दायरा
बेशक, सामाजिक-धार्मिक और कानूनी दायरे में दलित; हिन्दुओं के साथ हैं. यह दायरा देश की एकता और अखंडता के मद्दे-नजर लाजिमी है. बाबासाहब अम्बेडकर ने इस तरह के विचार कई मर्तबा राष्ट्र की एकता और अखंडता के परिपेक्ष्य में व्यक्त किए हैं.
बहुसंख्यक हिन्दुओं से आजादी हमें, सम्मान जनक जीने के लिए चाहिए. निस्संदेह, इसकी कीमत राष्ट्रीय एकता और अखंडता नहीं हो सकती. अगर हिन्दू और दलितों में टकराव है, मैं दलित समाज के साथ खड़ा हूँ, किन्तु जहाँ तक देश का प्रश्न है, तो देश मेरे लिए पहले हैं, डॉ अम्बेडकर ने कहा.
यह ठीक है कि हमारी इस सोच का लाभ बहुसंख्यक हिन्दू उठाते रहेंगे किन्तु इससे अलग होना घातक होगा. और इसलिए, बाबासाहब अम्बेडकर ने; जब सनातनी हिन्दुओं ने उनकी एक न सुनी, बुद्ध का मार्ग चुना. बुद्ध का 'माध्यम मार्ग' जहाँ हमें अपनी अतीत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जोड़ता है, सम्मान जनक जीने का मार्ग प्रशस्त करता है, वही अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध जगत हमारी असहायता पर संबल प्रदान करता है.
बेशक, सामाजिक-धार्मिक और कानूनी दायरे में दलित; हिन्दुओं के साथ हैं. यह दायरा देश की एकता और अखंडता के मद्दे-नजर लाजिमी है. बाबासाहब अम्बेडकर ने इस तरह के विचार कई मर्तबा राष्ट्र की एकता और अखंडता के परिपेक्ष्य में व्यक्त किए हैं.
बहुसंख्यक हिन्दुओं से आजादी हमें, सम्मान जनक जीने के लिए चाहिए. निस्संदेह, इसकी कीमत राष्ट्रीय एकता और अखंडता नहीं हो सकती. अगर हिन्दू और दलितों में टकराव है, मैं दलित समाज के साथ खड़ा हूँ, किन्तु जहाँ तक देश का प्रश्न है, तो देश मेरे लिए पहले हैं, डॉ अम्बेडकर ने कहा.
यह ठीक है कि हमारी इस सोच का लाभ बहुसंख्यक हिन्दू उठाते रहेंगे किन्तु इससे अलग होना घातक होगा. और इसलिए, बाबासाहब अम्बेडकर ने; जब सनातनी हिन्दुओं ने उनकी एक न सुनी, बुद्ध का मार्ग चुना. बुद्ध का 'माध्यम मार्ग' जहाँ हमें अपनी अतीत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जोड़ता है, सम्मान जनक जीने का मार्ग प्रशस्त करता है, वही अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध जगत हमारी असहायता पर संबल प्रदान करता है.
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