Wednesday, August 21, 2019

पंडित जवाहर लाल नेहरू, दलित परिप्रेक्ष्य में

पंडित जवाहर लाल नेहरू, दलित परिप्रेक्ष्य में
आज, पंडित जवाहर लाल नेहरू,  जिन्हें हम 'चाचा नेहरू' के नाम से अधिक जानते हैं,  को नकारने का दुष्चक्र चलाया जा रहा है. आईये हम, दलित परिप्रेक्ष्य में 'पंडित नेहरू' को देखने का प्रयास करें-

1. 1956 में बुद्ध की 2500 जयंती समस्त विश्व में धूम-धाम से मनाई थी. बौद्ध देशों ने अनेकानेक राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित कर इस दिवस को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया था. बुद्ध के इस भारत भूमि में जन्म लेने के मद्दे-नजर प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी राष्ट्रीय स्तर पर कई कार्यक्रम घोषित किए थे

2.  बुद्ध के प्रमुख शिष्य सारिपुत्त और महामोग्गलायन की अस्थि धातुएं जो साँची के बौद्ध स्तूप में रखी थी, को   ब्रिटिश शासन के दौरान, उन्हें और नष्ट  न होने देने के लिए,  वहां से निकाल कर लन्दन म्यूजियम में रखा गया था .  यह जवाहर लाल नेहरू का ही प्रयास था कि उन अस्थियों को पूरे राज सम्मान के साथ भारत लाकर पुन: साँची स्तूप में सुरक्षित रखवा दिया गया.

3. जवाहर लाल नेहरू की बहन विजयालक्ष्मी पंडित ने दिल्ली के गुडगाव रोड पर महरोली में बुद्ध विहार के लिए अपनी 13 एकड़ निजी भूमि दान दी थी जिस पर आज 'अशोक मिशन बुद्ध विहार' निर्मित है .

4. बुद्ध के चेहरे पर प्रदीप्त शांति, एक बार जवाहर लाल नेहरू को सिहलद्वीप के अनुराधापुर बुद्ध विहार खींच लायी थी .

5. भारत के राष्ट्रीय चिन्ह के तौर पर अशोक चिन्ह, राष्ट्रीय झंडे में अशोक चक्र और संविधान के मूल अधिकारों में समता, स्वतंत्रता, भातृत्व की स्थापना जवाहरलाल नेहरू के सहयोग के बिना शायद ही हो सकता था .

6. जवाहरलाल नेहरू अपने शयन कक्ष में हमेशा बुद्ध की मूर्ति रखते थे .
  

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