वाचा सुत्तं
भिक्खुओ! जिस वाणी में ये पांच बातें होती हैं, वह वाणी सुभाषित होती है।
पंचहि भिक्खवे! अंगेहि समन्नागता वाचा सुभासिता होति।
कौन-सी पांच बातें ?
कतमेहि पंचेहि ?
समय देख कर बोली गई वाणी, सत्य वाणी, कोमल वाणी, हितकर वाणी तथा मैत्री-चित से बोलो गई वाणी।
कालेन च भासिता, सच्चा च भासिता, सण्हा च भासिता, अत्थसंहिता च भासिता, मेेत्त चित्तेन च भासिता।
इन पांच अंगों से युक्त भाषा ही सुभाषित होती है।
इमेहि खो भिक्खवे, पञ्चहि अंगेहि समन्नागता वाचा सुभासिता होति (अ. नि. भाग-2 : पंचक निपात )।
भिक्खुओ! जिस वाणी में ये पांच बातें होती हैं, वह वाणी सुभाषित होती है।
पंचहि भिक्खवे! अंगेहि समन्नागता वाचा सुभासिता होति।
कौन-सी पांच बातें ?
कतमेहि पंचेहि ?
समय देख कर बोली गई वाणी, सत्य वाणी, कोमल वाणी, हितकर वाणी तथा मैत्री-चित से बोलो गई वाणी।
कालेन च भासिता, सच्चा च भासिता, सण्हा च भासिता, अत्थसंहिता च भासिता, मेेत्त चित्तेन च भासिता।
इन पांच अंगों से युक्त भाषा ही सुभाषित होती है।
इमेहि खो भिक्खवे, पञ्चहि अंगेहि समन्नागता वाचा सुभासिता होति (अ. नि. भाग-2 : पंचक निपात )।
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