संयुत्त वाक्यानि-
पिता पन तुम्हाकं जानाम, मातरं पन न पस्सिम्हा।
तुम्हारे पिता को जानते हैं, किन्तु माता को हमने नहीं देखा है।
मातुया यं कथितं तं ते पितुनो कथेन्ति।
राजानो मातापितुन्नं ओवादं सुनन्ता, सत्थुनो सन्तिकं गन्त्वा सत्थारं वन्दन्ति।  
मातुया च पितुनो कथं सुत्वा, रञ्ञो मित्ता बुद्धस्स देसनं सुणितुं गच्छिंसु। 
मातरि पितरि सद्धं करोन्तानं पुत्तानं पुञ्ञं
---------------------------------------------
23. 08. 2020
विभत्ति रूप
एक 
संख्या के अर्थ में ‘एक’ शब्द एकवचन होता है।
पुल्लिंगे- 
विभत्ति एकवचनं
पठमा एको
दुतिया एकं
ततिया एकेन
चतुत्थी एकस्स
पञ्चमी एकस्मा, एकम्हा
छट्ठी एकस्स
सत्तमी एकस्मिं, एकम्हि
-----------
1.  एकं, द्वे/दुवे, तीणि, चत्तारि, पञ्च आदि संख्या शब्द सब्बनाम(सर्वनाम) होते हैं. 
 -किन्तु वाक्य में वे विसेसन (विशेषण) की तरह प्रयोग होते हैं. 
-अर्थात जिसकी वे विशेषता बतलाते हैं, उसके लिंग, विभत्ति तथा वचन का अनुगमन करते हैं. 
यथा-
एको बालको. एका बालिका. एकं फलं.
द्वे/दुवे बालका. द्वे/दुवे बालिकायो. द्वे/दुवे फलानि.
तयो बालका. तिस्सो बालिकायो. तीणि फलानि.
चत्तारो बालका. चतस्सो बालिकायो. चत्तारि फलानि.
पञ्च बालका. पञ्च बालिकायो. पञ्च फलानि.
छ बालका. छ बालिकायो. छ फलानि.

2. पञ्च से अट्ठारस तक संख्या के विभत्ति रूप पञ्च/छ के समान होते हैं.
------------------------------------------------
25. 08. 2020
विभत्ति रूप
एक 
संख्या के अर्थ में ‘एक’ शब्द एकवचन होता है।
2. इत्थीलिंगे-
विभत्ति- एकवचनं
पठमा- एका
दुतिया- एकं
ततिया- एकाय
चतुत्थी- एकस्सा, एकाय
पञ्चमी- एकाय
छट्ठी- एकस्सा, एकाय
सत्तमी- एकस्सं, एकायं

3. नपुंसकलिंगे
विभत्ति- एकवचनं
पठमा-     एकं 
दुतिया -   एकं
-सेसं पुल्लिंग समं।
---------------------------------------------------
सरलानि वाक्यानि-
1. संख्या के रूप में- 
अहं एकेन मनुस्सेन सद्धिं गामं गतो।
अहं एकेन हत्थेन लिखामि।
मय्हं एकं पोथकं ददातु।
उसभस्स सीसे एकेव(एक+ एव) सिंगं अत्थि।
-----------------------------------------------

26. 08. 2020
विभत्ति रूप
एक 
संख्या के अर्थ में ‘एक’ शब्द एकवचन होता है।

विभत्ति पुल्लिंगे- इत्थिलिंगे
पठमा एको- एका 
दुतिया एकं- एकं 
ततिया एकेन- एकाय
चतुत्थी एकस्स- एकस्सा/एकाय
पञ्चमी एकस्मा/एकम्हा-  एकाय
छट्ठी एकस्स -  एकस्सा/एकाय
सत्तमी एकस्मिं, एकम्हि-  एकस्सं/एकायं

3. नपुंसकलिंगे
विभत्ति- एकवचनं
पठमा-     एकं 
दुतिया -   एकं
-सेसं पुल्लिंग समं।
---------------------------------------------------
नोट-  'एक' के अनेकवचन में भी रूप होते हैं. जिन्हें समय पर बताया जायेगा. 

पयोगा-
अनेका इत्थियो
अनेके पुरिसा
अनेकानि कुलानि
एकच्चा इत्थी, एकच्चो पुरिसो, 
एकच्चे पुरिसा, एकच्चे पुरिसे।
एकच्चं(एकाध/कुछ) चित्तं, 
एकच्चानि चित्तानि इच्चादि।
एकच्च- कुछ, चंद, एक ने, किसी ने.

