Friday, August 2, 2019

तृष्णा

सामान्य तौर पर समझा जाता है कि अभाव व्यक्ति को दुक्खी बनाता है। लेकिन हमेशा यही बात ठीक नहीं होती। आदमी बाहुल्य के बीच में रहता हुआ भी दुक्खी रहता है। सवाल है, कारण क्या है ?
कारण है, तृष्णा।  तृष्णा ही व्यक्ति को दुक्खी बनाती है। तृष्णा पर नियंत्रण ही 'निर्वाण' है। निर्वाण का अर्थ है अपनी प्रवृतियों पर इतना काबू रखना कि आदमी धम्म के मार्ग पर चल सकें। इससे अधिक और इसका दूसरा कुछ आशय नहीं है।
सवाल है, तृष्णा पर नियंत्रण कैसे हो ? पूछे जाने पर बुद्ध के प्रधान शिष्य सारिपुत्त ने सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प आदि  अट्ठङगिक मार्ग का अभ्यास बताया (बी आर अम्बेडकर:बुद्धा एंड हिज धम्मा: खंड-3 भाग- 3  )। 

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