सीधा सवाल ?
चाहे पंजाब राव मेश्राम हो या विजय मानकर, मेरा एक सीधा सवाल है. देश सीधे हिन्दू राष्ट्र की ओर बढ़ रहा है. कांग्रेस में भी वे ही लोग हैं जो बीजेपी में हैं. दूसरी भी अधिकतर पार्टियाँ उसी मानसिकता की हैं. सिर्फ बीएसपी ही अलग है और यह उसने गाल बजा कर नहीं, दलित गौरव के प्रतिष्ठान खड़े कर जता दिया है. कभी 'जयभीम' बोलने का हम साहस नहीं कर पाते थे, बीएसपी ने उसे घर-घर पहुँचा दिया है.
अगर, देश को हिन्दू राष्ट्र होने से बचाना है, तो रास्ता दलित एकता का है . क्या पंजाब राव मेश्राम और विजय मानकर जो लम्बी-लम्बी बात करते हैं, हाथ में हाथ लेकर दलित-एकता का सूत्रपात कर सकते हैं ? निस्संदेह, ऐसा कर वे बीएसपी के सामने बड़ी लकीर खींच सकते हैं ?. और अगर नहीं, तो बीएसपी को गरियाने का क्या मतलब ? क्या ऐसा कर वे अपनी जांघ उघाड़कर दूसरों को नहीं दिखा रहे हैं ?
चाहे पंजाब राव मेश्राम हो या विजय मानकर, मेरा एक सीधा सवाल है. देश सीधे हिन्दू राष्ट्र की ओर बढ़ रहा है. कांग्रेस में भी वे ही लोग हैं जो बीजेपी में हैं. दूसरी भी अधिकतर पार्टियाँ उसी मानसिकता की हैं. सिर्फ बीएसपी ही अलग है और यह उसने गाल बजा कर नहीं, दलित गौरव के प्रतिष्ठान खड़े कर जता दिया है. कभी 'जयभीम' बोलने का हम साहस नहीं कर पाते थे, बीएसपी ने उसे घर-घर पहुँचा दिया है.
अगर, देश को हिन्दू राष्ट्र होने से बचाना है, तो रास्ता दलित एकता का है . क्या पंजाब राव मेश्राम और विजय मानकर जो लम्बी-लम्बी बात करते हैं, हाथ में हाथ लेकर दलित-एकता का सूत्रपात कर सकते हैं ? निस्संदेह, ऐसा कर वे बीएसपी के सामने बड़ी लकीर खींच सकते हैं ?. और अगर नहीं, तो बीएसपी को गरियाने का क्या मतलब ? क्या ऐसा कर वे अपनी जांघ उघाड़कर दूसरों को नहीं दिखा रहे हैं ?
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