1. संख्या के रूप में- 
अहं एकेन मनुस्सेन सद्धिं गामं गतो।
अहं एकेन हत्थेन लिखामि।
मय्हं एकं पोथकं ददातु।
उसभस्स सीसे एकेव(एक+ एव) सिंगं अत्थि।

2. सर्वनाम के रूप में-
‘अतुल्य’ के अर्थ में-
बुद्धो एकोव लोके।
‘असहाय’ के अर्थ में- 
अहं एकोव(अकेला) अरञ्ञे विहरामि। 
‘अन्य’ के अर्थ में-
एके एवं(कोई-कोई ऐसा) वदन्ति।

सरलानि वाक्यानि-
अहं एकस्मिं ठाने तिट्ठामि। 
मैं एक स्थान में बैठा हूँ।
महासमुद्दो एक रसो लोणरसो।
एकदा बालक भीमरावो अत्तनो पितरं दट्ठुं,-
एकस्स सवणस्स सकटे निक्खमि(निकला)।
सो एकं याचकस्स भिक्खं ददाति।
एक किलागाम मुद्दिका फलस्स मूल्यं किय अत्थि?
एक किलाग्राम अंगूर का मूल्य कितना है?
मय्हं एकं पुप्फ-गुच्छं ददातु। 
मुझे एक पुष्प-गुच्छ दे दो।
-------------------------------------------------------------

28. 08. 2020
विभत्ति रूप
एक 
संख्या के अर्थ में ‘एक’ शब्द एकवचन होता है।

विभत्ति पुल्लिंगे- इत्थिलिंगे
पठमा एको- एका 
दुतिया एकं- एकं 
ततिया एकेन- एकाय
चतुत्थी एकस्स- एकस्सा/एकाय
पञ्चमी एकस्मा/एकम्हा-  एकाय
छट्ठी एकस्स -  एकस्सा/एकाय
सत्तमी एकस्मिं, एकम्हि-  एकस्सं/एकायं

3. नपुंसकलिंगे
विभत्ति- एकवचनं
पठमा-     एकं 
दुतिया -   एकं
-सेसं पुल्लिंग समं।
---------------------------------------------------
नोट-  'एक' के अनेकवचन में भी रूप होते हैं. जिन्हें समय पर बताया जायेगा. 

पयोगा-
अनेका इत्थियो
अनेके पुरिसा
अनेकानि कुलानि
एकच्चा इत्थी, एकच्चो पुरिसो, 
एकच्चे पुरिसा, एकच्चे पुरिसे।
एकच्चं(एकाध/कुछ) चित्तं, 
एकच्चानि चित्तानि इच्चादि।
एकच्च- कुछ, चंद, एक ने, किसी ने.

1. संख्या के रूप में- 
अहं एकेन मनुस्सेन सद्धिं गामं गतो।
अहं एकेन हत्थेन लिखामि।
मय्हं एकं पोथकं ददातु।
उसभस्स सीसे एकेव(एक+ एव) सिंगं अत्थि।

2. सर्वनाम के रूप में-
‘अतुल्य’ के अर्थ में-
बुद्धो एकोव लोके।
‘असहाय’ के अर्थ में- 
अहं एकोव(अकेला) अरञ्ञे विहरामि। 
‘अन्य’ के अर्थ में-
एके एवं(कोई-कोई ऐसा) वदन्ति।

सरलानि वाक्यानि-
अहं एकस्मिं ठाने तिट्ठामि। 
मैं एक स्थान में बैठा हूँ।
महासमुद्दो एक रसो लोणरसो।
एकदा बालक भीमरावो अत्तनो पितरं दट्ठुं,-
एकस्स सवणस्स सकटे निक्खमि(निकला)।
सो एकं याचकस्स भिक्खं ददाति।
एक किलागाम मुद्दिका फलस्स मूल्यं किय अत्थि?
एक किलाग्राम अंगूर का मूल्य कितना है?
मय्हं एकं पुप्फ-गुच्छं ददातु। 
मुझे एक पुष्प-गुच्छ दे दो।
-----------------------------------------------------------------
28. 08. 2020
विभत्ति रूप
एक 
संख्या के अर्थ में ‘एक’ शब्द एकवचन होता है।

