Friday, August 2, 2019

छत्रपती शिवाजी: सतीश कठाने


साथियो, भले ही शिवाजी महाराज का प्रथम राज्यारोहण 5 जून को हुआ था लेकिन वहाँ क्या क्या हुआ,यह सारी बाते आपको मालूम है। किस प्रकार शिवाजी महाराज का अपमान किया गया यह आप सब जानते हो।लेकिन यह बात हमारे सबसे बड़े पुरखे राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले भी जानते थे। ग्रंट डफ नाम के अंग्रेज इतिहासकारकी "शिवाजी, द मराठा किंग"यह किताब उन्होंने पढ़ी।(याद रहे उस समय तक शिवाजी महाराज कौन है इसकी खबर हमको तो छोड़ो आज जो अपने को मराठा कहते है, उन्हें भी नही थी।पेशवाओने शिवाजी महाराज के पराक्रमी चरित्र को ही दफन कर दिया था।)और रायगढ़ जाकर शिवाजी महाराज की समाधी को ढूंढा,साफ किया, फूल अर्पण किये। उन्होने ही अपने सामाजिक आंदोलन के आदर्श के रूप में संत तुकाराम महाराज के साथ साथ शिवाजी महाराज को सामने रखा।शिवाजी महाराज पर पवाडा लिखा। सर्वप्रथम शिवाजी महाराज की जयंती मनाई। शिवाजी महाराज को जनजनतक पहुंचाया। वह हमारे महानायक राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले जब अपना महान सामाजिक धार्मिक संगठन 'सत्यशोधक समाज' बनाते है,उसकी तारीख 24 सितंबर होती है। साथियो,यह तारीख शिवाजी महाराज के दूसरे राज्यारोहण की तारीख है। जो राज्यारोहण शाक्त पंथ के निश्चलपुरी गोसावी के द्वारा सम्पन्न हुआ। शाक्त पंथ बौद्ध धर्म की एक शाखा है, इसपर किताब भी लिखी गयी है। और मेरे आदर्श,महान प्रबोधनकार अरविंदजी माली सर कहते है उस द्वितीय राज्यारोहण का राजतिलक मदारी मेहतर ने किया। इसका अर्थ है,राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले भी शिवाजी महाराज के द्वितीय राज्यारोहण को ज्यादा महत्व देते थे।
इसीलिये साथियो, जिस प्रकार आप लोगोने 5 जून को राज्यारोहण की सदिच्छाएँ दी। उसीप्रकार 24 सितंबर को सदिच्छाएँ अवश्य दिजिये।साथसाथ कार्यक्रमो का आयोजन करे।अरे भाई, राज्यारोहण के साथ साथ *सत्यशोधक समाज* के निर्माण का भी दिन है।हम सभी सत्यशोधि ही तो है।

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