यागु(यवागु) सुत्तं
भिक्खुओं! यवागुगु(दाल की खीचड़ी) खाने से पांच शुभ परिणाम होते हैं।
पंचिमे भिक्खवे! आनिसंसा यागुया।
कौन-से पांच?
कतमे पंच ?
भूख मिटती है, प्यास मिटती है, वायु यथोचित गति से गमन करता है, वस्ती की शुद्धि होती है और अपच-शेष पच जाता है।
खुद्दं पटिहनति, पिपासं पटिविनेति, वातं अनुलोमेति, वत्थिं सोधेति, आमावसेसं पाचेति।
इमे खो मे भिक्खवे, पंच आनिसंसा यागुया‘ति( अ. नि. भाग-2 : पंचक सुत्त )।
भिक्खुओं! यवागुगु(दाल की खीचड़ी) खाने से पांच शुभ परिणाम होते हैं।
पंचिमे भिक्खवे! आनिसंसा यागुया।
कौन-से पांच?
कतमे पंच ?
भूख मिटती है, प्यास मिटती है, वायु यथोचित गति से गमन करता है, वस्ती की शुद्धि होती है और अपच-शेष पच जाता है।
खुद्दं पटिहनति, पिपासं पटिविनेति, वातं अनुलोमेति, वत्थिं सोधेति, आमावसेसं पाचेति।
इमे खो मे भिक्खवे, पंच आनिसंसा यागुया‘ति( अ. नि. भाग-2 : पंचक सुत्त )।
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