विभत्ति पुल्लिंगे- इत्थिलिंगे
पठमा एको- एका 
दुतिया एकं- एकं 
ततिया एकेन- एकाय
चतुत्थी एकस्स- एकस्सा/एकाय
पञ्चमी एकस्मा/एकम्हा-  एकाय
छट्ठी एकस्स -  एकस्सा/एकाय
सत्तमी एकस्मिं, एकम्हि-  एकस्सं/एकायं

3. नपुंसकलिंगे
विभत्ति- एकवचनं
पठमा-     एकं 
दुतिया -   एकं
-सेसं पुल्लिंग समं।
---------------------------------------------------
नोट-  'एक' के अनेकवचन में भी रूप होते हैं. जिन्हें समय पर बताया जायेगा. 

सरलानि वाक्यानि-
अहं एकस्मिं ठाने तिट्ठामि। 
मैं एक स्थान में बैठा हूँ।
महासमुद्दो एक रसो लोणरसो।
सो एकं याचकस्स भिक्खं ददाति।
एक किलागाम मुद्दिका फलस्स मूल्यं किय अत्थि?
एक किलाग्राम अंगूर का मूल्य कितना है?
मय्हं एकं पुप्फ-गुच्छं ददातु। 
मुझे एक पुष्प-गुच्छ दे दो।
------------------------------------

29. 08. 2020
विभत्ति रूप
एक 
संख्या के अर्थ में ‘एक’ शब्द एकवचन होता है।

विभत्ति पुल्लिंगे- इत्थिलिंगे
पठमा एको- एका 
दुतिया एकं- एकं 
ततिया एकेन- एकाय
चतुत्थी एकस्स- एकस्सा/एकाय
पञ्चमी एकस्मा/एकम्हा-  एकाय
छट्ठी एकस्स -  एकस्सा/एकाय
सत्तमी एकस्मिं, एकम्हि-  एकस्सं/एकायं

3. नपुंसकलिंगे
विभत्ति- एकवचनं
पठमा-     एकं 
दुतिया -   एकं
-सेसं पुल्लिंग समं।
---------------------------------------------------
नोट-  'एक' के अनेकवचन में भी रूप होते हैं. जिन्हें समय पर बताया जायेगा. 

सरलानि वाक्यानि-
अहं एकस्मिं ठाने तिट्ठामि। 
मैं एक स्थान में बैठा हूँ।
महासमुद्दो एक रसो लोणरसो।
सो एकं याचकस्स भिक्खं ददाति।
एक किलागाम मुद्दिका फलस्स मूल्यं किय अत्थि?
एक किलाग्राम अंगूर का मूल्य कितना है?
मय्हं एकं पुप्फ-गुच्छं ददातु। 
मुझे एक पुष्प-गुच्छ दे दो।
------------------------------------------------------------
30. 08. 2020
विभत्ति रूप
एक 
संख्या के अर्थ में ‘एक’ शब्द एकवचन होता है।

विभत्ति पुल्लिंगे- इत्थिलिंगे
पठमा एको- एका 
दुतिया एकं- एकं 
ततिया एकेन- एकाय
चतुत्थी एकस्स- एकस्सा/एकाय
पञ्चमी एकस्मा/एकम्हा-  एकाय
छट्ठी एकस्स -  एकस्सा/एकाय
सत्तमी एकस्मिं, एकम्हि-  एकस्सं/एकायं

3. नपुंसकलिंगे
विभत्ति- एकवचनं
पठमा-     एकं 
दुतिया -   एकं
-सेसं पुल्लिंग समं।
---------------------------------------------------
नोट-  'एक' के अनेकवचन में भी रूप होते हैं. जिन्हें समय पर बताया जायेगा. 

सरलानि वाक्यानि-
अहं एकस्मिं ठाने तिट्ठामि। 
मैं एक स्थान में बैठा हूँ।
महासमुद्दो एक रसो लोणरसो।
सो एकं याचकस्स भिक्खं ददाति।
एक किलागाम मुद्दिका फलस्स मूल्यं किय अत्थि?
एक किलाग्राम अंगूर का मूल्य कितना है?
मय्हं एकं पुप्फ-गुच्छं ददातु। 
मुझे एक पुष्प-गुच्छ दे दो।
----------------------------------------

No comments:

Post a Comment