वी. वी. मिराशी प्राचीन भारत के अभिलेखों तथा सिक्कों के विशेषज्ञ थे।
बात 1946 की है। तब हैदराबाद में हर्मज कौस सिक्कों के एक संग्रहकर्ता हुआ करते थे। कौस ने मिराशी को दो सिक्कों की स्याही - छवि भेजी।
मिराशी ने सिक्कों पर लिखे प्राकृत भाषा को पढ़े और बताए कि ये सिक्के महिस वंश के हैं। इस पर महिस वंश के राजा सागा माना महिस के नाम लिखे हैं।
मिराशी ने सागा को शक से संबंधित किया है, जबकि पार्जिटर पूर्व से ही शाक्य मानते रहे हैं .... शक्यमानाभवद्राजा महिषीणां महीपतिः।
दक्षिण भारत के महिस वंश पर मिराशी ने " दि इंडियन हिस्टोरिकल क्वार्टरली," मार्च, 1946 में शोध - पत्र लिखे।
फिर कोंडापुर और मास्की की खुदाई में दो सिक्के मिले। मिराशी ने 1949 में बताए कि ये सिक्के भी महिस वंश के हैं।
महिस वंश का शासन पूर्व हैदराबाद राज्य के दक्षिणी इलाके में था। सिक्के इन्हीं इलाकों से मिले हैं। वह समय ईसा की तीसरी- चौथी सदी थी।
कोई दो सौ साल हुकूमत के बाद महीस वंश का पतन हो गया।
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