मूसिक सुत्तं
भिक्खुओ! चार प्रकार के चूहे होते हैं। चतस्सो इमा भिक्खवे, मूसिका।
कौन-से चार प्रकार के? कतमा चतस्सो?
बिल खोदने वाला, किन्तु उस में रहने वाला नहीं। रहने वाला किन्तु बिल खोदने वाला नहीं। न बिल खोदने वाला, न रहने वाला। बिल खोदने वाला और रहने वाला।
गाधं कता नो वसिता। वसिता नो गाधं कता। नेव गाधं कता नो वसिता। गाधं कता च वसिता च।
इसी प्रकार भिक्खुओ, संसार में चार प्रकार के लोग होते हैं।
एवमेव खो भिक्खवे, चत्तारो पुग्गलो सन्तो संविज्जमाना लोकस्मिं।
कौन-से चार ? कतमे चत्तारो?
भिक्खुओ, एक आदमी धर्म का भलि-भांति अध्ययन करता है, किन्तु यह दुक्ख है, यह दुक्ख निरोध गामिनी है, यर्थात रूप से नहीं जानता। इस प्रकार भिक्खुओ, वह आदमी बिल खोदने वाला होता है किन्तु उस में रहने वाला नहीं।
इध भिक्खवे, एकच्च पुग्गलो धम्मं परियापुणाति, सो इदं दुक्खं, अयं दुक्खं निरोध गाामिनी पटिपदा’ति यथा भूतं न पजानाति। एवं खो भिक्खवे, पुग्गलो गाधं कता होति न वसिता।
भिक्खुओ, एक आदमी धर्म का पाठ नहीं करता है, किन्तु यह दुक्ख है, यह दुक्ख निरोध गामिनी है, यर्थाथ रूप से जानता है। इस प्रकार भिक्खुओ, वह आदमी रहने वाला होता है किन्तु बिल खोदने वाला नहीं।
इध भिक्खवे, एकच्च पुग्गलो धम्मं न परियापुणाति, सो इदं दुक्खं, अयं दुक्खं निरोध गाामिनी पटिपदा’ति यथा भूतं पजानाति। एवं खो भिक्खवे, पुग्गलो वसिता होति न गाधं कता।
भिक्खुओ, एक आदमी न धर्म का भलि-भांति अध्ययन करता है और न यह दुक्ख है, यह दुक्ख निरोध गामिनी है, यर्थाथ रूप से जानता है। इस प्रकार भिक्खुओ, वह आदमी न बिल खोदने वाला होता हे और न रहने वाला।
इध भिक्खवे, एकच्च पुग्गलो धम्मं न परियापुणाति, न सो इदं दुक्खं, अयं दुक्खं निरोध गाामिनी पटिपदा’ति यथा भूतं पजानाति। एवं खो भिक्खवे, पुग्गलो न गाधं कता होति न वसिता।
भिक्खुओ, एक आदमी धर्म का भलि-भांति अध्ययन करता है और यह दुक्ख है, यह दुक्ख निरोध गामिनी है, यर्थाथ रूप से जानता है। इस प्रकार भिक्खुओ, वह बिल खोदने वाला होता है और रहने वाला होता है।
इध भिक्खवे, एकच्च पुग्गलो धम्मं परियापुणाति, सो इदं दुक्खं, अयं दुक्खं निरोध गाामिनी पटिपदा’ति यथा भूतं पजानाति। एवं खो भिक्खवे, पुग्गलो गाधं कता होति च वसिता च(अ. नि. भाग- 2ःचतुक्क निकाय )।
भिक्खुओ! चार प्रकार के चूहे होते हैं। चतस्सो इमा भिक्खवे, मूसिका।
कौन-से चार प्रकार के? कतमा चतस्सो?
बिल खोदने वाला, किन्तु उस में रहने वाला नहीं। रहने वाला किन्तु बिल खोदने वाला नहीं। न बिल खोदने वाला, न रहने वाला। बिल खोदने वाला और रहने वाला।
गाधं कता नो वसिता। वसिता नो गाधं कता। नेव गाधं कता नो वसिता। गाधं कता च वसिता च।
इसी प्रकार भिक्खुओ, संसार में चार प्रकार के लोग होते हैं।
एवमेव खो भिक्खवे, चत्तारो पुग्गलो सन्तो संविज्जमाना लोकस्मिं।
कौन-से चार ? कतमे चत्तारो?
भिक्खुओ, एक आदमी धर्म का भलि-भांति अध्ययन करता है, किन्तु यह दुक्ख है, यह दुक्ख निरोध गामिनी है, यर्थात रूप से नहीं जानता। इस प्रकार भिक्खुओ, वह आदमी बिल खोदने वाला होता है किन्तु उस में रहने वाला नहीं।
इध भिक्खवे, एकच्च पुग्गलो धम्मं परियापुणाति, सो इदं दुक्खं, अयं दुक्खं निरोध गाामिनी पटिपदा’ति यथा भूतं न पजानाति। एवं खो भिक्खवे, पुग्गलो गाधं कता होति न वसिता।
भिक्खुओ, एक आदमी धर्म का पाठ नहीं करता है, किन्तु यह दुक्ख है, यह दुक्ख निरोध गामिनी है, यर्थाथ रूप से जानता है। इस प्रकार भिक्खुओ, वह आदमी रहने वाला होता है किन्तु बिल खोदने वाला नहीं।
इध भिक्खवे, एकच्च पुग्गलो धम्मं न परियापुणाति, सो इदं दुक्खं, अयं दुक्खं निरोध गाामिनी पटिपदा’ति यथा भूतं पजानाति। एवं खो भिक्खवे, पुग्गलो वसिता होति न गाधं कता।
भिक्खुओ, एक आदमी न धर्म का भलि-भांति अध्ययन करता है और न यह दुक्ख है, यह दुक्ख निरोध गामिनी है, यर्थाथ रूप से जानता है। इस प्रकार भिक्खुओ, वह आदमी न बिल खोदने वाला होता हे और न रहने वाला।
इध भिक्खवे, एकच्च पुग्गलो धम्मं न परियापुणाति, न सो इदं दुक्खं, अयं दुक्खं निरोध गाामिनी पटिपदा’ति यथा भूतं पजानाति। एवं खो भिक्खवे, पुग्गलो न गाधं कता होति न वसिता।
भिक्खुओ, एक आदमी धर्म का भलि-भांति अध्ययन करता है और यह दुक्ख है, यह दुक्ख निरोध गामिनी है, यर्थाथ रूप से जानता है। इस प्रकार भिक्खुओ, वह बिल खोदने वाला होता है और रहने वाला होता है।
इध भिक्खवे, एकच्च पुग्गलो धम्मं परियापुणाति, सो इदं दुक्खं, अयं दुक्खं निरोध गाामिनी पटिपदा’ति यथा भूतं पजानाति। एवं खो भिक्खवे, पुग्गलो गाधं कता होति च वसिता च(अ. नि. भाग- 2ःचतुक्क निकाय )।
No comments:
Post a Comment