Friday, August 7, 2020

विष्णुगुप्त से 'चाणक्य'

 चन्द्रगुप्त मौर्य और बिष्णुगुप्त दोनो सगे भाई है और मौर्य भी । इसका प्रमाण सम्राट अशोक महान के पुत्र महेंद्र द्वारा लिखित पुस्तक उत्तरविरहट्ट कथा मे है, जो श्रीलंका मे पायी गयी है । इसका अनुवाद सिध्दार्थ वर्धन सिंह आचार्य पालि एवं बौध्द दर्शन सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी द्वारा किया गया है ।

उत्तर विरहट्ट कथा पुस्तक के पृष्ठ संख्या  2 पर पालि मे लिखा है-  

"आदिच्चा नाम गोतेन साकिया नाम जातिया,  मोरियानं खातियानं वंसजातं सिरिधरं। चन्द्रगुप्तो ति पज्जातं विण्हुगुप्तो ति भातुको ततो।" 

हिन्दी मे अर्थ-     आदित्य (अभी भी आदिच्चा का सही अर्थ किये जाने का संदेह है मुझे ) गोत्र,  शाक्य  जाति  (जन्म ),  मौर्य वंश के खेतिहरों/ खेत्र के रक्षकों मे श्रीमान चन्द्रगुप्त राजा हुए तथा उनके भाई विष्णुगप्त प्रज्ञा सम्पन्न ।

जब संस्कृत मे अनुवाद किया गया तब विष्णुगप्त को चाणक्य कैसे बनाया गया उसका नीचे दिया जा रहा है ।

संस्कृत मे- 

"मोरियानं खतियानं  वंशे जातम्  सिरिधरं। चन्द्रगुप्तो ति पज्जातं चाणक्यो बाम्हणो ततो।"

पालि से संस्कृत मे अनुवाद करते समय जहा 'विष्णुगप्त भाई' लिखा उतने शब्दो सिर्फ 'चाणक्य ब्राह्मण' लिख कर पूरे देश मे प्रचारित कर दिया । मौर्य समाज की आने वाली पीढियो को यह बताने के लिए कि इतने विशाल मौर्य वंश की स्थापना मौर्या के वस की बात नही बल्कि ब्राह्मण की कृपा पात्र से बना है । इसलिए अपने इतिहास का शोध अनुसंधान स्वंय करने की जरूरत है।

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