Saturday, August 24, 2019

क्राइसिस

एकता आसमान से नहीं आती, यह बस पैदा हो जाती है। आप एकता-एकता कहते रहो, एकता नहीं आएगी। एकता के लिए किसी प्लानिग की भी आवश्यकता नहीं होती। यह एकायक, स्पान्टेेनसली उभर आती है। एकता के लिए किसी स्थापित नेतृत्व की भी आवश्यकता नहीं होती। क्राईसिस खुव-ब-खुद नेतृत्व पैदा कर देता है।  दरअसल, क्राइसिस एकता को पैदा करती है।
सवाल है, क्राइसिस क्या है ? क्राइसिस है, गुरु रविदास मंदिर की तोड़-फोड़। यह दुष्कृत्य स्पान्टेेनस था, तो जन -उन्माद भी स्पान्टेेनस था।  इसे किसी ने आयोजित/प्रायोजित नहीं किया था, यह स्वत: स्पान्टेेनसली हो गया था। सीधी-सी बात है,  एकता पूर्व-निर्धारित नहीं है । प्लानिंग एकता का स्वभाव  नहीं है। एकता का आवश्यक तत्व है, क्राइसिस। क्राइसिस ही स्पान्टेेनसली  एकता में रूपांतरित होती है।
अधिक-से अधिक हम कह सकते हैं, क्राईसिस के लिए 'उर्वरा भूमि' की दरकार हो सकती है। उर्वरा भूमि अर्थात सामाजिक चेतना, जन-जाग्रति। 

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