भगवा वुच्चति-
न ञातिं, पुत्तं, धनं कते (न रिश्तेदार, पुत्र, धन के लिए)
कतं उपकारं (पर किया गया उपकार) अपि च जन हिताय तया कतंं
(बल्कि, लोकहित में तुम्हारे द्वारा किया गया)
जना सरति.
(लोग, स्मरण करते हैं)
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