कटुकं पञ्हं (कडुआ प्रश्न)
कतीनं जनानं
कितने लोग को,
वराह विय यं
सुअर की तरह जो
घरं-परिवार सह चरन्ति
घर और परिवार में व्यस्त है,
बाबासाहबस्स अयं पटिञ्ञा
बाबासाहब की यह प्रतिज्ञा
सरन्ति-
याद हैं-
"एकं हिन्दू रूपेन
एक हिन्दू के रूप में
अहं जातं
मैं पैदा हुआ
वसं एतं न आसि ममं
यह नहीं था बस में मेरे.
किन्तु, एक हिन्दू के रूप में
पन, एकं हिन्दू रूपेन
मरूँगा नहीं,
न मरिस्सामि
यह मेरे बस में है.
एतं मम वसं अत्थि."
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