गाली का जवाब गाली नहीं
किसी प्रतिक्रिया का जवाब गाली नहीं हो सकता. दरअसल, यह उसके नहीं, आपके स्तर को व्यक्त करती है. अगर आज भी हमारी जुबां में गाली है तो निस्संदेह, हमने बाबासाहब का पहला ही कमांडडेंट 'एजुकेट' को पार नहीं पाया है. चाहे उनकी गाली के बदले ही क्यों न हो, अगर हम भी गाली बक रहें हैं, तो लानत है, हमारे 'एजुकेट' होने में.
गाली का जवाब गाली नहीं हो सकता. यह सच है कि हम गाली सहते और सुनते रहें हैं. उनके मुंह में हमारे प्रति गाली है, उनके संस्कारों के हमें गाली देना सीखाया जाता है, उनके धर्म-ग्रंथों में हमारे प्रति भद्दी-भद्दी गाली है, पर गाली का जवाब गाली नहीं हैं न ?
बुद्ध बुराई के बदले भलाई की बात करते हैं. धम्म वाणी में नहीं, आचरण में होना चाहिए. चाहे जितना तित्त और मिथ्या भाषण करें, हमें जवाब पूरी ताकत से देना है, सप्रमाण और सधी हुई भाषा में.
किसी प्रतिक्रिया का जवाब गाली नहीं हो सकता. दरअसल, यह उसके नहीं, आपके स्तर को व्यक्त करती है. अगर आज भी हमारी जुबां में गाली है तो निस्संदेह, हमने बाबासाहब का पहला ही कमांडडेंट 'एजुकेट' को पार नहीं पाया है. चाहे उनकी गाली के बदले ही क्यों न हो, अगर हम भी गाली बक रहें हैं, तो लानत है, हमारे 'एजुकेट' होने में.
गाली का जवाब गाली नहीं हो सकता. यह सच है कि हम गाली सहते और सुनते रहें हैं. उनके मुंह में हमारे प्रति गाली है, उनके संस्कारों के हमें गाली देना सीखाया जाता है, उनके धर्म-ग्रंथों में हमारे प्रति भद्दी-भद्दी गाली है, पर गाली का जवाब गाली नहीं हैं न ?
बुद्ध बुराई के बदले भलाई की बात करते हैं. धम्म वाणी में नहीं, आचरण में होना चाहिए. चाहे जितना तित्त और मिथ्या भाषण करें, हमें जवाब पूरी ताकत से देना है, सप्रमाण और सधी हुई भाषा में.
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