तुम्हारा स्वर्ग
न स्वीकारं, अहं गन्तु
(नहीं स्वीकार है , मुझे जाना )
तव परिकप्पित सग्ग लोके
(तुम्हारे परिकल्पित स्वर्ग लोक में)
तत्थ पि त्वं परिजानिस्ससि मं
(वहां भी तुम, पहचानोगे मुझे)
मम जात कुल नामेन.
(मेरी जाति कुल नाम से)
No comments:
Post a Comment